योगी सरकार की पहल, भांग अब नशा नहीं, रोजगार है! सम्भल से शुरू हुई आत्मनिर्भर खेती की क्रांति!

Atmanirbhar Krishak Yojana: खेती को सिर्फ़ अनाज या सब्जियों तक सीमित रखने का ज़माना गया। अब खेती नए-नए रास्ते खोल रही है, और उत्तर प्रदेश के सम्भल ज़िले में योगी सरकार की एक अनोखी पहल ने इसे साबित कर दिखाया। यहाँ भांग के डंठलों से प्राकृतिक फाइबर तैयार करने का काम शुरू हुआ है, जो पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ किसानों की कमाई बढ़ाने का ज़रिया बन रहा है। आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना और एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के ज़रिए यह नवाचार खेती को नया आयाम दे रहा है। आइए, जानते हैं कि यह पहल कैसे काम कर रही है और किसानों के लिए क्या फायदे ला रही है।

भांग का फाइबर, पर्यावरण का दोस्त

भांग के डंठलों से बनने वाला प्राकृतिक फाइबर कपास से ज़्यादा टिकाऊ और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। यह फाइबर कपड़े, रस्सी, कागज़, और यहाँ तक कि बायो-प्लास्टिक जैसी चीज़ें बनाने में इस्तेमाल होता है। भांग की खेती में पानी और रासायनिक खाद की ज़रूरत कम पड़ती है, जिससे मिट्टी की सेहत बनी रहती है। सम्भल में शुरू हुई इस पहल से न सिर्फ़ खेती को नया मुनाफा मिलेगा, बल्कि प्लास्टिक जैसी हानिकारक चीज़ों का इस्तेमाल भी कम होगा। यह फाइबर मज़बूत और टिकाऊ होता है, जिसकी माँग देश-विदेश के बाजारों में बढ़ रही है।

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आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना का योगदान

योगी सरकार ने आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना शुरू की, ताकि किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा हो सके। इस योजना के तहत सम्भल में भांग के फाइबर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण, बीज, और तकनीकी सहायता दी जा रही है। यह योजना फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन्स (FPOs) बनाकर किसानों को एकजुट करती है, ताकि वे अपने उत्पाद को बेहतर दामों पर बेच सकें। योजना के लिए 2022-23 में 100 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, जिससे भांग की खेती और फाइबर उत्पादन जैसे नवाचारों को बल मिला। यह पहल किसानों को नए उपकरण, तकनीक, और बाजार तक पहुँच दिलाने में मदद कर रही है।

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की भूमिका

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) केंद्र सरकार की एक बड़ी योजना है, जिसके तहत 1 लाख करोड़ रुपये का लोन किसानों, FPOs, और कृषि उद्यमियों को दिया जा रहा है। सम्भल में भांग के फाइबर उत्पादन के लिए इस फंड से प्रोसेसिंग यूनिट्स, स्टोरेज, और मार्केटिंग सुविधाएँ तैयार की जा रही हैं। इस फंड में 3% ब्याज छूट और 2 करोड़ तक के लोन के लिए क्रेडिट गारंटी की सुविधा है, जिससे छोटे किसानों को भी आर्थिक मदद मिल रही है। इस फंड ने सम्भल में भांग के डंठलों को प्रोसेस करने की मशीनें और गोदाम बनाने में मदद की है, जिससे फाइबर उत्पादन आसान और किफायती हो गया है।

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भांग की खेती, आसान और फायदेमंद

भांग की खेती करना गेहूँ या चावल जैसी फसलों से आसान है। यह तेज़ी से बढ़ती है और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। सम्भल की जलवायु और मिट्टी भांग की खेती के लिए उपयुक्त है, जिससे यहाँ के किसानों के लिए यह एक सुनहरा मौका है। भांग के डंठलों से फाइबर बनाने के लिए खास मशीनों की ज़रूरत होती है, जो आत्मनिर्भर कृषक योजना और AIF के तहत उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह फाइबर कपड़े, पैकेजिंग, और बायो-प्लास्टिक जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होता है, जिसकी माँग बाजार में तेज़ी से बढ़ रही है। इससे किसानों को नई फसल से दोगुना मुनाफा मिल सकता है।

पर्यावरण और बाजार के लिए फायदे

भांग का फाइबर पर्यावरण के लिए वरदान है। यह बायो-डिग्रेडेबल है, यानी यह पर्यावरण में आसानी से घुल जाता है, जबकि प्लास्टिक सालों तक नुकसान पहुँचाता है। सम्भल में शुरू हुई इस पहल से न सिर्फ़ किसानों की कमाई बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण को भी बचाने में मदद मिलेगी। बाजार में भांग के फाइबर से बने कपड़े, बैग, और अन्य उत्पादों की माँग बढ़ रही है, खासकर विदेशों में। आत्मनिर्भर कृषक योजना के तहत बनाए गए FPOs किसानों को सीधे बाजार से जोड़ रहे हैं, जिससे उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम मिलता है। यह पहल खेती को आत्मनिर्भर और मुनाफेदार बना रही है।

सम्भल में भांग के डंठलों से प्राकृतिक फाइबर बनाने की यह पहल खेती को नया रास्ता दिखा रही है। क्रिस्टल जैसे ब्रांड्स के साथ मिलकर किसान अपनी फसलों को और बेहतर बना सकते हैं, और आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना इस दिशा में बड़ा सहारा है। यह पहल पर्यावरण को बचाने, किसानों की आय बढ़ाने, और खेती को मुनाफेदार बनाने का एक शानदार तरीका है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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