सुबह-सुबह ओस गिर रही है और आपके गाय-भैंस ठिठुर रहे हैं। दूध कम हो गया, जानवर सुस्त पड़े हैं और चारे का भी पूरा फायदा नहीं ले पा रहे। भाइयो, ये वही समय है जब हर साल हजारों किसान पशुओं को कमजोर होते देखकर परेशान हो जाते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने देंगे। आज हम आपको बता रहे हैं वो पुराना देसी फॉर्मूला जो हमारे बाबा-दादा इस्तेमाल करते थे। सिर्फ गुड़, सरसों की खल, बाजरा और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर चारा तैयार करो, 8-10 दिन में आप खुद हैरान रह जाएंगे कि दूध की बाल्टी पहले से भारी होने लगी है और जानवरों की आँखों में चमक लौट आई है। ठंड बढ़ने से पहले ही अपना लें, वरना जनवरी में पछताना पड़ेगा!
सर्दी में जानवर क्यों हो जाते हैं कमजोर
जैसे ही दिसंबर की ठंड शुरू होती है, तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाता है। जानवर का शरीर गर्मी बनाने में ही सारी ताकत लगा देता है, चारा पचता नहीं, दूध बनना कम हो जाता है। ऊपर से सूखा चारा खिलाने से पेट में गर्मी नहीं बनती। नतीजा ये कि गाय-भैंस दिन पर दिन दुबली होती जाती हैं और दूध एकदम गिर जाता है। लेकिन हमारे पुराने किसान भाई जानते थे कि शरीर को अंदर से गर्मी दो तो ठंड कुछ नहीं बिगाड़ सकती। बस तीन-चार सस्ती चीजें मिलाकर चारा तैयार कर दो, जानवर खुद दौड़ने लगते हैं। ये बात आज भी उतनी ही सच्ची है जितनी 50 साल पहले थी।
गुड़ डालते ही जानवर में जान आ जाती है
सबसे पहले तो गुड़। एक किलो गुड़ में इतनी ताकत होती है कि जानवर का शरीर तुरंत गर्म हो जाता है। रोजाना सुबह-शाम आधा किलो गुड़ पीसकर चारे में मिला दो। पहले तीन-चार दिन तो जानवर खुद ज्यादा चारा खाने लगते हैं। गुड़ से खून साफ होता है, पेट में अच्छे की) बढ़ते हैं और दूध में चिकनाई अपने आप बढ़ने लगती है। बाजार में गुड़ 50-60 रुपये किलो मिल रहा है, यानी एक पशु का खर्च सिर्फ 25-30 रुपये रोज। इतने में अगर दूध दो लीटर भी बढ़ जाए तो एक हफ्ते में पूरा पैसा वसूल!
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सरसों की खल
अब बात सरसों की खल की। ये चीज तो सर्दियों में सोने से कम नहीं। एक पशु को रोज 1 से डेढ़ किलो खल चारे में मिलाकर दे दो। इसमें प्रोटीन और ऊर्जा इतनी होती है कि जानवर का शरीर एकदम गर्म रहता है। दूध भी बढ़ता है और चमक भी आती है। अभी बाजार में अच्छी सरसों की खल 35-40 रुपये किलो मिल रही है। जिस दिन से खल शुरू करोगे, उसी दिन से जानवर रात में ठिठुरना बंद कर देंगे।
बाजरा और सरसों का तेल
बाजरे को हल्का सा भून लो और उसमें दो-तीन चम्मच सरसों का तेल मिलाकर चारे में डाल दो। बस यही छोटा सा काम है, लेकिन असर कमाल का। बाजरा शरीर को ताकत देता है और सरसों का तेल अंदर से चिकनाई लाता है। दूध में मलाई अपने आप बढ़ने लगती है। एक पशु को रोज 1 किलो भुना बाजरा और 100 ग्राम तेल काफी है। खर्च सिर्फ 40-50 रुपये रोज, लेकिन दूध की क्वालिटी इतनी बढ़िया हो जाती है कि दूध वाला खुद ज्यादा दाम देने को तैयार हो जाता है।
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ऐसे तैयार करें पूरा मिश्रण
सुबह और शाम का चारा निकालो। उसमें आधा किलो गुड़ पीसकर डालो। फिर डेढ़ किलो सरसों की खल मिला दो। ऊपर से एक किलो भुना हुआ बाजरा और दो-तीन चम्मच सरसों का तेल डालकर अच्छे से मिला दो। थोड़ा सा नमक भी डाल दो ताकि स्वाद बने। बस, आपका देसी प्रोटीन-पावर मिश्रण तैयार है। पहले तीन दिन तो जानवर खुद प्लेट चाटने लगेंगे। दस दिन बाद आप खुद देखोगे कि दूध की बाल्टी भारी हो गई और जानवरों की पूँछ अपने आप हिलने लगी है।
अभी शुरू करें
भाइयो, ठंड अभी शुरू हुई है और जनवरी-फरवरी में सबसे ज्यादा कहर बरपाएगी। आज से ही ये मिश्रण शुरू कर दो तो आपके पशु पूरे सीजन तंदुरस्त रहेंगे। दूध भी बढ़ेगा, बिक्री भी अच्छी होगी और पशु बेचने का समय आएगा तो वजन भी पूरा मिलेगा। जिसने अभी तक नहीं शुरू किया, वो आज ही बाजार जाए, गुड़-खल ले आए। 15 दिसंबर तक शुरू कर दोगे तो जनवरी में आप मुस्कुराते हुए गिनती करोगे कि इस बार कितना ज्यादा फायदा हुआ।
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