Goat Vaccination: बकरियों का अभी कराएं वैक्सीनेशन, सर्दियों में रहेंगी तंदरुस्त और बढ़ेगा उत्पादन

Goat Vaccination: उत्तर भारत के पशुपालकों के लिए सितंबर का महीना बकरियों की देखभाल का सही समय है। ठंडी हवाओं की दस्तक से पहले वैक्सीनेशन करवा लें, ताकि सर्दी में बकरियां स्वस्थ रहें और दूध-मांस का उत्पादन अच्छा हो। मथुरा के केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि बकरियों के शेड में हवा का प्रवाह अच्छा रखें, वरना छोटे बछड़ों को निमोनिया हो सकता है। मैंने कई गांवों में देखा है कि समय पर टीके लगवाने से पशुपालकों का नुकसान 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है। बदलते मौसम में बकरियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं, खासकर अगर वे उत्पादक नस्ल की हों। अभी से कदम उठाएं, तो सर्दी के मौसम में चिंता की कोई बात नहीं रहेगी।

बकरियों को लगने वाले जरूरी टीके

बकरियों में सर्दी के मौसम में प्लेग और चेचक जैसी घातक बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। डॉ. इब्ने अली जैसे पशु विशेषज्ञों की सलाह है कि पीपीआर वैक्सीन (जिसे बकरी प्लेग भी कहते हैं) और चेचक का टीका अभी लगवा दें। पीपीआर एक संक्रमण वाली बीमारी है, जो तेजी से पूरे बाड़े में फैल जाती है। चेचक से बकरियों के शरीर पर चकत्ते उभर आते हैं। सरकारी पशु चिकित्सा केंद्रों पर ये टीके मुफ्त या बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। अगर आपकी बकरियां सिरोही या जमनापारी नस्ल की हैं, तो ये टीके और भी जरूरी हैं। वैक्सीनेशन से न सिर्फ बीमारी रुकेगी, बल्कि बकरियों का वजन बढ़ेगा और बाजार मूल्य भी ऊंचा मिलेगा।

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बीमारियों की पहचान

बकरी में प्लेग के लक्षण दिखते ही सतर्क हो जाएं। डॉक्टर बताते हैं कि दस्त लगना, नाक बहना, निमोनिया और तेज बुखार इसके मुख्य संकेत हैं। बड़ी बकरियों से यह बच्चों तक पहुंच जाता है। चेचक में भी बुखार आता है, चारा-पानी छोड़ देती है, और बछड़े दूध कम पीते हैं। अगर आपके बाड़े में ऐसी निशानियां दिखें, तो तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाएं। शुरुआती स्टेज में पहचान से 80 प्रतिशत मामलों में जान बच जाती है। सर्दियों में ठंडी हवा से ये लक्षण तेज हो जाते हैं, इसलिए रोजाना बकरियों की जांच करें।

बीमारी होने पर तुरंत इलाज शुरू करें

वैक्सीनेशन सबसे अच्छा बचाव है, लेकिन अगर बीमारी हो ही जाए, तो देर न करें। संक्रमित बकरी को अलग कर दें, ताकि बाकी पर न फैले। एंटीबायोटिक्स और सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह से दें। प्लेग-चेचक का इलाज महंगा पड़ता है, जबकि टीके का खर्च नगण्य है। शेड को साफ-सुथरा रखें, ताजा चारा दें और गर्माहट का इंतजाम करें। अनुभव से कहूं तो, अच्छी देखभाल से बकरियां जल्दी ठीक हो जाती हैं और अगले सीजन में बेहतर उत्पादन देती हैं। सरकारी योजनाओं से वैक्सीनेशन कैंप भी लगते हैं, उनमें हिस्सा लें।

शेड और देखभाल के प्रैक्टिकल टिप्स

सिर्फ टीके ही काफी नहीं, शेड में भी बदलाव करें। हवा न आने दें, लेकिन सांस लेने की जगह रखें। बिछावन पर सूखी घास डालें और रोज साफ करें। सर्दी से पहले ड्राई फीड स्टोर कर लें। इससे बकरियां मजबूत रहेंगी और उत्पादन बढ़ेगा। पशुपालन से जुड़े किसान भाई, अभी से तैयारी करें तो सर्दी में नुकसान न होगा।

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  • Shashikant

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