अमेरिका पर इतना शोर, GST पर खामोशी…सरकार किसानों पर से कब हटाएगी खुद लगाया गया ‘टैरिफ’

किसान भाइयों, आज हमारे खेतों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ थोप दिया है, तो दूसरी तरफ भारत में खाद, ट्रैक्टर, और कीटनाशकों पर जीएसटी का बोझ किसानों की कमर तोड़ रहा है। भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत में कृषि सबसे बड़ी अड़चन बनी, और अब हर तरफ किसानों के हितों की बात हो रही है। लेकिन सवाल ये है कि जब सरकार खुद खेती पर 5 से 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल रही है, तो क्या किसानों को सही मायने में राहत मिल पाएगी? आइए, इस मसले को समझें और देखें कि क्या बदलाव की उम्मीद है।

अमेरिका का टैरिफ, किसानों के लिए नई मुसीबत

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर हमारे खेतों पर नया संकट खड़ा कर दिया है। चाहता था कि भारत अपने बाज़ार को जीएम सोयाबीन, मक्का, और नॉनवेज दूध के लिए खोल दे, लेकिन भारत ने किसानों और पशुपालकों की रक्षा के लिए इस डील को ठुकरा दिया। नतीजा? अमेरिका ने 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया, जिससे समुद्री खाद्य, मसाले, और बासमती चावल जैसे भारतीय कृषि निर्यातों को झटका लगा है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 6.21 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात किए थे, लेकिन अब ये 30 प्रतिशत तक गिर सकता है।

ये भी पढ़ें – भारत-अमेरिका समझौते में छुपा एक बड़ा सच, जानिए किसानों के लिए क्या है दांव पर!

जीएसटी का बोझ, खेती पर टैक्स की मार

जब बात किसानों के हितों की हो रही है, तो भारत में लगने वाला जीएसटी भी चर्चा में आता है। खाद पर 5 प्रतिशत, ट्रैक्टर पर 12 प्रतिशत, और कीटनाशकों पर 18 प्रतिशत जीएसटी किसानों के लिए भारी पड़ रहा है। कीटनाशकों पर इतना टैक्स होने से कई किसान बिल के बिना खरीद करते हैं, जिससे नकली और घटिया एग्रोकेमिकल्स का चलन बढ़ता है। इससे फसल खराब होती है और लागत बढ़ती है। उदाहरण के लिए, एक छोटा किसान जो 5-7 लाख का ट्रैक्टर खरीदता है, उसे 60,000 से 84,000 रुपये सिर्फ़ जीएसटी के रूप में देने पड़ते हैं। दूसरी ओर, लग्ज़री घड़ियों पर सिर्फ़ 5 प्रतिशत और हीरे पर 3 प्रतिशत जीएसटी है।

सब्सिडी में अंतर, भारत बनाम अमेरिका

अमेरिका और भारत के किसानों की स्थिति में ज़मीन-आसमान का फर्क है। अमेरिका में औसत खेत 187 हेक्टेयर का है, जबकि भारत में सिर्फ़ 1.08 हेक्टेयर। अमेरिका अपने किसानों को सालाना 62,000 डॉलर की सब्सिडी देता है, जबकि भारत में ये राशि 300 डॉलर से भी कम है। इतने बड़े अंतर के साथ भारतीय किसान अमेरिकी किसानों का मुकाबला कैसे करें? अमेरिका भारत में दी जाने वाली सब्सिडी को और बढ़ने नहीं देना चाहता। अगर भारत को अपने किसानों के साथ सही मायने में न्याय करना है, तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सब्सिडी के इस भेदभाव को उठाना होगा।

ये भी पढ़ें – अमेरिका के साथ आयात शुल्क घटाने और खरीद नीति पर गरजे किसान नेता चढूनी, सरकार को दी खुली चेतावनी

निर्यात शुल्क, किसानों की कमाई पर चोट

केंद्र सरकार समय-समय पर कुछ कृषि उत्पादों पर 20-40 प्रतिशत निर्यात शुल्क (एक्सपोर्ट ड्यूटी) लगाती है, जिससे किसानों की कमाई सीधे प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, बासमती चावल और समुद्री खाद्य जैसे उत्पादों पर लगने वाला शुल्क किसानों की जेब से लाखों रुपये छीन लेता है। ये पैसा, जो किसानों को मिलना चाहिए, सरकार के खजाने में चला जाता है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 4.78 मिलियन डॉलर का बासमती चावल निर्यात किया, लेकिन टैरिफ और निर्यात शुल्क के कारण ये कमाई अब खतरे में है। किसान भाई पूछ रहे हैं कि जब सरकार उनकी रक्षा की बात करती है, तो ये शुल्क क्यों नहीं हटाए जाते?

पीएम मोदी का दिवाली तोहफा, जीएसटी में राहत?

स्वतंत्रता दिवस 2025 पर लाल किले से पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि इस दिवाली पर जीएसटी दरों में बदलाव का तोहफा मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक, सरकार सिर्फ़ 5 और 18 प्रतिशत की दो टैक्स स्लैब पर विचार कर रही है, जिसमें कृषि उत्पादों और उपकरणों पर टैक्स कटौती शामिल हो सकती है। दिसंबर 2024 में किसान संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से खाद, बीज, और कृषि उपकरणों को जीएसटी से मुक्त करने की माँग की थी। अगर ये माँग पूरी होती है, तो ट्रैक्टर और कीटनाशकों पर टैक्स कम हो सकता है, जिससे छोटे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।

अमेरिका का टैरिफ और भारत का जीएसटी दोनों ने किसानों पर बोझ डाला है। लेकिन पीएम मोदी के जीएसटी कटौती के वादे और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के किसान-केंद्रित रुख से उम्मीद की किरण दिख रही है। पीएम मोदी ने किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा है। अगर जीएसटी कम होता है और निर्यात शुल्क हटता है, तो हमारे खेतों की समृद्धि बढ़ेगी।

ये भी पढ़ें – SKM की महापंचायत में उमड़ा किसानों का सैलाब, 25 अगस्त को दिल्ली कूच का ऐलान

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment