महंगाई से राहत! सरकार बेचेगी 70 लाख टन गेहूं, तय हुई कीमत, जानिए कैसे मिलेगा सस्ता अनाज

 किसान भाइयों और आम लोगों के लिए बड़ी खबर! त्योहारों से पहले गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार अपने गोदामों से 60 से 70 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने जा रही है। यह बिक्री अगस्त 2025 से शुरू होगी और ई-नीलामी के जरिए होगी। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम दाम 2,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इससे न सिर्फ़ लोग सस्ता आटा खरीद सकेंगे, बल्कि बाजार में कीमतें भी स्थिर रहेंगी।

रिकॉर्ड खरीद से भरे गोदाम

इस साल सरकार के पास गेहूं का भंडार भरा पड़ा है। 2025 में सरकार ने 300 लाख टन से ज्यादा गेहूं खरीदा है, जो पिछले साल के 266 लाख टन से कहीं ज्यादा है। 1 जुलाई 2025 तक सरकारी गोदामों में 365 लाख टन गेहूं जमा था। सरकार को राशन की दुकानों के लिए 200 लाख टन और बफर स्टॉक के लिए 75 लाख टन गेहूं चाहिए। इतना गेहूं रखने के बाद भी सरकार के पास ढेर सारा गेहूं बचा है, जिसे अब सस्ते दाम पर बेचा जाएगा।

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सस्ता गेहूं कौन खरीद सकता है

सरकार ने साफ कर दिया है कि यह गेहूं सीधे बड़ी आटा मिलों को नहीं बेचा जाएगा। यह गेहूं खास तौर पर केंद्रीय सहकारी संस्थाओं, जैसे केंद्रीय भंडार, और सामुदायिक रसोई चलाने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को 2,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिलेगा। ये संगठन इस गेहूं से सस्ता आटा बनाकर बेचेंगे, ताकि गाँव के आम लोगों को सस्ता खाना मिले। इससे बिहार के गाँवों में राशन की दुकानों और सामुदायिक रसोई में सस्ता आटा आसानी से उपलब्ध होगा।

बाजार के जानकारों का कहना है कि इस साल गेहूं की मांग पिछले साल जितनी नहीं होगी। पिछले साल सरकार ने 30 लाख टन गेहूं 2,800 रुपये प्रति क्विंटल की औसत कीमत पर बेचा था। लेकिन इस साल बंपर पैदावार की वजह से बड़ी आटा मिलों के पास पहले से ही 4-6 महीने का स्टॉक है। फिर भी, सरकार के पास 60-70 लाख टन गेहूं बेचने के लिए है, जो बाजार में कीमतों को स्थिर रखेगा। बिहार के गाँवों में, जहाँ गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती है, यह योजना किसानों और आम लोगों के लिए राहत लेकर आएगी।

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यह योजना लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सस्ते गेहूं से सहकारी संस्थाएँ और सामुदायिक रसोई सस्ता आटा बनाएँगी, जिससे त्योहारों के समय रोटी की कीमतें कम रहेंगी। बिहार जैसे राज्यों में, जहाँ गेहूं मुख्य फसल है, यह योजना स्थानीय बाजारों में भी कीमतें नियंत्रित रखेगी। साथ ही, किसानों को भी फायदा होगा, क्योंकि सरकार ने पहले ही रिकॉर्ड खरीद की है, और अब यह अतिरिक्त गेहूं बाजार में आएगा। इससे गाँव की अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी।

योजना का असर

सरकार का यह कदम न सिर्फ़ कीमतें कम करेगा, बल्कि गाँव के लोगों को सस्ता और अच्छा अनाज उपलब्ध कराएगा। यह योजना पर्यावरण के लिए भी अच्छी है, क्योंकि सरकार पुराने स्टॉक को बेचकर नया गेहूं स्टोर कर सकती है। बिहार के किसानों के लिए यह एक बड़ा मौका है, क्योंकि सस्ते गेहूं की उपलब्धता से स्थानीय आटा मिलें और रसोई भी फायदे में रहेंगी। तो, इस त्योहारी सीजन में सस्ते आटे की रोटी का मज़ा लें और सरकार की इस योजना का लाभ उठाएँ।

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  • Rahul

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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