सावधान! धान की फसल को तबाह कर सकते हैं ये 3 कीट, जानें रोकथाम के उपाय

इस साल धान की फसल का रकबा पिछले साल से बढ़कर एक नई उम्मीद जगाने लगा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चालू खरीफ सीजन में धान की बुवाई का क्षेत्रफल 245.1 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जो पिछले साल के 216.2 लाख हेक्टेयर की तुलना में 13.4 फीसदी अधिक है। यह बढ़ोतरी किसानों के लिए खुशखबरी है, लेकिन साथ ही कीटों के प्रकोप से फसल को बचाने की चुनौती भी बढ़ गई है। फसल की शुरुआती अवस्था में तना छेदक, फुदका, और पत्ती लपेटक जैसे कीट पौधे की बढ़वार और उपज को नुकसान पहुंचाते हैं। समय पर इनकी पहचान और नियंत्रण से धान की भरपूर पैदावार संभव है। आइए जानते हैं इन कीटों से निपटने के आसान तरीके।

मौसम और कीटों का असर

इस साल मानसून की अच्छी बारिश ने धान के रकबे को बढ़ाया, लेकिन नमी ने कीटों को भी सक्रिय कर दिया है। जुलाई से नवंबर के बीच तना छेदक, फुदका, और पत्ती लपेटक का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। ये कीट पौधे का रस चूसते हैं या अंदर घुसकर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पैदावार घटती है। किसानों को खेत की निगरानी बढ़ानी होगी, ताकि कीटों से पहले कदम उठाया जा सके। सही समय पर कीटनाशक और घरेलू उपाय फसल को बचा सकते हैं।

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फुदका, धान का दुश्मन

फुदका कीट धान के लिए बड़ा खतरा है, जो हरा और भूरा दो रूपों में आता है। हरा फुदका पत्तियों से रस चूसता है, जिससे वे पीली पड़ जाती हैं और पौधे की वृद्धि रुक जाती है। भूरा फुदका, या बीपीएच, तने के निचले हिस्से में समूह में रहता है और रस चूसकर ‘हॉपरबर्न’ का कारण बनता है, जिसमें पौधे सूख जाते हैं। बचाव के लिए खेत के निचले हिस्सों की नियमित जांच करें। भूरे फुदके से निपटने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL को 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर तने पर छिड़काव करें। गाँव में नीम की पत्तियों का काढ़ा भी कारगर है।

पत्ती लपेटक, पौधे का दुश्मन

पत्ती लपेटक कीट पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर फसल की सेहत बिगाड़ता है। इसकी सुंडी पत्तियों को रेशम जैसे धागे से लपेटकर अंदर का हरा पदार्थ खुरचती है, जिससे पत्तियां सफेद और जालीदार हो जाती हैं, फिर सूख जाती हैं। प्रकोप दिखे तो खेत के दोनों छोर से रस्सी खींचकर फसल के ऊपर से गुजारें, सुंडियाँ पानी में गिरकर नष्ट हो जाएँगी। ज्यादा प्रकोप पर डाइमेथोएट 30% EC को 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। सुबह के समय छिड़काव करें, ताकि धूप का असर कम हो।

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तना छेदक, बालियों का दुश्मन

तना छेदक धान का सबसे खतरनाक कीट है, जो किसी भी अवस्था में नुकसान पहुंचा सकता है। इसकी सुंडी तने में घुसकर गाभा खाती है, जिससे शुरुआती प्रकोप में ‘डेड हार्ट’ और बाद में ‘सफेद बाली’ बनती है, जहाँ दाने नहीं भरते। जुलाई से नवंबर में इसका असर ज्यादा होता है। रोकथाम के लिए पत्तियों के ऊपरी सिरे को काटकर हटाएँ, इससे अंडे नष्ट होंगे। ज्यादा प्रकोप पर कार्बोफ्यूरॉन 3G को 20 किलो प्रति हेक्टेयर या कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4G को 18 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से 3-5 सेमी पानी में डालें।

एकीकृत कीट प्रबंधन और फायदा

समय पर कीटों की पहचान और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) तकनीक फसल को बचा सकती है। गाँव में नीम का तेल या गोबर का घोल भी कीटों को भगाने में मदद करता है। एक हेक्टेयर में 40-50 क्विंटल धान मिल सकता है। MSP 2300 रुपये प्रति क्विंटल होने पर आय 92,000-1,15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर हो सकती है। लागत 20,000-25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर आने पर शुद्ध लाभ 67,000-90,000 रुपये तक पहुंचेगा। सही देखभाल से किसान अपनी मेहनत को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।

आपको मौसम की जानकारी रखनी चाहिए और कीटों के लिए समय-समय पर खेत का मुआयना करना चाहिए। सरकार के कृषि केंद्रों से नई तकनीक और दवाओं की सलाह लें। जैविक तरीकों को अपनाकर मिट्टी की सेहत बनाए रखें। यह मेहनत धान की फसल को न सिर्फ बचा सकती है, बल्कि आने वाले सालों में मुनाफा भी बढ़ा सकती है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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