किसान भाइयों, खरपतवार फसलों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत हैं। ये पानी, पोषक तत्व और धूप के लिए फसल से होड़ करते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है। क्रिस्टल कंपनी का सिकोसा प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड खरपतवार को उगने से पहले ही खत्म कर देता है, जिससे फसलों को पूरा पोषण मिलता है और उत्पादन बढ़ता है। यह हर्बिसाइड खेती को आसान और मुनाफेदार बनाने का एक भरोसेमंद तरीका है। सिकोसा का इस्तेमाल गेहूँ, मक्का, गन्ना और चावल जैसी फसलों में खासतौर पर फायदेमंद है। आइए, जानते हैं कि सिकोसा कैसे काम करता है और इसे अपनी खेती में कैसे अपनाएँ।
सिकोसा का काम करने का तरीका
सिकोसा एक प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड है, यानी यह खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से पहले ही रोक देता है। यह मिट्टी में एक पतली परत बनाता है, जो खरपतवार के बीजों को बढ़ने से रोकती है, लेकिन फसल के पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाता। सिकोसा सकरी पत्ती वाले खरपतवार (जैसे दूब घास, सवा) और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (जैसे बथुआ, पत्थरचट्टा) दोनों को नियंत्रित करता है। यह हर्बिसाइड मिट्टी में मिलकर खरपतवार के बीजों को निष्क्रिय कर देता है, जिससे फसल की शुरुआती बढ़त मजबूत होती है। इसका असर लंबे समय तक रहता है, जिससे खेत को बार-बार निराई-गुड़ाई की जरूरत कम पड़ती है।
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सही समय पर छिड़काव
सिकोसा का सबसे अच्छा असर तब होता है, जब इसे बुआई के तुरंत बाद या 2-3 दिन के अंदर छिड़का जाए। इस समय खरपतवार के बीज अभी अंकुरित नहीं हुए होते, और सिकोसा उन्हें पूरी तरह रोक देता है। छिड़काव के लिए 150-200 लीटर पानी में प्रति एकड़ सही मात्रा में सिकोसा मिलाएँ, जैसा कि पैकेट पर लिखा हो। छिड़काव के बाद हल्का पानी देना चाहिए, ताकि हर्बिसाइड मिट्टी में अच्छे से मिल जाए। अगर मिट्टी में नमी हो, तो इसका असर और बेहतर होता है। सही समय पर छिड़काव से खरपतवार की समस्या शुरू से ही खत्म हो जाती है, और बाद में महँगे पोस्ट-इमर्जेंट हर्बिसाइड की जरूरत कम पड़ती है।
फसलों के लिए फायदे
सिकोसा प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड (Sikosa pre-emergent herbicide) फसलों को कई तरह से फायदा पहुँचाता है। यह खरपतवार को उगने से रोककर फसल को पानी, पोषक तत्व और धूप की होड़ से बचाता है। गेहूँ, मक्का, गन्ना और चावल जैसी फसलों में इसका इस्तेमाल खासतौर पर कारगर है। सिकोसा पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है, क्योंकि यह मिट्टी में ज्यादा समय तक नहीं रहता और फसल को नुकसान नहीं पहुँचाता। यह खरपतवार को शुरू में ही रोककर फसल की बढ़त को मजबूत करता है, जिससे पैदावार 15-20% तक बढ़ सकती है। साथ ही, यह श्रम और निराई-गुड़ाई का खर्चा भी बचाता है, जो छोटे किसानों के लिए बड़ा फायदा है।
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मिट्टी की सही तैयारी
सिकोसा का असर तभी पूरा होता है, जब खेत की मिट्टी अच्छे से तैयार हो। बुआई से पहले खेत को समतल करें और मिट्टी को बारीक कर लें, ताकि हर्बिसाइड एकसमान फैले। अगर मिट्टी में बहुत ज्यादा जैविक पदार्थ (10% से ज्यादा) हों या खेत में पानी जमा होने की आशंका हो, तो सिकोसा का असर कम हो सकता है। इसलिए, बुआई से पहले मिट्टी की जाँच करें और जरूरत हो तो कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें। छिड़काव के लिए फ्लैट फैन या जेट नोजल वाला स्प्रे पंप इस्तेमाल करें, ताकि दवा खेत में बराबर फैले। सही तैयारी से सिकोसा खरपतवार को जड़ से रोक देता है।
पर्यावरण और लागत में बचत
सिकोसा का इस्तेमाल न सिर्फ खरपतवार नियंत्रण में कारगर है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। यह बारिश में भी असर बनाए रखता है और फसल के लिए हानिकारक नहीं है। इसके अलावा, सिकोसा किफायती है, क्योंकि एक बार छिड़काव से लंबे समय तक खरपतवार नियंत्रित रहते हैं। इससे बार-बार निराई-गुड़ाई या महँगी दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती। यह छोटे और मझोले किसानों के लिए खर्चा कम करने का शानदार तरीका है। बाजार में स्वस्थ और खरपतवार-मुक्त फसलों की माँग बढ़ रही है, और सिकोसा से आपकी फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी।
क्रिस्टल का सिकोसा प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड खरपतवार को उगने से पहले ही खत्म कर देता है, जिससे फसलों को पूरा पोषण मिलता है। सही समय पर छिड़काव, मिट्टी की अच्छी तैयारी, और संतुलित खेती के तरीके अपनाकर आप पैदावार बढ़ा सकते हैं। यह हर्बिसाइड किफायती, पर्यावरण के लिए सुरक्षित, और फसलों के लिए फायदेमंद है।
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