भारत में जीरा न केवल मसाले के रूप में बल्कि औषधीय गुणों के कारण भी बेहद खास महत्व रखता है। यही वजह है कि इसे भारतीय रसोई में विशेष दर्ज़ा प्राप्त है। गुजरात और राजस्थान देश में जीरे के सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं और कुल उत्पादन में इन दोनों का सबसे बड़ा योगदान है। किसानों की बढ़ती जरूरतों और बाजार की मांग को देखते हुए, भाकृअनुप – केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने जीरे की एक नई किस्म सीजेडसी-94 (CZC-94) विकसित की है। यह किस्म जल्दी पकने के साथ-साथ अधिक उत्पादन देने वाली है।
नई किस्म की खासियत
अब तक ज्यादातर किसान जीरा की पुरानी किस्म जीसी-4 (GC-4) की खेती करते आ रहे थे, जिसे पकने में करीब 130 से 140 दिन लगते हैं। वहीं, नई किस्म CZC-94 सिर्फ 100 दिनों में ही तैयार हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें फूल लगभग 40 दिनों में आने लगते हैं, जबकि पुरानी किस्म में फूल आने में 70 दिन लगते हैं।
कीटों से सुरक्षा और बेहतर उत्पादन
फरवरी माह में जब पुरानी किस्म के फूलों पर माहू कीट का प्रकोप होता है, तब तक नई किस्म CZC-94 में फल लग जाते हैं। इसका मतलब है कि यह किस्म माहू कीट से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहती है। यही कारण है कि किसानों को उत्पादन भी अधिक मिलता है और नुकसान की संभावना काफी कम हो जाती है।
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जीरा उत्पादन में भारत की स्थिति
भारत दुनिया का सबसे बड़ा जीरा उत्पादक देश है। विश्व के कुल जीरा उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा भारत में ही होता है। इसमें गुजरात का योगदान 55.95 प्रतिशत और राजस्थान का योगदान 43.97 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि जीरे की खेती इन दोनों राज्यों की अर्थव्यवस्था और किसानों की आय के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
जीरे की यह नई किस्म CZC-94 किसानों को कम समय में अच्छी पैदावार और बेहतर दाम दिलाने का बड़ा अवसर प्रदान करती है। इसकी जल्दी पकने की क्षमता, कीटों से सुरक्षा और अधिक उत्पादन देने की क्षमता इसे खास बनाती है। जिन किसानों ने अब तक पारंपरिक किस्मों की खेती की है, वे इस नई किस्म को अपनाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
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