Yellow Watermelon Cultivation: गर्मी का मौसम शुरू होते ही फल और सब्जियों की तैयारी गाँवों में जोर पकड़ने लगती है। आम तौर पर तरबूज नदी किनारे उगता है, लेकिन पीला तरबूज कहीं भी उगाया जा सकता है। बुंदेलखंड के किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं। अगर आपके खेत आलू या सरसों के बाद खाली पड़े हैं और आप कम वक्त में बढ़िया मुनाफा चाहते हैं, तो पीले तरबूज की खेती शुरू कर दें। ये 2-3 महीने में तैयार हो जाता है और इसके बाद बरसात में दूसरी फसल भी बोई जा सकती है। इसका स्वाद इतना मीठा है कि लाल तरबूज को भूल जाएँगे। आइए जानते हैं कि इसे कैसे उगाएँ और लाखों कैसे कमाएँ।
खेती का सही तरीका
पीले तरबूज की खेती (Yellow Watermelon Cultivation) के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। खेत की 4-5 बार जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। फिर ऊँची बेड बनाएँ। बेड तैयार होने के बाद गोबर की देसी खाद डालें। इसके बाद ड्रिप सिस्टम लगाएँ और पानी डालकर बेड को गीला करें। खेत तैयार होने के 10 दिन बाद बीज बोएँ। ध्यान रखें कि बेड गीली हो, तभी बीज डालें। इसकी बुवाई फरवरी में शुरू कर सकते हैं।
मिट्टी और बीज का चयन
बुंदेलखंड में काली और लाल मिट्टी मिलती है। किसानों के अनुभव से पता चलता है कि लाल मिट्टी पीले तरबूज के लिए बढ़िया है। ये मिट्टी नदी किनारे की मिट्टी जितनी दमदार नहीं, फिर भी अच्छी पैदावार देती है। एक बेड में 200 बीज बोए जाते हैं और एक बीज से 10-15 फल तैयार होते हैं। बीज को बोने से पहले 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें, ताकि रोग न लगें।
खाद और पानी का इंतजाम
पीले तरबूज को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं, खासकर आलू वाले खेतों में। फिर भी, प्रति एकड़ 35 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस और 25 किलो पोटाश डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फॉस्फोरस-पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के वक्त दें। बाकी नाइट्रोजन को 20 और 45 दिन बाद दो हिस्सों में डालें। गर्मियों में 4-7 दिन पर पानी दें। फूल आने और फल बनते वक्त पानी की कमी न हो, वरना पैदावार घटेगी। फल पकते समय पानी बंद करें, ताकि मिठास बनी रहे। गाँव में लोग कहते हैं कि पानी और खाद सही समय पर डालो, तो फल लाजवाब होंगे।
मिठास और पतला बकला
किसानों का कहना है कि पीला तरबूज अपनी मिठास और पतले बकले के लिए मशहूर है। ये बाहर से हरा और अंदर से पीला होता है। 2 महीने में फल तैयार हो जाते हैं। इसका बकला इतना पतला और मीठा है कि इसे भी खाया जा सकता है। बरसात में भी इसे उगाया जा सकता है। जो इसे एक बार चख लेता है, वो बार-बार माँगता है। मिठास के लिए अलग से कुछ नहीं डालते, बस देसी खाद ही काफी है।
लाखों की कमाई
एक एकड़ में 10-15 हजार रुपये की लागत से 60-70 क्विंटल पीला तरबूज मिल सकता है। बाजार में भाव 15-20 रुपये प्रति किलो रहता है। यानी 1 से 1.5 लाख रुपये की कमाई आसानी से हो सकती है। छतरपुर में अभी कुछ ही किसान इसे उगा रहे हैं, लेकिन माँग बढ़ रही है। पिछले कुछ सालों से इसे उगाने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
ये भी पढ़ें- आ गया रासायनिक खाद का बाप यह ‘आर्गेनिक खाद’ फसल देगी रिकॉर्ड तोड़ पैदावार