Agni Astra Banane ka Tareeka: मानसून की दस्तक के साथ छत्तीसगढ़ के किसान खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं। खासकर कोरबा जिले के करतला विकासखंड के नवापारा इलाके में किसान अब रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों से दूर होकर प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। ये बदलाव राष्ट्रीय कृषि बैंक नाबार्ड (NABARD) के मार्गदर्शन और प्रशिक्षण से संभव हुआ है।
बारिश के इस मौसम में जहाँ एक ओर किसानों की मेहनत बढ़ी है, वहीं प्राकृतिक तरीकों से खेती करने से उनकी लागत कम हो रही है और पर्यावरण भी सुरक्षित रह रहा है। ये पहल न सिर्फ़ नवापारा के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन रही है।
जीवा खेती क्या है.?
नाबार्ड के कार्यकर्ता दिनेश तिवारी बताते हैं कि नवापारा के किसानों को जीवा खेती के सिद्धांतों से जोड़ा गया है। ये तरीका मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और फसलों को रोगों से बचाने के लिए प्राकृतिक उपायों पर जोर देता है। रासायनिक उर्वरकों की जगह किसान अब खुद बनी जैविक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे खेत की सेहत बेहतर हुई है और फसलों की पैदावार में भी सुधार दिख रहा है। नाबार्ड ने किसानों को कीटनाशक और खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं। ये बदलाव न सिर्फ़ उनकी जेब को हल्का कर रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान से बचा रहा है।
अग्नि अस्त्र: प्राकृतिक कीटनाशक का कमाल
नवापारा के प्रगतिशील किसान डोरेलाल इस बदलाव का जीता-जागता उदाहरण हैं। वे बताते हैं कि अग्नि अस्त्र एक ऐसा प्राकृतिक कीटनाशक है, जो किसान खुद अपने घरों में तैयार करते हैं। ये खास तौर पर बड़े तना छेदक जैसे कीटों को खत्म करने में कारगर है और इसकी प्रभावशीलता छह महीने तक बनी रहती है। इससे बार-बार महंगी रासायनिक दवाएँ खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। डोरेलाल कहते हैं कि अग्नि अस्त्र ने उनकी खेती को आसान और सस्ता बना दिया है। ये दवा न सिर्फ़ फसलों को बचाती है, बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ रखती है।
अग्नि अस्त्र बनाने की आसान विधि (Agni Astra Banane ka Tareeka)
अग्नि अस्त्र बनाने की प्रक्रिया बहुत सरल है और इसे किसान अपने घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इसके लिए 20 लीटर गौमूत्र, 5 किलोग्राम कुटे हुए नीम के पत्ते, 1 किलोग्राम तंबाकू, 500 ग्राम हरी मिर्च का पेस्ट, और 500 ग्राम लहसुन का पेस्ट चाहिए। इन सभी सामग्रियों को एक बड़े बर्तन में मिलाकर उबालें और फिर ठंडा करें। इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराएँ ताकि सारी सामग्री अच्छे से घुल जाए। इसके बाद मिश्रण को छानकर संग्रहित कर लें। खेत में इस्तेमाल के लिए 2 लीटर इस सांद्रित दवा को 100 लीटर पानी में मिलाकर फसलों पर स्प्रे करें। ये तरीका न सिर्फ़ सस्ता है, बल्कि खेतों को रासायनिक जहर से मुक्त भी रखता है।
प्राकृतिक खेती का असर और भविष्य
नवापारा के किसानों की ये मेहनत अब रंग ला रही है। प्राकृतिक खेती से उनकी लागत घट रही है और फसल की गुणवत्ता बढ़ रही है। नाबार्ड का कहना है कि ये पहल टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दे रही है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद होगी। बारिश के इस मौसम में खरीफ फसलों की बुवाई के साथ-साथ ये किसान प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर मिसाल पेश कर रहे हैं। उनकी सफलता से प्रेरित होकर अन्य इलाकों के किसान भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के किसान भाइयों, अगर आप भी रासायनिक खेती से तंग आ गए हैं, तो प्राकृतिक खेती और जीवा खेती को आजमाएँ। नाबार्ड के नजदीकी कार्यालय से प्रशिक्षण लें और अग्नि अस्त्र जैसे देसी तरीकों से खेती करें। इससे आपकी जेब भरेगी, मिट्टी बचेगी, और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। तो देर न करें, आज से ही इस बदलाव की शुरुआत करें और अपनी खेती को नई ऊँचाई दें।
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