बरसात में खिलाएं ये 5 चमत्कारी पत्तियाँ, भेड़-बकरियों की बीमारी करें जड़ से खत्म!

Tree Fodder for Goat: भेड़-बकरियों की सेहत के लिए हरा चारा न सिर्फ पोषण का स्रोत है, बल्कि कई बीमारियों के इलाज का प्राकृतिक उपाय भी है। खासतौर पर बरसात के दिनों में, जब बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं, कुछ खास पेड़-पौधों की पत्तियाँ इन पशुओं को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। इन पत्तियों में दवाइयों जैसे गुण होते हैं, जो पेट की समस्याओं, कीड़ों, और संक्रमण से बचाव करते हैं। बरसात की शुरुआत के साथ यह समय पशुपालकों के लिए इन पत्तियों का उपयोग शुरू करने का है। इतना ही नहीं, इन पत्तियों को बेचकर अतिरिक्त आय भी कमाई जा सकती है, जो पशुपालन को मुनाफे का धंधा बनाता है।

प्राकृतिक इलाज, पांच पत्तियों के गुण

अमरुद की पत्तियाँ

अमरुद की पत्तियाँ एंटीऑक्सीडेंट और टैनिन से भरपूर होती हैं, जो पाचन को बेहतर करती हैं और पेट में कीड़ों को खत्म करने में मदद करती हैं। बरसात में दूषित चारे से होने वाली पेट की परेशानियाँ जैसे गैस और डायरिया इन पत्तियों से नियंत्रित हो सकती हैं। इनमें विटामिन सी भी होता है, जो बकरियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उन्हें कमजोरी से बचाता है। नियमित उपयोग से बकरियों का वजन और ग्रोथ भी बेहतर होती है, जो पशुपालकों के लिए फायदेमंद है।

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नीम की पत्तियाँ

नीम की पत्तियाँ कड़वी होती हैं, लेकिन इनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीपैरासिटिक गुण होते हैं, जो पेट के कीड़ों और त्वचा रोगों से बचाव करते हैं। बरसात में संक्रमण बढ़ने पर नीम की पत्तियाँ पशुओं के लिए प्राकृतिक दवा का काम करती हैं। इनका उपयोग त्वचा की खुजली, घावों, और परजीवियों से राहत दिलाने में मदद करता है। यह पत्तियाँ पाचन को मजबूत करती हैं और बकरियों को स्वस्थ त्वचा प्रदान करती हैं, जो बरसात में नमी से होने वाली समस्याओं से बचाती हैं।

मोरिंगा की पत्तियाँ

मोरिंगा की पत्तियाँ प्रोटीन, विटामिन A, और आयरन से समृद्ध होती हैं, जो बकरियों की ग्रोथ और दूध उत्पादन को बढ़ाती हैं। इनमें एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करते हैं, जो बरसात में ठंड से प्रभावित पशुओं के लिए फायदेमंद है। यह पत्तियाँ पोषण का खजाना हैं, जो कमजोर बकरियों को ताकत देती हैं और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती हैं, जिससे वे बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहती हैं।

नीम गिलोय की पत्तियाँ

नीम गिलोय की पत्तियाँ, जो नीम के पेड़ पर उगती हैं, कड़वे स्वाद के बावजूद एंटीवायरल और इम्यून बूस्टिंग गुणों से भरपूर होती हैं। ये बकरी के बच्चों में डायरिया और बुखार जैसे रोगों से लड़ने में मदद करती हैं, और बरसात में संक्रमण से बचाव करती हैं। यह पौधा प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है, जो बच्चों की मृत्यु दर को कम करने में सहायक है। नियमित थोड़ी मात्रा में खिलाने से बकरियों की सेहत लंबे समय तक बनी रहती है।

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करंज की पत्तियाँ

करंज की पत्तियाँ एंटीबैक्टीरियल और कीटाणुनाशक गुणों से लैस होती हैं, जो त्वचा रोगों और बाहरी परजीवियों से पशुओं की रक्षा करती हैं। इनमें तेल भी होता है, जो पशुओं की त्वचा को नमी देता है और घाव भरने में सहायक है। बरसात में नमी से होने वाली त्वचा की समस्याओं जैसे फंगल इंफेक्शन से बचाने में यह पत्तियाँ कारगर हैं। इसके अलावा, यह पत्तियाँ पाचन को बेहतर करती हैं और पशुओं को स्वस्थ त्वचा प्रदान करती हैं।

खुराक और देखभाल

इन पत्तियों को रोजाना बकरियों के चारे में शामिल करना चाहिए, लेकिन संतुलन बनाए रखना जरूरी है। प्रति बकरी 200-300 ग्राम ताजा पत्तियाँ दिन में एक बार देना पर्याप्त है। बरसात में पत्तियों को साफ करके ही खिलाएँ, क्योंकि गंदगी से संक्रमण का खतरा रहता है। पशुओं को साफ पानी पिलाएँ और चारे को धूप में सुखाकर दूषित न होने दें। अगर बकरी इन पत्तियों को खाने से मना करे, तो शुरू में थोड़ा चारा मिलाकर दें, धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएँ। CIRG के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पत्तियों को काटकर 6-8 घंटे पहले भिगो दें, ताकि जहरीले तत्व कम हों और पाचन आसान हो।

बरसात में ज्यादा नमी से पत्तियों में फफूंदी लगने का खतरा रहता है, इसलिए इन्हें छायादार और हवादार जगह पर सुखाएँ। बकरियों को दूषित चारे से बचाएँ और कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल का छिड़काव करें। अगर पशु में असामान्य लक्षण दिखें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें। साफ-सफाई और नियमित टीकाकरण के साथ ये पत्तियाँ और भी प्रभावी होती हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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