बरसात का मौसम आते ही किसान खरीफ प्याज की खेती में जुट जाते हैं। प्याज एक नकदी फसल है, जिसकी माँग बाजार में हमेशा बनी रहती है। यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि इसके पौष्टिक और औषधीय गुण भी इसे खास बनाते हैं। खरीफ सीजन में प्याज की उन्नत किस्म ‘AFLR’ की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है। इस किस्म के बीज अब ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध हैं। आइए, जानते हैं AFLR की खासियत, खेती का तरीका, और बीज कहाँ से मंगवाएँ।
AFLR किस्म की खासियत
AFLR प्याज की उन्नत किस्म है, जो अपनी बेहतरीन पैदावार और भंडारण क्षमता के लिए जानी जाती है। इसका रंग गहरा लाल होता है, जो बाजार में अच्छी माँग रखता है। इस किस्म का एक प्याज 70-80 ग्राम वजनी होता है, और फसल 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 200-300 क्विंटल की बंपर पैदावार मिलती है, जो सामान्य किस्मों से 20-25% ज्यादा है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि AFLR को भंडारण के लिए विशेष जगह की जरूरत नहीं होती। यह किस्म खरीफ सीजन की नमी और बारिश में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, जिससे किसानों को मुनाफा बढ़ता है।
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बीज कहाँ से खरीदें
राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) किसानों की सुविधा के लिए AFLR प्याज के बीज ऑनलाइन बेच रहा है। आप इन्हें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं। यहाँ अन्य फसलों के बीज और पौधे भी उपलब्ध हैं। AFLR का 1 किलो बीज पैकेट 2,200 रुपये में मिल रहा है। साथ ही, 24 जुलाई 2025 तक ऑर्डर करने पर एक जैकेट मुफ्त मिलेगा। आप ऑनलाइन ऑर्डर करके बीज घर पर मंगवा सकते हैं। NSC की वेबसाइट (indiaseeds.com) या ONDC पोर्टल (ondc.org) पर जाकर ऑर्डर करें। यह सुनिश्चित करें कि बीज प्रमाणित और अच्छी गुणवत्ता के हों।
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प्याज की खेती का सही तरीका
जुलाई के आखिरी सप्ताह से AFLR किस्म की बुवाई शुरू करें। बुवाई के लिए ऐसी जगह चुनें, जहाँ पूरे दिन धूप मिले और खेत की देखभाल आसान हो। क्यारियों को 3 मीटर लंबा, 1 मीटर चौड़ा, और 15-20 सेमी ऊँचा बनाएँ। बुवाई से पहले क्यारी में 20-25 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद या मिश्रित जैविक खाद डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं। बीज को क्यारी में 10-15 सेमी की दूरी पर बोएँ। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी नम रहे। खेत में जलभराव से बचें, क्योंकि इससे बीज सड़ सकते हैं।
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खेती में सावधानियाँ
AFLR किस्म खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त है, लेकिन बारिश के मौसम में कीटों और रोगों का खतरा रहता है। प्याज की फसल पर प्याज थ्रिप्स और पर्पल ब्लॉच जैसे रोगों का ध्यान रखें। बुवाई के 20-25 दिन बाद खेत की निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 15-20 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। मिट्टी की जाँच करवाकर उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की मात्रा विशेषज्ञों की सलाह से डालें।
किसानों के लिए सलाह
किसान भाइयों, AFLR प्याज की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए सही समय पर बुवाई करें। बीज खरीदने से पहले ONDC या NSC के अधिकृत डीलर से संपर्क करें। खेत की मिट्टी की जाँच अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से करवाएँ। प्याज की फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए नियमित निगरानी करें। बाजार में लाल प्याज की माँग बढ़ रही है, इसलिए AFLR की खेती आपको 20-30% ज्यादा मुनाफा दे सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए ICAR की वेबसाइट (icar.gov.in) या KVK से संपर्क करें।
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