कम जमीन में ज्यादा कमाई, वैजयंती माला की खेती बन सकती है आपकी आमदनी का जरिया

वैजयंती माला, जो भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु को प्रिय मानी जाती है, सिर्फ आध्यात्मिक महत्व की नहीं, बल्कि एक लाभकारी फसल भी है। इस पौधे की खेती से न केवल माला बनाई जाती है, बल्कि इसके फूल और बीज सजावट, रंग बनाने, और औषधीय उपयोग में भी काम आते हैं। जुलाई इसकी खेती शुरू करने का सही समय है, क्योंकि यह पौधा सही मिट्टी और देखभाल के साथ अच्छा पैदावार देता है। आइए, वैजयंती माला की खेती की पूरी प्रक्रिया, फायदे, और सावधानियों को विस्तार से जानते हैं।

वैजयंती पौधा, विशेषताएं और मिट्टी की जरूरत

वैजयंती पौधा हल्दी और कचूर की जाति का होता है, जिसकी पत्तियां चौड़ी और लगभग एक फीट लंबी होती हैं। इसके ऊपर लाल या पीले रंग के सुंदर फूल गुच्छों में लगते हैं, और काले, कड़े बीज माला बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। यह पौधा गहरी बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी, या अच्छी तरह सिंचित मिट्टी में तेजी से बढ़ता है। पीएच मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए, और मिट्टी में जल निकासी का अच्छा इंतजाम जरूरी है। यह पौधा कम पानी और गर्म मौसम में भी पनप सकता है, जो इसे ग्रामीण किसानों के लिए अनुकूल बनाता है।

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खेती की प्रक्रिया, कदम-दर-कदम

वैजयंती माला की खेती शुरू करने के लिए इन चरणों का पालन करें:

  • बीज संग्रह और तैयारी: वैजयंती के बीज प्राकृतिक रूप से या स्थानीय बाजार से खरीदे जा सकते हैं। बीजों को 24 घंटे तक पानी में भिगोएं, ताकि अंकुरण तेज हो।

  • बुवाई: मई-जून में नर्सरी में बीज बोएं। 1 एकड़ में 2-3 किलोग्राम बीज काफी हैं। बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर और 15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं।

  • मिट्टी और खाद: खेत की जुताई करके जैविक खाद (गोबर की खाद, 10-15 टन/एकड़) मिलाएं। शुरुआत में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 30 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ डालें।

  • सिंचाई और देखभाल: पहली सिंचाई बुवाई के बाद तुरंत करें। इसके बाद हर 10-15 दिन में हल्की सिंचाई करें। खरपतवार हटाने और मिट्टी को ढीला रखने के लिए निराई-गुड़ाई जरूरी है।

  • फसल कटाई: पौधे 12-18 महीने में परिपक्व होते हैं। फूल और बीज कटाई के लिए तैयार होने पर इकट्ठा करें। बीजों को सुखाकर माला बनाने के लिए इस्तेमाल करें।

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आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ

वैजयंती माला की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। एक एकड़ से 200-300 किलोग्राम सूखे बीज प्राप्त हो सकते हैं, जिनकी बाजार में कीमत 500-700 रुपये प्रति किलोग्राम है। इसके अलावा, फूलों का उपयोग सजावट और रंग बनाने में होता है, जो अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है। आध्यात्मिक रूप से, वैजयंती माला भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुओं में से एक है। इसे धारण करने से शांति, एकाग्रता, और आर्थिक उन्नति का विश्वास है। पूजा-पाठ, हवन, और यज्ञ में इसका इस्तेमाल इसे और मूल्यवान बनाता है।

सावधानियां और चुनौतियां

वैजयंती की खेती में कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। अतिरिक्त पानी से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए ओवरवॉटरिंग से बचें। कीटों (जैसे एफिड्स) और फफूंदी से बचाव के लिए जैविक कीटनाशक (नीम तेल) का छिड़काव करें। बाजार में बीजों की मांग बढ़ाने के लिए स्थानीय मंदिरों, ज्योतिषियों, और हस्तशिल्प बाजारों से संपर्क करें। शुरुआती निवेश (बीज, खाद, और श्रम) 20,000-30,000 रुपये प्रति एकड़ हो सकता है, लेकिन पहली फसल के बाद मुनाफा 1.5-2 लाख रुपये तक पहुंच सकता है।

वैजयंती माला की खेती न सिर्फ आर्थिक लाभ देती है, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करती है। 7 जुलाई 2025 से इसकी खेती शुरू करने का सही मौका है, क्योंकि सही योजना और मेहनत से यह फसल सोने का ढेर साबित हो सकती है। किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और सरकारी सहायता (जैसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन) का लाभ उठाना चाहिए। इस पारंपरिक फसल को आधुनिक तरीके से अपनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करें, आइए, इस सफर को शुरू करें!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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