सितंबर का महीना आते ही गाँवों में लहसुन की खेती की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। हमारे देश के किसान भाइयों के लिए लहसुन की खेती न सिर्फ़ आसान है, बल्कि यह मोटा मुनाफा भी दे सकती है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि इस बार लहसुन की खेती करें, तो यह लेख आपके लिए है। आज हम बात करेंगे लहसुन की एक खास प्रजाति, यमुना सफेद, के बारे में और यह भी बताएँगे कि खेत को कैसे तैयार करें, बुवाई कैसे करें, और किन बातों का ध्यान रखें ताकि आपकी लहसुन की फसल लहलहाए और बाज़ार में अच्छा दाम दे।
यमुना सफेद मुनाफे की पहली पसंद
लहसुन की कई प्रजातियाँ होती हैं, लेकिन यमुना सफेद आजकल किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह प्रजाति न सिर्फ़ अच्छी पैदावार देती है, बल्कि बाज़ार में इसकी माँग भी ज़्यादा रहती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 140 से 160 दिन में पककर तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में यह 15 से 20 टन तक लहसुन दे सकती है, जो किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। इतना ही नहीं, यह प्रजाति बैंगनी धब्बा और झुलसा जैसे रोगों से भी कम प्रभावित होती है, यानी आपकी फसल को नुकसान का डर कम रहता है। अगर आप अपने गाँव में लहसुन बेचने का सोच रहे हैं या शहर के बाज़ारों तक पहुँचाना चाहते हैं, तो यमुना सफेद आपके लिए सही विकल्प है।
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खेत को ऐसे करें तैयार
लहसुन की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी बहुत ज़रूरी है। सबसे पहले अपने खेत को अच्छे से जोत लें। तीन से चार बार जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। मिट्टी जितनी मुलायम होगी, लहसुन की जड़ें उतनी अच्छी तरह फैलेंगी और पोटियाँ बड़ी-बड़ी बनेंगी। जुताई के बाद खेत में देसी खाद डालें। गाय या भैंस का सड़ा हुआ गोबर इस काम के लिए सबसे अच्छा है। इसे मिट्टी में अच्छे से मिला लें। अगर मिट्टी में नमी कम हो, तो बुवाई से पहले हल्की सिंचाई कर लें। इससे खेत में नमी बनी रहेगी और लहसुन की जड़ें मज़बूत होंगी। ध्यान रहे, खेत में पानी का ठहराव न हो, वरना लहसुन की फसल खराब हो सकती है।
बुवाई का सही तरीका
लहसुन की बुवाई सितंबर के आखिरी हफ्ते या अक्टूबर की शुरुआत में शुरू कर देनी चाहिए। इसके लिए लहसुन की पोटियों को अलग-अलग कर लें। ध्यान रखें कि पोटियाँ स्वस्थ और मोटी हों, ताकि पौधा मज़बूत बने। इन्हें खेत में 10-15 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएँ। ज्यादा गहरा न बोएँ, वरना पोटियाँ छोटी रह सकती हैं। बुवाई के बाद खेत को पुआल या सूखी घास से ढक दें। यह देसी नुस्खा बहुत काम का है। पुआल नमी को बनाए रखता है और खरपतवार को भी रोकता है। इससे आपकी मेहनत कम होगी और फसल को फायदा ज़्यादा।
फसल की देखभाल और मुनाफा
बुवाई के बाद लहसुन की फसल को समय-समय पर पानी देते रहें, लेकिन ज़्यादा पानी न दें। अगर खेत में नमी सही रहेगी, तो पौधे अच्छे से बढ़ेंगे। साथ ही, समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न पनपे। यमुना सफेद की खासियत यह है कि यह रोगों से कम प्रभावित होती है, लेकिन फिर भी अगर पत्तियों में कोई धब्बे या सड़न दिखे, तो नज़दीकी कृषि केंद्र से सलाह लें। जब फसल पक जाए, तो लहसुन की पोटियों को सावधानी से निकालें और धूप में अच्छे से सुखा लें। सूखने के बाद इन्हें बाज़ार में बेचें। यमुना सफेद की माँग गाँव से लेकर शहर तक रहती है, तो आपको अच्छा दाम मिल सकता है।
क्यों चुनें लहसुन की खेती?
लहसुन की खेती हमारे किसान भाइयों के लिए एक सुनहरा मौका है। यह न सिर्फ़ कम लागत में हो जाती है, बल्कि बाज़ार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। खासकर यमुना सफेद जैसी प्रजातियाँ, जो कम समय में तैयार हो जाती हैं और रोगों से बची रहती हैं, आपके लिए मुनाफे का रास्ता खोल सकती हैं। अगर आप अपने खेत में कुछ नया आजमाना चाहते हैं, तो लहसुन की खेती शुरू करें। थोड़ी मेहनत और सही जानकारी के साथ आप अपनी कमाई को दोगुना कर सकते हैं।
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