किसान क्रेडिट कार्ड खातों में 1.8% की गिरावट, जानें 2024-25 में क्यों घटे KCC अकाउंट्स

वित्त वर्ष 2024-25 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खातों की संख्या में 1.8% की कमी देखी गई है। अब यह संख्या 2.25 करोड़ रह गई है, जबकि बकाया लोन राशि 7 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है। यह जानकारी बिजनेस स्टैंडर्ड की एक हालिया रिपोर्ट में सामने आई है। हालांकि, लोन राशि में 2.2% की मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन खातों की संख्या में कमी ने कई सवाल खड़े किए हैं। किसान क्रेडिट कार्ड योजना, जो 1998 में शुरू हुई थी, किसानों को सस्ता और आसान कर्ज देने के लिए बनाई गई थी। फिर भी, कई कारणों से इसकी लोकप्रियता में कमी आई है।

किसान खेती छोड़ रहे

कई किसानों ने खेती छोड़कर अन्य पेशों को अपनाया है, जिससे KCC की जरूरत कम हो गई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, किसानों की आय में सुधार होने से वे अब सहकारी बैंकों, NBFCs या उर्वरक कार्ड जैसे अन्य कर्ज विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, पीएम-किसान योजना और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी योजनाओं ने भी KCC की मांग को प्रभावित किया है। कई किसान अब इन योजनाओं से कर्ज लेना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इनमें प्रक्रिया आसान और लचीलापन ज्यादा है। साथ ही, डिजिटल पेमेंट जैसे रूपे डेबिट कार्ड का चलन बढ़ने से भी KCC की जरूरत कम हुई है।

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पुराने और निष्क्रिय खातों की सफाई

2000 के दशक में KCC खातों को बड़े पैमाने पर खोला गया था, लेकिन इनमें से कई खाते अब निष्क्रिय हो चुके थे। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय के निर्देश पर बैंकों ने इन खातों को बंद कर दिया है। इसका मकसद बैंक पोर्टफोलियो को साफ-सुथरा करना और अनावश्यक खर्च को कम करना है। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने बताया कि डुप्लीकेट और अपात्र खातों की सख्त जांच के बाद उन्हें हटाया गया है। इस प्रक्रिया ने KCC खातों की संख्या तो कम की, लेकिन योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाया है।

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सख्त जांच और तकनीकी दिक्कतें

KCC खातों की जांच प्रक्रिया को अब पहले से ज्यादा सख्त कर दिया गया है। डुप्लीकेट खातों और गलत जानकारी वाले आवेदनों को हटाने का काम तेजी से हुआ है। इसके अलावा, तकनीकी समस्याएं जैसे डिजिटल दस्तावेजों की कमी, पोर्टल पर मिसमैच और बैंक शाखाओं में देरी ने भी KCC खातों के नवीनीकरण में रुकावटें पैदा की हैं। कई छोटे और पुराने डिफॉल्ट लोन खातों को एकमुश्त सुलह (one-time settlement) के जरिए बंद किया गया है, जिससे कुल खातों की संख्या में कमी आई है। ये कदम भले ही खातों की संख्या कम कर रहे हों, लेकिन योजना को ज्यादा जवाबदेह और विश्वसनीय बनाने में मदद कर रहे हैं।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना की खासियत

किसान क्रेडिट कार्ड योजना 1998 में शुरू हुई थी, जिसका मकसद किसानों को सस्ता और आसान कर्ज देना था। यह योजना किसानों, पशुपालकों और मत्स्य पालकों को बीज, खाद, कीटनाशक जैसे कृषि जरूरतों के लिए अल्पकालिक कर्ज देती है। 2004 में इसे और विस्तार दिया गया, ताकि किसान गैर-कृषि गतिविधियों के लिए भी कर्ज ले सकें। इस योजना में 7% की ब्याज दर पर कर्ज मिलता है, जिसमें 2% तक की ब्याज छूट भी दी जाती है। किसान फसल कटाई या बिक्री के बाद कर्ज चुका सकते हैं, जो इसे और लचीला बनाता है। यह योजना साहूकारों की ऊंची ब्याज दरों से किसानों को बचाने में मदद करती है।

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  • Shashikant

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