किसान भाई ध्यान दें! सूरन की इन 5 किस्मों से बंजर जमीन भी बनेगी सोने की खदान

सूरन, जिसे गाँव में जिमीकंद या ओल भी कहते हैं, आजकल किसानों के लिए सोने की खेती बन गया है। चाहे गाँव हो या शहर, लोग इसे “शाकाहारी मटन” कहकर खूब चाव से खाते हैं। यह न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि सेहत के लिए भी बड़ा फायदेमंद है। रायबरेली के कृषि विशेषज्ञ शिव शंकर वर्मा जी बताते हैं कि सूरन की खेती कम लागत में बड़ा मुनाफा देती है। खास बात यह है कि यह बंजर जमीन में भी आसानी से उग जाता है। तो चलिए, भाई, जानते हैं कि सूरन की खेती कैसे करें और इससे मालामाल कैसे बनें।

सूरन की खेती का देसी जुगाड़

पहले गाँव में सूरन को बगीचे या घर के पीछे थोड़ा-बहुत उगाया जाता था, लेकिन अब यह किसानों की कमाई का बड़ा जरिया बन गया है। सूरन की खेती के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं। यह गर्म मौसम में 25 से 35 डिग्री तापमान में बढ़िया उगता है। बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी रहती है, लेकिन खेत में पानी की निकासी का इंतजाम होना चाहिए। सूरन की फसल 6 से 8 महीने में तैयार हो जाती है। अगर आपके पास सिंचाई की सुविधा है, तो मार्च के मध्य से मई तक बुवाई कर सकते हैं। अगर पानी की कमी है, तो जून के आखिरी हफ्ते से अगस्त तक बुवाई का सही समय है।

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सेहत का खजाना और धार्मिक महत्व

सूरन सिर्फ सब्जी ही नहीं, सेहत का खजाना भी है। इसमें विटामिन सी, बी-6, बी-1, फोलिक एसिड और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम और आयरन जैसे पोषक तत्व भी इसमें होते हैं। गाँव के लोग इसे खूब पसंद करते हैं, क्योंकि यह पेट और सेहत के लिए बड़ा फायदेमंद है। हिंदू धर्म में सूरन का खास महत्व है। कहते हैं कि दीपावली के दिन सूरन खाना शुभ होता है। बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, और 5 से 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिल जाता है।

उन्नत किस्में चुनें

कृषि विशेषज्ञ शिव शंकर वर्मा जी का कहना है कि पुरानी देसी सूरन की किस्म खाने से गले में खुजली हो सकती है, लेकिन अब उन्नत किस्में आ गई हैं, जो खाने में सुरक्षित और स्वादिष्ट हैं। गजेंद्र एन-15, श्री पदमा, कुसुम, राजेंद्र ओल कोयम्बटूर और संतरा गाची जैसी किस्में आजकल बाजार में छाई हुई हैं। इनसे प्रति एकड़ 20 से 25 टन तक पैदावार हो सकती है। किसान भाई मौसम और बारिश को देखकर इनमें से कोई भी किस्म चुन सकते हैं। इन किस्मों की मांग बाजार में ज्यादा है, और इनसे मुनाफा भी बढ़िया होता है।

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सूरन की खेती में खर्चा कम और फायदा ज्यादा है। एक हेक्टेयर में सूरन की खेती करने में करीब 3 लाख रुपये का खर्चा आता है, लेकिन इससे 12 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। एक हेक्टेयर में 40 से 50 टन सूरन की पैदावार आसानी से हो जाती है। बाजार में इसका दाम अच्छा मिलता है, और बिक्री के लिए ज्यादा भागदौड़ भी नहीं करनी पड़ती। खेत में गोबर की खाद और अच्छी जुताई करके सूरन की बुवाई करें। अगर खेत में पानी की निकासी का इंतजाम है, तो फसल और भी अच्छी होगी।

सूरन की खेती एक ऐसा धंधा है, जो कम मेहनत में बड़ा फायदा देता है। चाहे बंजर जमीन हो या दोमट मिट्टी, सूरन हर जगह उग जाता है। रायबरेली के कृषि विशेषज्ञों की सलाह मानें, तो उन्नत किस्में और सही समय पर बुवाई से आपकी कमाई दोगुनी हो सकती है। बाजार में सूरन की मांग हमेशा रहती है, और यह सेहत के लिए भी बड़ा फायदेमंद है। तो देर किस बात की? अपने खेत में सूरन की खेती शुरू करो, और बंपर मुनाफा कमाओ!

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  • Shashikant

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