Farmer ID: भारत सरकार खेती को डिजिटल बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसके लिए किसानों को डिजिटल पहचान पत्र यानी किसान पहचान पत्र देने की मुहिम जोरों पर है। यह पहचान पत्र किसानों के भूमि रिकॉर्ड से जुड़ी एक अनोखी डिजिटल आईडी है। अब तक देशभर में 7 करोड़ से ज्यादा किसानों को यह डिजिटल आईडी दी जा चुकी है। कृषि मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक 90 लाख और किसानों को यह आईडी देने का लक्ष्य रखा है। सरकार की योजना 2027 तक देश के 11 करोड़ किसानों को यह विशिष्ट पहचान पत्र उपलब्ध कराने की है। यह पहल किसानों को सरकारी योजनाओं, कर्ज, और बीमा का लाभ आसानी से दिलाएगी।
किसान पहचान पत्र क्या है
किसान पहचान पत्र एक डिजिटल पहचान है, जो किसानों के आधार से जुड़ी होती है और उनके भूमि रिकॉर्ड के साथ डायनामिकली अपडेट होती रहती है। इसमें किसान की जमीन, उगाई जाने वाली फसलों, और अन्य जरूरी जानकारियों का पूरा ब्योरा होता है। यह डिजिटल आईडी सितंबर 2024 में शुरू हुए 2,817 करोड़ रुपये के एग्रीस्टैक मिशन का हिस्सा है। एग्रीस्टैक के तहत गाँवों के भू-नक्शे, फसल बुआई रजिस्ट्री, और किसान रजिस्ट्री का एक बड़ा डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। अब तक 30 राज्यों ने इस डेटाबेस के लिए अपनी सहमति दे दी है। यह सिस्टम किसानों को डिजिटल खेती की दुनिया से जोड़ेगा और उनकी मेहनत का सही दाम दिलाएगा।
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कौन से राज्य हैं सबसे आगे
किसान पहचान पत्र बनाने की इस मुहिम में कई राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अब तक 14 राज्यों ने अपने किसानों को यह डिजिटल आईडी दी है। उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे आगे है, जह千 1.4 करोड़ किसानों को यह पहचान पत्र मिल चुका है। इसके बाद महाराष्ट्र में 1.1 करोड़, मध्य प्रदेश में 87 लाख, और राजस्थान में 78 लाख किसानों को यह आईडी दी गई है। गुजरात में 56 लाख, आंध्र प्रदेश में 45 लाख, तमिलनाडु और तेलंगाना में 31-31 लाख किसानों ने यह डिजिटल पहचान हासिल की है। कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल, ओडिशा, असम, और बिहार जैसे राज्य भी इस दिशा में अच्छी प्रगति कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और पंजाब जल्द ही इस पहल में शामिल हो सकते हैं। यह तेजी दिखाती है कि देश डिजिटल खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
किसानों को क्या फायदा
किसान पहचान पत्र और डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) के डेटा से सरकार ने कई सेवाओं को बेहतर बनाना शुरू कर दिया है। इससे किसानों को कई तरह से फायदा हो रहा है। पीएम-किसान योजना का पैसा अब सीधे किसानों के खाते में तेजी से पहुँच रहा है। डिजिटल आईडी की वजह से किसान क्रेडिट कार्ड और अन्य कर्ज लेने की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हो गई है। साथ ही, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ सही किसानों तक पहुँच रहा है। अधिकारियों ने डीसीएस डेटा का इस्तेमाल शुरू किया है ताकि यह जाँच सकें कि किसान ने क्रेडिट कार्ड या बीमा के लिए जिस फसल का दावा किया, वही उगाई है या नहीं। इससे धोखाधड़ी रुकेगी और सही किसानों को फायदा मिलेगा।
किरायेदार किसानों को भी जगह
कृषि मंत्रालय ने साफ किया है कि इस डेटा का मालिकाना हक राज्यों के पास रहेगा। खास बात यह है कि इस सिस्टम में किरायेदार और पट्टे पर खेती करने वाले किसानों को भी शामिल करने का प्रावधान है। अनुमानों के मुताबिक, देश में 30 से 40 प्रतिशत खेती ऐसे किसान करते हैं, जिनके पास अपनी जमीन नहीं है। राज्य अपनी नीतियों के आधार पर इन किसानों को रजिस्ट्री में जोड़ सकते हैं। इससे किरायेदार किसानों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। यह कदम छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़ा सहारा बनेगा, जो अक्सर सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।
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