सुगंध ऐसी कि बासमती भी हो जाए फेल, खरीदार खुद खेत पर आ जाएं, जानें इस धान की खेती के बारे में!

Joha Rice Farming: जोहा धान असम की मशहूर सुगंधित चावल की किस्म है, जो अपने अनोखे स्वाद और खुशबू के लिए देश-दुनिया में पहचानी जाती है। यह न केवल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है, बल्कि भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने में भी मददगार है। प्रति हेक्टेयर 30-40 क्विंटल तक पैदावार और 50-70 रुपये/किलोग्राम की कीमत से यह खेती को समृद्धि की राह दिखाती है। 4 जुलाई 2025, दोपहर 12:52 PM IST को बरसात की शुरुआत के साथ यह सही समय है जोहा धान की खेती शुरू करने का। आईये जानतें हैं, जोहा धान की खेती की पूरी प्रक्रिया, बीज प्राप्ति के तरीके, और मुनाफे के रास्ते को विस्तार से समझेंगे।

जोहा धान की खासियत और लाभ

जोहा धान एक सुगंधित, बासमती जैसी किस्म है, जो 130-140 दिन में पककर तैयार होती है। इसके दाने पतले, लंबे, और सफेद होते हैं, जो खाने में मुलायम और खुशबूदार होते हैं। इसमें प्रोटीन और मिनरल्स की अच्छी मात्रा होती है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है। यह बरसात में भी अच्छी पैदावार देती है और कीट-रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है। प्रति हेक्टेयर 30-40 क्विंटल उत्पादन से किसानों को 1.5-2 लाख रुपये तक की आय हो सकती है। अंतर-फसल जैसे दाल या हल्दी के साथ इसे उगाकर मुनाफा और बढ़ाया जा सकता है। बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर शहरी और निर्यात बाजारों में।

ये भी पढ़ें – धान की ऐसी किस्में जिन पर किसान आंख बंद कर भरोसा करें, हर जमीन पर देगी बंपर फसल

बीज प्राप्ति, कहाँ से और कैसे चुनें

जोहा धान के बीज प्राप्त करना खेती की सफलता की पहली सीढ़ी है। सर्टिफाइड बीज लेना जरूरी है, जो बीमारी-रहित और उच्च पैदावार देने वाले होते हैं। असम के कृषि विश्वविद्यालय, जैसे AAU (असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट), और राज्य के कृषि विभाग से सस्ते और विश्वसनीय बीज मिलते हैं। प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बीज चुनते समय ध्यान दें कि वे पिछले साल की फसल से लिए गए हों और किसी बीमारी से प्रभावित न हों। बाजार से बीज खरीदते समय मान्यता प्राप्त दुकान या सहकारी समितियों से लें। नकली बीज से बचने के लिए बीज पर सरकार का प्रमाण पत्र चेक करें।

खेत की तैयारी और रोपाई का सही समय

जोहा धान की खेती के लिए दोमट या जलोढ़ मिट्टी सबसे उपयुक्त है, जिसमें अच्छी जल निकासी हो और pH 5.5-7.0 हो। खेत को बरसात से पहले 2-3 बार गहरी जुताई करें और हर जुताई के बाद पाटा लगाएँ, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। रोपाई से पहले 10-15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद मिलाएँ। बरसात में जलभराव से बचने के लिए खेत में छोटी नालियाँ बनाएँ। रोपाई का सही समय जून के अंत से जुलाई के मध्य तक है, जब मानसून शुरू हो जाए। नर्सरी तैयार करने के लिए मई के आखिरी हफ्ते से बीज बोएँ। 25-30 दिन की पौध रोपाई के लिए तैयार होती है। पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-25 सेमी रखें।

ये भी पढ़ें – धान की रोपाई के अगले दिन डालें ये 2 में से कोई 1 दवा, खेत से खत्म हो जाएंगे सारे खरपतवार

देखभाल और सिंचाई की बारीकियाँ

जोहा धान को अच्छी पैदावार के लिए नियमित देखभाल चाहिए। रोपाई के बाद पहले हफ्ते तक खेत में 2-3 सेमी पानी रखें, फिर 5-7 सेमी तक बढ़ाएँ। बरसात में अतिरिक्त पानी निकालने के लिए जल निकासी का इंतजाम करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 15-20 दिन बाद पेंडीमेथलीन (3 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। खाद के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम यूरिया, 60 किलोग्राम SSP, और 40 किलोग्राम MOP दें। यूरिया को दो हिस्सों में बाँटें—आधी रोपाई के समय और आधी 30-40 दिन बाद। कीट जैसे स्टेम बोरर से बचाव के लिए नीम तेल (2 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। पत्तियों पर पीले धब्बे दिखें तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।

मुनाफे का गणित और चुनौतियाँ

जोहा धान की खेती से प्रति हेक्टेयर 30-40 क्विंटल उत्पादन और 50-70 रुपये/किलोग्राम की कीमत से 1.5-2 लाख रुपये तक की शुद्ध आय संभव है। लागत लगभग 50-60 हजार रुपये/हेक्टेयर है, जिसमें बीज, खाद, और श्रम शामिल हैं। अंतर-फसल से लागत घटाकर आय 2.5 लाख तक पहुँच सकती है। हालांकि, जलभराव, कीट (जैसे ब्राउन प्लांट हॉपर), और फफूंदी चुनौती हो सकती हैं। इनसे बचाव के लिए जल निकासी, समय पर दवा, और स्वस्थ बीज का इस्तेमाल जरूरी है। बाजार में मांग बढ़ने से यह खेती भविष्य के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो सकती है।

 जोहा धान की मांग निर्यात और शहरी बाजारों में बढ़ेगी, खासकर असम, पश्चिम बंगाल, और पूर्वोत्तर राज्यों में। 2030 तक यह जैविक खेती को बढ़ावा दे सकता है, जिससे कीमत और ऊँची हो सकती है। सरकार की सब्सिडी, जैसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन, से बीज और सिंचाई उपकरण पर 50% तक की मदद मिलती है। जोहा धान की खेती सही योजना और तकनीक से किसानों के लिए समृद्धि का रास्ता है।

ये भी पढ़ें – जादू है इस धान की किस्म में! कम पानी में भी तैयार होती है 90 दिन में, उपज देख हर किसान हैरान

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment