उत्तर प्रदेश में खेती को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने के लिए शुरू किया गया विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 गाँव-गाँव में धूम मचा रहा है। इस अभियान ने तेरहवें दिन तक 15.55 लाख से ज्यादा किसानों को अपने साथ जोड़ लिया है। लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या सहित प्रदेश के सभी 75 जिलों में अब तक 8775 से ज्यादा स्थानों पर गोष्ठियां और जागरूकता कार्यक्रम हो चुके हैं। इन कार्यक्रमों का मकसद है गाँव के किसानों को नई तकनीकों, सरकारी योजनाओं और जलवायु के अनुकूल खेती की जानकारी देना, ताकि उनकी फसल बेहतर हो और कमाई बढ़े।
लखनऊ में किसानों को मिली नई तकनीकों की जानकारी
लखनऊ के चिनहट विकासखंड के धतिंगरा गाँव में एक गोष्ठी हुई, जिसमें किसानों को आधुनिक खेती के गुर सिखाए गए। वैज्ञानिकों ने डीएसआर विधि, पॉलीहाउस, स्प्रिंकलर, मल्चिंग, बीज शोधन और सहफसली खेती जैसे तौर-तरीकों की विस्तार से जानकारी दी। मिट्टी की जांच और सही मात्रा में खाद का इस्तेमाल करने की सलाह भी दी गई। इस कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक विनय कौशल और कृषि विज्ञान केंद्र लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ. एके दुबे, डॉ. कंचन कुमार श्रीवास्तव, डॉ. ललित कुमार, आलोक कुमार पांडेय और ग्राम प्रधान विवेक चौधरी के साथ ढेर सारे किसान शामिल हुए। गाँव वालों ने इन नई तकनीकों को सीखकर खेती को और बेहतर करने का भरोसा जताया।
वाराणसी में जल संचयन और प्राकृतिक खेती पर जोर
वाराणसी के आरज़ी लाइंस में हुए कार्यक्रम में किसानों को सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी दी गई। जल संचयन, वृक्षारोपण और प्राकृतिक खेती जैसे विषयों पर खुलकर बात हुई। उप कृषि निदेशक शैलेंद्र कुमार, अमित जायसवाल और जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह मौर्य ने किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाने का तरीका बताया। गाँव वालों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने और पानी बचाने के लिए नए कदम उठाने का संकल्प लिया। इस तरह के कार्यक्रमों से वाराणसी के किसान अब खेती को और टिकाऊ बनाने की राह पर चल पड़े हैं।
अयोध्या में वैज्ञानिकों और किसानों का संवाद
अयोध्या मंडल में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमागंज में एक बड़ा कार्यक्रम हुआ। इसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, विश्वविद्यालय के कुलपति और सैकड़ों किसान शामिल हुए। इस गोष्ठी में एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम), मल्चिंग और उन्नत बीजों के इस्तेमाल पर गहरी चर्चा हुई। वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि कैसे ये तकनीकें उनकी फसल को कीटों से बचा सकती हैं और पैदावार बढ़ा सकती हैं। किसानों ने वैज्ञानिकों से खुलकर सवाल किए और अपनी समस्याओं का समाधान पाया।
किसानों का उत्साह बढ़ा रहा उम्मीद
यह अभियान यूपी के गाँव-गाँव में किसानों के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा कर रहा है। 15.55 लाख से ज्यादा किसानों की भागीदारी इस बात का सबूत है कि गाँव का अन्नदाता अब नई तकनीकों और नवाचारों को अपनाने के लिए तैयार है। लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या, मेरठ, बहराइच जैसे जिलों में किसान वैज्ञानिकों से सीधा संवाद कर रहे हैं और खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए नए तरीके सीख रहे हैं। इस अभियान के तहत 10,125 स्थानों पर कार्यक्रम होने हैं, और आने वाले दिनों में और ज्यादा किसान इससे जुड़ने वाले हैं। यह अभियान न सिर्फ खेती को मजबूत करेगा, बल्कि गाँव की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
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