गुजरात ने पिछले पाँच वर्षों में 3,000 मीट्रिक टन आमों का निर्यात कर वैश्विक बाजार में अपनी धाक जमाई है। राज्य सरकार ने सोमवार को बताया कि इसमें से 29% यानी 856 मीट्रिक टन आम अकेले वित्तीय वर्ष 2024-25 में निर्यात किए गए। इनमें GI टैग प्राप्त गिर केसार आम प्रमुख हैं, जिन्हें 2011 में भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा मिला था। अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में गुजरात के आमों की माँग बढ़ रही है। बावला के USDA-APHIS प्रमाणित गैमा रेडिएशन प्रोसेसिंग प्लांट ने इस सफलता में बड़ी भूमिका निभाई है।
3,000 टन आम निर्यात का रिकॉर्ड
पिछले पाँच वर्षों (2019-20 से 2024-25) में गुजरात ने 3,000 मीट्रिक टन आमों का निर्यात किया, जिसमें से 856 टन अकेले 2024-25 में भेजे गए। गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने इसे बागवानी क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि बताया। गिर केसार के अलावा हापुस (अल्फांसो), राजापुरी, तोतापुरी, और सोनपरी जैसी किस्में भी विदेशी बाजारों में छाई हुई हैं। गुजरात में 4.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी फसलों के तहत है, जिसमें से 1.77 लाख हेक्टेयर (37%) पर आम की खेती होती है। वलसाड, नवसारी, गिर सोमनाथ, कच्छ, और सूरत जिले आम उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं।
बावला का गैमा रेडिएशन प्लांट: निर्यात की कुंजी
गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (GAIC) द्वारा संचालित बावला (अहमदाबाद) का गैमा रेडिएशन प्रोसेसिंग प्लांट आम निर्यात में गेम-चेंजर साबित हुआ है। इस प्लांट ने पिछले पाँच वर्षों में 805 मीट्रिक टन आमों की विकिरण प्रक्रिया (irradiation) की, जो निर्यात के लिए अनिवार्य है। यह सुविधा USDA-APHIS से प्रमाणित है, जो अमेरिका को आम और अनार निर्यात की अनुमति देती है। पहले गुजरात के किसानों को विकिरण के लिए मुंबई जाना पड़ता था, जिससे समय और लागत बढ़ती थी। अब बावला प्लांट ने परिवहन लागत 20-25% तक कम कर दी है और फलों की बर्बादी रोकी है।
गिर केसार की वैश्विक माँग
2011 में GI टैग प्राप्त गिर केसार आम अपनी मिठास और अनूठे स्वाद के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह मुख्य रूप से तलाला (गिर सोमनाथ) और कच्छ में उगाया जाता है। 2023-24 में 689.5 टन आम निर्यात हुए, जिसमें 210 टन केसार आम थे। इसकी खेती गुजरात की रेतीली दोमट मिट्टी और गर्म जलवायु में अच्छी होती है। जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉ. रमेश पटेल के अनुसार, उच्च तापमान और खनिज-युक्त मिट्टी केसार की मिठास को बढ़ाती है। यह किस्म न केवल अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका, बल्कि यूएई और यूरोपीय देशों में भी लोकप्रिय है।
किसानों के लिए लाभ और चुनौतियाँ
गुजरात के आम निर्यात ने किसानों की आय में 15-20% की वृद्धि की है। गुजरात बागवानी विभाग ने 2024 में उत्पादन बढ़ाने के लिए 15.29 करोड़ रुपये की सहायता दी। हालांकि, 2025 में बेमौसम बारिश और तूफान से वलसाड और सूरत में 30-35% फसल नुकसान हुआ। फिर भी, बावला प्लांट और समुद्री मार्ग से निर्यात ने लागत कम की और मुनाफा बढ़ाया। समुद्री मार्ग से निर्यात हवाई मार्ग की तुलना में 30% सस्ता है, जिससे बड़े पैमाने पर निर्यात संभव हुआ।
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