अब डेयरी से होगी डबल कमाई! जानिए केंद्र सरकार की 8 योजनाओं का पूरा लाभ कैसे लें

देश के दूध उत्पादकों और पशुपालकों के लिए केंद्र सरकार ने कई शानदार योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का मकसद है किसानों की कमाई को बढ़ाना और दूध उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाना। उन्नत तकनीकों, वैज्ञानिक तरीकों और आर्थिक मदद से सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने हाल ही में लोकसभा में बताया कि इन योजनाओं से न सिर्फ पशुपालन आसान होगा, बल्कि किसानों की जिंदगी भी बेहतर होगी। आइए, इन योजनाओं के बारे में आसान भाषा में जानते हैं।

1. मुफ्त कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं की नस्ल में सुधार

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सरकार उन इलाकों में खास ध्यान दे रही है, जहां कृत्रिम गर्भाधान का दायरा अभी कम है। इस योजना में किसानों को उनके घर पर ही मुफ्त कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा दी जा रही है। अच्छी नस्ल के सांडों के वीर्य का इस्तेमाल करके पशुओं की नस्ल को बेहतर बनाया जा रहा है। इससे दूध की पैदावार बढ़ेगी और किसानों को ज्यादा फायदा होगा। यह सुविधा खासकर छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

2. IVF तकनीक से गायों की नस्ल बेहतर, 5000 रुपये की मदद

पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए सरकार इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF तकनीक को बढ़ावा दे रही है। इस तकनीक से गायों में गर्भधारण की पक्की गारंटी मिलती है, और इसके लिए किसानों को 5000 रुपये की आर्थिक मदद भी दी जाती है। यह योजना उन किसानों के लिए खास है, जो कम लागत में ज्यादा दूध देने वाली गायें चाहते हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की मेहनत भी रंग लाएगी।

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3. मादा बछड़े के लिए लिंग-सॉर्टेड वीर्य पर 50% छूट

किसानों को अब मादा बछड़े पैदा करने में आसानी होगी। लिंग-सॉर्टेड वीर्य की मदद से 90% तक सटीकता के साथ मादा बछड़े पैदा किए जा सकते हैं। इस तकनीक की लागत का आधा हिस्सा सरकार उठा रही है, यानी 50% सब्सिडी दी जा रही है। यह सुविधा डेयरी किसानों के लिए गेम-चेंजर है, क्योंकि मादा बछड़े भविष्य में दूध उत्पादन के लिए जरूरी हैं।

5. डेयरी व्यवसाय को नई दिशा देगा राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम किसानों को डेयरी व्यवसाय में मजबूत बनाने के लिए बनाया गया है। इसके तहत दूध को ठंडा करने की मशीनें, दूध की गुणवत्ता जांचने के उपकरण और बुनियादी ढांचा तैयार करने में मदद दी जाती है। साथ ही, सहकारी समितियों के जरिए किसानों को बाजार से जोड़ा जा रहा है। इससे छोटे किसान भी अपने दूध को अच्छे दाम पर बेच सकते हैं और उनकी कमाई बढ़ रही है।

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6. 50 लाख तक की सब्सिडी, बनाएं पशुपालन फार्म

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत किसानों को पशुपालन और चारा उत्पादन के लिए 50 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद मिल रही है। इस योजना में 50% तक की पूंजीगत सब्सिडी दी जाती है, जिससे किसान बकरी, सुअर, मुर्गी या घोड़े जैसे पशुओं के फार्म शुरू कर सकते हैं। यह योजना ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में बड़ा कदम है।

7. सस्ते ब्याज पर लोन, पशुपालन को बनाएं आसान

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के तहत किसानों को पशुधन उत्पादों के प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंचाने के लिए सस्ते ब्याज पर लोन मिलता है। इस योजना में 3% ब्याज की छूट दी जाती है, जिससे छोटे और असंगठित पशुपालक भी अपने व्यवसाय को बड़ा कर सकते हैं। यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है।

8. 1962 किसान ऐप से पशुओं को सही खुराक

पशुओं को सही खाना मिले, इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने 1962 किसान ऐप बनाया है। इस ऐप के जरिए किसान अपने पशुओं के लिए सही आहार की जानकारी ले सकते हैं। स्थानीय संसाधनों के आधार पर प्रोटीन, ऊर्जा और खनिजों का सही संतुलन बनाना अब आसान हो गया है। यह ऐप किसानों को वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन करने में मदद कर रहा है।

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किसान क्रेडिट कार्ड से पशुपालकों को राहत

अब पशुपालक और मत्स्य पालक भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा ले सकते हैं। इस कार्ड के जरिए किसानों को अपने व्यवसाय के लिए आसान कर्ज मिलता है। चाहे व्यक्तिगत किसान हों, संयुक्त समूह हों, स्वयं सहायता समूह हों या किराए के शेड में पशुपालन करने वाले, सभी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इससे पशुपालकों को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता।

जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारी

जलवायु परिवर्तन का असर पशुपालन पर भी पड़ रहा है। इसे देखते हुए सरकार देशी नस्लों को बचाने और जलवायु के अनुकूल चारे की नई किस्में विकसित करने पर जोर दे रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने झांसी में चारा बाजरा, ल्यूसर्न और सेटेरिया जैसी नई किस्में तैयार की हैं, जो सूखा और गर्मी झेल सकती हैं। इससे पशुओं को सालभर चारा मिलेगा और दूध उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा।

करोड़ों रुपये की मदद

पिछले तीन सालों में राष्ट्रीय पशुधन मिशन और पशुधन स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत राज्यों को हजारों करोड़ रुपये की मदद दी गई है। मिसाल के तौर पर, उत्तर प्रदेश को 2024-25 में ही 15076 लाख रुपये मिले हैं। यह रकम पशुओं की सेहत, टीकाकरण और नस्ल सुधार जैसे कामों में खर्च हो रही है, ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो।

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  • Rahul

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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