एक हेक्टेयर में उगाइए ये फसल, सिर्फ 2 महीने में बन जाइए लाखों के मालिक!

Yellow Wonder Best Variety Capsicum Cultivation: किसान भाइयों, शिमला मिर्च की खेती तो हमेशा से फायदे का धंधा रही है। बाजार में इसकी माँग कभी कम नहीं होती, और खासकर येलो वंडर जैसी किस्म तो किसानों के लिए खजाना है। ये सुनहरे पीले रंग की मिर्च न सिर्फ खेत में लहलहाती है, बल्कि बाजार में अच्छा दाम भी लाती है। कम समय और मेहनत में तैयार होने वाली इस किस्म से आप अपनी जेब भर सकते हैं। आइए, गाँव की अपनी बोली में जानें कि येलो वंडर की खेती कैसे करें और इससे मुनाफा कैसे कमाएँ।

येलो वंडर की खूबी

येलो वंडर शिमला मिर्च का सुनहरा पीला रंग बाजार में सबको लुभाता है। इसके पौधे सीधे और मज़बूत होते हैं, और मिर्चें चौकोर, चमकदार, और रसीली होती हैं। इनका स्वाद हल्का खट्टा और ताज़ा होता है, जो सलाद, स्टफिंग, या भुनी सब्जी के लिए बिल्कुल मुफीद है। ये किस्म कई रोगों से लड़ने में उस्ताद है, यानी कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए आपको ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा। एक हेक्टेयर में 120 से 140 क्विंटल तक फसल मिल सकती है। अप्रैल के आखिरी हफ्ते या मई की शुरुआत में बोवनी करें, और 70-80 दिन में मिर्च तोड़ने लायक हो जाएगी।

खेत की तैयारी

येलो वंडर की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जहाँ पानी जमा न हो। मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 के बीच रखें। बोवनी से पहले खेत को 3-4 बार जोत लें, ताकि मिट्टी हल्की और भुरभुरी हो जाए। प्रति हेक्टेयर 8-10 टन सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। ये पौधों को ताकत देगा और फल भारी आएँगे। अगर मिट्टी की ताकत जानने के लिए जाँच करा लें, तो खाद डालने में आसानी होगी। खेत में पानी निकलने का रास्ता बनाएँ, वरना जड़ें गल सकती हैं।

बोवनी और देखभाल

येलो वंडर की खेती शुरू करने के लिए पहले नर्सरी में पौध तैयार करें। 25-30 दिन की पौध को खेत में रोपें। कतारों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर की दूरी रखें। एक हेक्टेयर के लिए 20-25 ग्राम बीज काफी है। रोपाई के बाद हल्का पानी दें, और फिर हर 7-10 दिन में सिंचाई करें। गर्मी में मिट्टी को हल्का नम रखें, लेकिन दलदल न होने दें। फूल आने पर 19:19:19 NPK खाद (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। खरपतवार को वक्त पर साफ करें, ताकि पौधे फलने-फूलने में कोई कसर न छोड़ें।

कीटों से जंग

येलो वंडर में रोग कम लगते हैं, लेकिन सावधानी बरतना ज़रूरी है। अगर सफेद मक्खी या थ्रिप्स जैसे कीट दिखें, तो नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें। ये देसी नुस्खा कीटों को भगाने में कारगर है। अगर पत्तियाँ पीली हों या फफूंदी दिखे, तो बाविस्टिन (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) का इस्तेमाल करें। खेत में पीले स्टिकी ट्रैप लगाएँ, जो कीटों को फँसाकर आपका खर्च बचाएँगे। रासायनिक दवाओं को कम से कम चलाएँ, ताकि मिर्च की चमक और स्वाद बरकरार रहे।

बाजार में येलो वंडर की धूम

येलो वंडर की खेती में लागत कम और कमाई ज्यादा है। एक हेक्टेयर में 50-60 हज़ार रुपये खर्च करके आप 120-140 क्विंटल मिर्च उगा सकते हैं। बाजार में इसके 20-30 रुपये प्रति किलो दाम आसानी से मिलते हैं, यानी 2-3 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। ये मिर्च शहरों के बड़े होटलों, रेस्तराँ, और सुपरमार्केट में खूब बिकती है। छोटे खेत वाले किसान भी आधा बीघा में इसे उगाकर अच्छा फायदा उठा सकते हैं। इसकी चमक और ताज़गी हर खरीदार को पसंद आती है।

तो देर न करें, इस अप्रैल-मई में येलो वंडर शिमला मिर्च की खेती शुरू करें। थोड़ी मेहनत और सही देखभाल से आपका खेत सुनहरी मिर्चों से भर जाएगा। ये किस्म आपकी मेहनत को मुनाफे में बदल देगी।

ये भी पढ़ें- रंगीन शिमला मिर्च की खेती से होगी मोटी कमाई, सरकार दे रही 50% सब्सिडी

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment