Zaid season Urad farming : रबी की फसलें अब पक चुकी हैं और कई जगह कटाई जोर-शोर से चल रही है। ऐसे में जायद सीजन की बुवाई का वक्त आ गया है। इस बार किसानों का रुझान दालों की खेती की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि सरकार ने सभी दालों को MSP पर 100 फीसदी खरीदने का ऐलान कर दिया है। इसमें उड़द की खेती किसानों के लिए अच्छा मुनाफा दे सकती है।
उड़द की ऐसी 5 किस्में हैं, जो रोगों से लड़ने में माहिर हैं और दूसरी किस्मों से जल्दी तैयार हो जाती हैं। गाँव के किसानों के लिए ये फसल मेहनत का पूरा दाम दिला सकती है। आइए जानते हैं कि इसे कैसे उगाएँ और कौन सी किस्में बेस्ट हैं।
उड़द की बुवाई का सही समय
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, जायद सीजन में उड़द की बुवाई फरवरी से मार्च के आखिर तक करनी चाहिए। जिन इलाकों में नमी ज्यादा है, वहाँ अप्रैल में भी देर से बुवाई हो सकती है। अच्छी पैदावार के लिए सही किस्म चुनना बहुत जरूरी है। साथ ही, खेत को तैयार करना भी फसल की सेहत के लिए बड़ा काम है। उड़द की खेती में भी यही बात लागू होती है।
कम समय में ज्यादा पैदावार वाली किस्में
उड़द की कुछ चुनिंदा किस्में हैं, जो कम समय में अच्छी पैदावार देती हैं:
1. आजाद उर्द-1: ये किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल तक उपज देती है। दालों का खतरनाक रोग पीला मोजेक भी इसे ज्यादा परेशान नहीं करता।
2. आजाद उर्द-2: ये पीला मोजेक से बचाव करती है और 70-75 दिनों में पककर 12 क्विंटल तक पैदावार देती है।
3. आईपीयू-2-43: ये भी 70-75 दिनों में तैयार होती है और 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। पीला मोजेक से लड़ने में माहिर है।
4. सुजाता: ये किस्म रोगों से बचाती है और 70-75 दिनों में 10-12 क्विंटल तक पैदा करती है।
5. माश-479: ये भी पीला मोजेक से लड़ती है और 70-75 दिनों में 10-12 क्विंटल तक उपज देती है। ये सभी किस्में गाँव के किसानों के लिए जल्दी कमाई का रास्ता खोलती हैं।
खेत को ऐसे करें तैयार
जायद में उड़द की बुवाई के लिए खेत की मिट्टी तैयार करना बड़ा काम है। दोमट और मटियार मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। पहले खेत में पलेवा कर लें, फिर देशी हल या कल्टीवेटर से एक-दो जुताई करें। हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएँ, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। अगर पावर टिलर या ट्रैक्टर हो, तो तैयारी और जल्दी हो जाती है। गाँव में लोग गोबर की खाद भी मिलाते हैं, जिससे मिट्टी की ताकत बढ़ती है और फसल अच्छी होती है। सही तैयारी से फसल की नींव मजबूत बनती है।
बुवाई का तरीका और बीज की मात्रा
उड़द की बुवाई में बीज की सही मात्रा जरूरी है। जायद में इसका पौधा कम बढ़ता है, इसलिए 25-30 किलो बीज प्रति हेक्टेयर काफी है। बुवाई कूंड़ में करनी चाहिए, और कूंड़ से कूंड़ की दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखें। बीज को 4-5 सेंटीमीटर गहरा बोएँ। खाद का इस्तेमाल मिट्टी परीक्षण के हिसाब से करें। अगर टेस्ट न करवाया हो, तो 20 किलो नाइट्रोजन और 30 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
देखभाल और फायदा
उड़द की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं। जायद में 10-12 दिन में एक बार सिंचाई काफी है। फूल आने पर खाद की दूसरी खुराक दें। पीला मोजेक से बचाव के लिए बीज को बोने से पहले 2 ग्राम थाइरम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित करें। समय पर निराई-गुड़ाई करें, ताकि खरपतवार न बढ़ें। सरकार की एमएसपी खरीद से सारा माल बिकेगा, और 10-12 क्विंटल की उपज से अच्छी कमाई होगी। गाँव में ये फसल 2-3 महीने में तैयार होकर हाथ में पैसा देती है।
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