Kale Makke ki Kheti: किसान भाई, अगर आप मक्का उगाने की सोच रहे हैं, तो काले मक्के को आजमाएं। पीले और लाल मक्के से अलग, यह फसल न सिर्फ दिखने में अनोखी है, बल्कि कमाई भी दोगुनी करती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह पहले से लोकप्रिय है, और अब कई जगह इसका रुझान बढ़ रहा है। मैंने कई किसानों से बात की, जो बताते हैं कि इसकी कीमत 50 से 200 रुपये प्रति किलो तक मिलती है। इसका काला रंग एंटोसायनिन पिगमेंट की वजह से है, जो इसे बाजार में खास बनाता है। कम संसाधनों में ज्यादा मुनाफा देने वाली यह फसल छोटे और बड़े किसानों के लिए सुनहरा मौका है।
स्वास्थ्य लाभ से बढ़ी मांग
काला मक्का सिर्फ खेती का फायदा नहीं देता, बल्कि स्वास्थ्य का खजाना भी है। इसमें एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो पुरानी बीमारियों से लड़ते हैं और सूजन कम करते हैं। फाइबर, विटामिन A, C, B और खनिज पाचन को बेहतर बनाते हैं। लोग इसे सलाद, जूस या ब्रेड में इस्तेमाल करते हैं। स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ने से इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। किसान संजय सैनी जैसे अनुभवी लोग कहते हैं कि इसे ऑर्गेनिक तरीके से उगाना आसान है, बिना ज्यादा रासायनिक खाद के।
बुवाई का सही समय और मिट्टी
काले मक्के की बुवाई मई-जून में करें, ताकि सितंबर-अक्टूबर तक फसल तैयार हो। दोमट या बलुई मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी है, जहां पानी का निकास ठीक हो। मिट्टी का पीएच 6-7 रखें। यह फसल गर्मी और कम पानी सहन कर लेती है। खेत की गहरी जुताई करें और पुरानी फसल के अवशेष हटा दें। बीज की मात्रा 20-25 किलो प्रति एकड़ रखें। अनुभव से कहूं तो, सही मिट्टी चुनने से पैदावार 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
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रोपाई और देखभाल के आसान तरीके
काले मक्के की रोपाई सामान्य मक्के जैसी है। बीज बोने के बाद हल्की सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें। पौधों के बीच 20-25 सेंटीमीटर और कतारों में 60 सेंटीमीटर दूरी रखें। गोबर की खाद 10-15 टन प्रति हेक्टेयर डालें। रासायनिक फर्टिलाइजर की जरूरत कम पड़ती है। खरपतवार को समय पर हटाएं और कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल स्प्रे करें। इसके पौधे सामान्य मक्के से दोगुने लंबे होते हैं, जिससे एक पौधे पर ज्यादा भुट्टे आते हैं। भुट्टों का साइज और वजन भी ज्यादा होता है।
कटाई और बाजार में बिक्री
फसल पकने पर भुट्टे पीले-काले हो जाते हैं, तब कटाई करें। ताजा भुट्टे बाजार में 50-200 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। प्रोसेसिंग करके आटा, चिप्स या स्नैक्स बनाकर बेचें, तो मुनाफा और बढ़ेगा। लागत 20-30 हजार प्रति एकड़ आती है, जबकि कमाई 2-3 लाख तक हो सकती है। प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल उपज संभव है। सरकारी योजनाओं से बीज पर सब्सिडी लें, ताकि लागत और कम हो। मंडियों या निजी खरीदारों से संपर्क करें।
काले मक्के की खेती में ज्यादा बारिश या कीट मुख्य चुनौती हैं। शुरुआत में छोटे स्तर पर आजमाएं, फिर बड़े खेत में करें। ऑर्गेनिक खेती से मिट्टी की सेहत बनी रहती है और बाजार में दाम 20-30% ज्यादा मिलते हैं। किसान भाई, मई में बोएं और सितंबर-अक्टूबर में बंपर मुनाफा लें। यह फसल न सिर्फ कमाई देगी, बल्कि स्वास्थ्य उत्पाद के रूप में भी नाम कमाएगी।
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