सितंबर में करें इन 5 सब्जियों की खेती, त्योहारों में रहती है सबसे ज्यादा डिमांड

सितंबर का महीना उत्तर भारत के किसानों के लिए सब्जी खेती शुरू करने का सबसे अच्छा समय है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इस वक्त न गर्मी की तपिश रहती है, न ही सर्दी पूरी तरह शुरू होती है। यह मौसम मूली, गाजर, बैंगन, शिमला मिर्च और हरी मटर जैसी सब्जियों के लिए आदर्श है। ये फसलें जल्दी तैयार हो जाती हैं और सर्दियों के साथ-साथ त्योहारों जैसे दिवाली और क्रिसमस के समय बाजार में इनकी मांग आसमान छूती है। जैविक खेती अपनाने से लागत कम रहती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है। मैंने कई गाँवों में किसानों को देखा है, जो सितंबर की बुवाई से नवंबर-दिसंबर तक अपनी आय को दोगुना कर लेते हैं। सही समय और थोड़ी मेहनत से आप भी त्योहारों में अच्छी कमाई कर सकते हैं।

मूली

मूली सितंबर में बोने के लिए सबसे आसान और फायदेमंद सब्जी है। यह 40-50 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है और दोमट मिट्टी में खूब उगती है। खेत की दो-तीन बार जुताई करें, मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और 10-12 टन गोबर खाद प्रति हेक्टेयर डालें। कतारों में 20-25 सेंटीमीटर दूरी रखकर बीज बोएं। हल्की सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें, क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं। सफेद और लाल मूली की किस्में त्योहारों के समय बाजार में खूब बिकती हैं। एक एकड़ से 100-120 क्विंटल उपज मिल सकती है, जिससे 40-50 हजार रुपये तक की कमाई हो सकती है।

गाजर

गाजर की खेती सितंबर के पहले या मध्य हफ्ते में शुरू करें। रेतीली-दोमट मिट्टी चुनें, जहां पानी का निकास अच्छा हो। खेत की गहरी जुताई के बाद 10-15 टन गोबर खाद डालें। बीज 5-7 सेंटीमीटर दूरी पर बोएं। 60-70 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। सर्दियों में गाजर की मांग दोगुनी हो जाती है, खासकर मिठाई और सब्जी के लिए। एक एकड़ से 80-100 क्विंटल उपज से 35-45 हजार का मुनाफा मिल सकता है। खरपतवार समय पर हटाएं और हल्की सिंचाई रखें।

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बैंगन

बैंगन कम पानी और कम देखभाल में उगने वाली सब्जी है। सितंबर के मध्य में इसकी रोपाई करें। दोमट मिट्टी में पीएच 6-7 रखें और खेत में 10 टन गोबर खाद मिलाएं। पौधों को 45-60 सेंटीमीटर दूरी पर लगाएं। कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल छिड़कें, जो जैविक और सस्ता है। 60-70 दिनों में कटाई शुरू हो जाती है। त्योहारों के समय बैंगन की कीमतें ऊंची रहती हैं। एक एकड़ से 150-200 क्विंटल उपज से 50-70 हजार का लाभ संभव है।

शिमला मिर्च

शिमला मिर्च सितंबर में खुले खेत या पॉलीहाउस में लगाएं। दोमट मिट्टी में पीएच 6-7 और 10-12 टन गोबर खाद डालें। बीज बोने के 30 दिन बाद रोपाई करें और कतारों में 45 सेंटीमीटर दूरी रखें। सप्ताह में दो बार हल्की सिंचाई करें। वायरस से बचाव के लिए जैविक स्प्रे का इस्तेमाल करें। 60-75 दिनों में फसल तैयार होती है। लाल और हरी शिमला मिर्च की डिमांड त्योहारों पर बढ़ती है। एक एकड़ से 100-120 क्विंटल उपज से 60-80 हजार का मुनाफा मिल सकता है।

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हरी मटर

हरी मटर सितंबर के अंत में बोने से नवंबर-दिसंबर में तैयार हो जाती है। दोमट मिट्टी में 10 टन गोबर खाद डालें। बीज 10-15 सेंटीमीटर गहराई और 30 सेंटीमीटर दूरी पर बोएं। नियमित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण करें। नीम-आधारित कीटनाशक से कीटों को दूर रखें। 70-80 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। ताजी मटर की कीमत त्योहारों पर ऊंची रहती है। एक एकड़ से 50-70 क्विंटल उपज से 35-50 हजार का लाभ मिल सकता है।

जैविक खेती से मुनाफा और सेहत का बोनस

इन सब्जियों की खेती में गोबर खाद और जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और बाजार में जैविक सब्जियों के दाम 20-30% ज्यादा मिलते हैं। सरकारी योजनाओं से जैविक खेती पर सब्सिडी भी ले सकते हैं। सितंबर में शुरू कर त्योहारों में अच्छी कमाई करें।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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