टमाटर की खेती हमारे किसान भाइयों के लिए हमेशा से फायदेमंद रही है। लेकिन कीटों और बीमारियों की वजह से कई बार मेहनत पर पानी फिर जाता है। अब वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ एक ऐसा आसान और देसी तरीका बता रहे हैं, जिससे न सिर्फ़ कीटों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि खेत की मिट्टी भी तंदुरुस्त रहेगी और टमाटर की फसल भी बढ़िया होगी। ये तरीका है टमाटर के साथ तुलसी, गेंदा और धनिया जैसे पौधों को लगाना। ये नन्हे साथी आपके टमाटर के खेत को कीटों से बचाएँगे, रसायनों की ज़रूरत कम करेंगे और आपका मुनाफा बढ़ाएँगे। आइए जानते हैं ये कैसे काम करता है और इसे कैसे अपनाएँ।
तुलसी-गेंदा का जादू
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि टमाटर के खेत में तुलसी और गेंदा लगाने से कीटों का हमला कम हो जाता है। तुलसी और गेंदे के फूलों की तेज़ खुशबू कीटों को भ्रमित कर देती है, जिससे वो टमाटर के पौधों की तरफ़ नहीं आते। तुलसी तो हमारे घर-आँगन की शान है, और इसकी खुशबू कई हानिकारक कीड़ों को दूर भगाती है। उसी तरह गेंदे के पीले-नारंगी फूल न सिर्फ़ खेत को सुंदर बनाते हैं, बल्कि कीटों को भी पास नहीं आने देते।
धनिया भी इस काम में पीछे नहीं है। इसकी पत्तियों में कुछ खास तत्व होते हैं, जो कीटों के बढ़ने और फैलने की रफ्तार को रोक देते हैं। इन पौधों को टमाटर के खेत में किनारे-किनारे या बीच-बीच में लगाने से फसल को प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है।
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मिट्टी की सेहत और खर्च में राहत
टमाटर के साथ तुलसी, गेंदा और धनिया लगाने का फायदा सिर्फ़ कीटों से बचाव तक सीमित नहीं है। ये तरीका खेत की मिट्टी को भी ताकत देता है। इन पौधों की जड़ें मिट्टी में जैविक गतिविधि बढ़ाती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। साथ ही, ये पौधे मिट्टी में नमी को भी बनाए रखते हैं, यानी पानी की कम ज़रूरत पड़ती है।
सबसे बड़ी बात, इस तरीके से आपको कीटनाशक दवाओं पर खर्चा कम करना पड़ता है। बाजार की महँगी दवाएँ खरीदने की बजाय, आप इन देसी पौधों की मदद से अपनी फसल को बचा सकते हैं। ये न सिर्फ़ जेब के लिए अच्छा है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचता।
टमाटर की गुणवत्ता और पैदावार में इजाफा
कृषि विश्वविद्यालयों में हुए शोध बताते हैं कि टमाटर के साथ सहफसली खेती करने से फल की गुणवत्ता बेहतर होती है। टमाटर ज़्यादा चमकदार, स्वादिष्ट और बाजार में बिकने लायक बनते हैं। साथ ही, पैदावार भी बढ़ती है, क्योंकि कीटों का नुकसान कम होता है। मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई किसान इस तरीके को आजमा रहे हैं और अच्छे नतीजे पा रहे हैं। कुछ किसान तो इसे “खेत का प्राकृतिक कवच” कहते हैं। इस तरीके से न सिर्फ़ फसल अच्छी होती है, बल्कि लागत भी कम आती है, जिससे मुनाफा बढ़ जाता है।
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कैसे शुरू करें ये देसी तरीका
इस तरीके को अपनाना बहुत आसान है। टमाटर की बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लें। गोबर की खाद या जैविक खाद डालकर मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ। इसके बाद टमाटर के पौधों के बीच या खेत के किनारों पर तुलसी, गेंदा और धनिया के पौधे लगाएँ। तुलसी और धनिया के बीज आप आसानी से स्थानीय बाजार या नर्सरी से ले सकते हैं। गेंदे के पौधे भी नर्सरी में मिल जाते हैं, या आप इसके बीज बो सकते हैं।
इन पौधों को ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती, बस समय-समय पर पानी और खाद देते रहें। अगर खेत में जगह कम है, तो गमलों में भी इन पौधों को उगा सकते हैं और टमाटर के पास रख सकते हैं।
किसानों की सफलता और जागरूकता
मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के गाँवों में कई किसान इस जैविक तरीके को अपनाकर खुश हैं। वो कहते हैं कि तुलसी, गेंदा और धनिया ने उनकी खेती को आसान और सस्ता बना दिया है। पहले जहाँ वो कीटनाशकों पर ढेर सारा पैसा खर्च करते थे, अब इस देसी तरीके से उनकी जेब में बचत हो रही है। साथ ही, उनकी फसल में रसायनों का इस्तेमाल कम होने से बाजार में टमाटर की माँग भी बढ़ी है, क्योंकि लोग अब जहरीले रसायनों से मुक्त सब्जियाँ पसंद करते हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ज़्यादा से ज़्यादा किसान इस तरीके को अपनाएँ, तो न सिर्फ़ उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण भी बचेगा और ग्राहकों को स्वस्थ टमाटर मिलेंगे।
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