उत्तर प्रदेश के सोयाबीन उत्पादन क्षेत्र, जो बुंदेलखंड से लेकर पूर्वी मैदानों तक फैले हुए हैं, के लिए नई उम्मीद जगी है। सही उच्च उत्पादक सोयाबीन किस्मों को अपनाना किसानों की आय बढ़ाने और फसल की गुणवत्ता को बेहतर करने में बड़ा रोल अदा कर सकता है, खासकर जब मौसम के बदलते पैटर्न से निपटना चुनौती बन गया है। इन क्षेत्रों के किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने 2025 के लिए खास किस्में सुझाई हैं, जो उनकी मेहनत को रंग ला सकती हैं। ये किस्में अलग-अलग मिट्टी और जलवायु के हिसाब से तैयार की गई हैं, ताकि हर किसान को फायदा मिले।
बुंदेलखंड के लिए बेस्ट सोयाबीन किस्में
बुंदेलखंड के किसानों के लिए सूखा प्रतिरोधी और जल्दी पकने वाली सोयाबीन किस्में सबसे मुफीद हैं, क्योंकि यहाँ पानी की कमी और अनिश्चित मौसम की दिक्कतें आम हैं। ICAR ने इस क्षेत्र के लिए JS 23-03, JS 23-09, JS 22-12, JS 22-16, MAUS 731, और NRC 165 जैसी किस्में अनुशंसित की हैं। ये किस्में कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं और जल्दी तैयार हो जाती हैं, जिससे किसान समय पर दूसरी फसल भी लगा सकते हैं। इनका इस्तेमाल करने से बुंदेलखंड के किसान अपनी जमीन का पूरा फायदा उठा सकते हैं और आय में इजाफा कर सकते हैं।
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पूर्वी मैदानों के लिए उपयुक्त वैरायटी
पूर्वी उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में मिट्टी और पानी की स्थिति अलग होती है, जहाँ मध्यम से लंबी अवधि वाली सोयाबीन किस्में ज्यादा फायदा देती हैं। ICAR की सलाह के मुताबिक, पूसा सोयाबीन 21, पंत सोयाबीन 27, PS 1670, SL 1028, NRC 128, SL 955, PS 24 (PS 1477), और VLS 89 जैसी किस्में यहाँ के लिए बेस्ट हैं। ये किस्में स्थिर उत्पादन देती हैं और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती हैं। पूर्वी यूपी के किसान इन किस्मों से न सिर्फ अच्छी पैदावार ले सकते हैं, बल्कि अपनी फसल को बाजार में बेहतर कीमत भी दिला सकते हैं।
किसानों के लिए खास टिप्स
इन उच्च उत्पादक सोयाबीन किस्मों को अपनाने के लिए मिट्टी की तैयारी और बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है। बुंदेलखंड के किसानों को सूखा प्रतिरोधी किस्मों के लिए खेत में पानी का प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण पर जोर देना चाहिए, जबकि पूर्वी यूपी के किसानों को लंबी अवधि वाली किस्मों के लिए उचित सिंचाई और पोषक तत्वों की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। समय पर बुआई और फसल की देखभाल से पैदावार दोगुनी हो सकती है। अगर कोई दिक्कत हो, तो नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।
सोयाबीन खेती का भविष्य
ICAR की ये अनुशंसित किस्में उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक नई शुरुआत हैं। बुंदेलखंड और पूर्वी मैदानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई ये वैरायटी न सिर्फ पैदावार बढ़ाएंगी, बल्कि किसानों की आय को भी मजबूत करेंगी। सोयाबीन की खेती से प्रोटीन और तेल की जरूरतें पूरी होती हैं, जो बाजार में अच्छी माँग रखती हैं। तो देर न करें, आज ही इन किस्मों के बारे में अपने स्थानीय कृषि केंद्र से जानकारी लें और अपनी खेती को नई दिशा दें।
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