उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए सहजन (मोरिंगा) के उपयोग को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस अभियान का उद्देश्य कुपोषण की समस्या को दूर करना और महिलाओं तथा किशोरियों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करना है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह अभियान कैसे काम करेगा, सहजन के क्या फायदे हैं, और इसे किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है।
सहजन: कुपोषण के खिलाफ एक चमत्कारी हथियार
सहजन को ‘चमत्कारी आरोग्य वृक्ष’ कहा जाता है। इसकी पत्तियां, फल और बीज पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन ए, और एंटीऑक्सीडेंट्स की उच्च मात्रा पाई जाती है। ये पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और रक्त निर्माण में मदद करते हैं। खासतौर पर, एनीमिया जैसी समस्या को कम करने में सहजन का नियमित सेवन बहुत उपयोगी होता है।
राज्य सरकार का सहजन अभियान
योगी सरकार ने गोरखपुर, वाराणसी और झांसी के 35 ब्लॉकों में सहजन वृक्षारोपण और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक वृहद अभियान चलाने का निर्णय लिया है। सहजन के लाभों को साझा करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए 9569703306 पर व्हाट्सएप हेल्पलाइन शुरू की गई है। यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और सिफ्सा के सहयोग से शुरू हुई है।
राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान, सहजन पर ऑनलाइन जागरूकता अभियान चलाया गया। पोस्टर, बैनर, और वॉल पेंटिंग के माध्यम से सहजन के फायदे बताए गए। नवविवाहित दंपतियों को दी जाने वाली ‘शगुन किट’ में सहजन के फायदे से संबंधित लीफलेट जोड़े गए हैं। यह किट गर्भावस्था के दौरान सहजन के उपयोग को प्रोत्साहित करती है। साथ ही, 100 स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर वॉल पेंटिंग के जरिए सहजन के उपयोग की जानकारी दी जा रही है।
सहजन के स्वास्थ्य लाभ
सहजन के उपयोग से न केवल एनीमिया से राहत मिलती है, बल्कि यह कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। सहजन की 100 ग्राम पत्तियों में पालक से 25 गुना ज्यादा आयरन, दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्शियम और संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन सी होता है। यह इम्यूनिटी को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है।
सहजन का सेवन कैसे करें?
सहजन को सलाद, सूप, या पत्तेदार सब्जियों के रूप में आहार में शामिल किया जा सकता है। सहजन की पत्तियों का पाउडर बनाकर इसे दूध, सूप, या आटे में मिलाया जा सकता है। एनीमिया से ग्रस्त लोगों को सहजन का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
एनीमिया: एक गंभीर समस्या
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 50% महिलाएं और 66% बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि एनीमिया की समस्या कितनी व्यापक है। सहजन के उपयोग को बढ़ावा देना इसे कम करने का एक प्रभावी समाधान हो सकता है।
सरकार की योजना
सर्वाइवल दर और नवाचार पर आधारित प्रोत्साहन योजनाएं लागू की गई हैं। इसके तहत जिला स्तर पर पुरस्कार दिए जाएंगे, जिससे सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। आशा संगिनियों, बीसीपीएम, और यूनिसेफ जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ मासिक और त्रैमासिक बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों में अभियान की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
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