Nashik Onion Farmers Protest: महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की खेती किसानों की मुख्य कमाई का स्रोत है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से कीमतों की लगातार गिरावट ने सबको परेशान कर दिया है। सटाना तालुका के किसान भाई-बहन इतने नाराज हो चुके हैं कि उन्होंने सड़क पर उतरकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विंचूर-प्रकाश हाईवे पर शिवतीर्था के पास रास्ता जाम कर दिया गया, जिससे दोनों तरफ का यातायात ठप हो गया। किसानों ने गले में प्याज की मालाएँ पहनकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी हताशा जाहिर की। ये प्रदर्शन इतिहास में पहली बार नासिक के सभी किसान संगठनों का एकजुट प्रयास था, जो बगलान तहसील में हुआ।
प्याज की कीमतों में गिरावट, किसानों की उम्मीदें टूटी
पिछले पाँच-छह महीनों से प्याज के बाजार में कोई सुधार नहीं दिख रहा। उल्टे कीमतें और लुढ़क रही हैं। किसान भाई-बहन ने उम्मीद में प्याज को स्टोर करके रखा था कि भाव बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब आक्रोश इतना बढ़ गया कि वे सड़क पर आ गए। नेफेड ने बाजार में प्याज लाने के बाद कीमत 24 रुपये प्रति किलो तय की थी, लेकिन अब इसे घटाकर 21 रुपये कर दिया गया है। इससे बाजार समितियों में और गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। किसान बताते हैं कि उत्पादन लागत ही 1500 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन बिक्री 500-600 रुपये में हो रही है। ये स्थिति न सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि परिवारों की आजीविका पर भी असर डाल रही है।
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एकजुट प्रदर्शन, सभी संगठनों का संयुक्त आंदोलन
नासिक जिले में पहली बार सभी किसान संगठनों ने प्याज मुद्दे पर एकजुट होकर प्रदर्शन किया। बगलान तहसील में ये आंदोलन डॉ. राहुल सोनवणे के नेतृत्व में चला। रयत क्रांती शेतकरी संघटना, प्रहार शेतकरी संघटना, बगलान शेतकरी संघटना और प्याज उत्पादक संघ जैसे संगठनों ने मिलकर सड़क जाम की। प्रदर्शनकारियों ने लगभग डेढ़ घंटे तक हाईवे बंद रखा और जोरदार नारेबाजी की। आंदोलन स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात था, लेकिन किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखते रहे। ये एकजुटता दिखाती है कि किसान अब चुप नहीं रहेंगे और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करेंगे।
किसानों की प्रमुख मांगें, धोखाधड़ी पर कार्रवाई और मूल्य समर्थन
प्रदर्शन में किसानों ने कई अहम मांगें रखीं। सबसे पहले, नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा किसानों से हो रही कथित धोखाधड़ी पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई। उन्होंने प्याज की खरीद तुरंत बंद करने और मूल्य आधारित योजना लागू करने का आग्रह किया। इसके अलावा, ट्रक ट्रांसपोर्ट यूनियन से अपील की गई कि वे नेफेड और एनसीसीएफ की प्याज लोडिंग न करें, वरना ट्रकों को जलाने की चेतावनी भी दी। किसान चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1500 रुपये प्रति क्विंटल हो और प्याज को आवश्यक वस्तु की सूची में शामिल किया जाए। ये मांगें न सिर्फ कीमत स्थिर करने के लिए हैं, बल्कि किसानों को लंबे समय की राहत देने के लिए भी।
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मंडियों में प्याज के दाम, गिरावट का सिलसिला जारी
15 सितंबर को लासलगांव मंडी में न्यूनतम मूल्य 500 रुपये और औसत 1270 रुपये रहा। पिंपलगांव बसवंत में न्यूनतम 400 रुपये और औसत 1175 रुपये, जबकि उमराणे मंडी में न्यूनतम 500 रुपये और औसत 1100 रुपये रहा। सोलापुर मंडी में लाल प्याज का न्यूनतम 100 रुपये और औसत 900 रुपये रहा। नागपुर में औसत 1425 रुपये, पुणे में स्थानीय प्याज का न्यूनतम 400 रुपये और औसत 950 रुपये, तथा मुंबई प्याज आलू मंडी में औसत 1100 रुपये रहा। ये आँकड़े दिखाते हैं कि गिरावट पूरे महाराष्ट्र में फैल रही है।
मंडियों में प्याज की मौजूदा कीमतें
पिछले 5–6 महीनों से प्याज के दाम में कोई सुधार नहीं आया है। उल्टे NAFED द्वारा प्याज बाजार में लाने से कीमतें और नीचे चली गईं।
15 सितंबर को अलग-अलग मंडियों में कीमतें इस प्रकार रहीं:
लासलगांव मंडी: न्यूनतम ₹500 और औसत ₹1270 प्रति क्विंटल
पिंपलगांव बसवंत मंडी: न्यूनतम ₹400 और औसत ₹1175 प्रति क्विंटल
उमराणे मंडी: न्यूनतम ₹500 और औसत ₹1100 प्रति क्विंटल
सोलापुर मंडी: न्यूनतम ₹100 और औसत ₹900 प्रति क्विंटल (लाल प्याज)
नागपुर मंडी: औसत ₹1425 प्रति क्विंटल
पुणे मंडी: न्यूनतम ₹400 और औसत ₹950 प्रति क्विंटल
मुंबई प्याज-आलू मंडी: औसतन ₹1100 प्रति क्विंटल
राज्य स्तर पर चल रहा आंदोलन, फोन से मंत्रियों तक आवाज
ये प्रदर्शन अकेला नहीं है। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने 12 सितंबर से 19 सितंबर तक सात दिनों का ‘फोन स्ट्राइक’ शुरू किया है। किसान सीधे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों और कृषि मंत्री के कार्यालयों को फोन करके अपनी शिकायतें बता रहे हैं। ये अनोखा आंदोलन सरकार की उदासीनता के खिलाफ है। किसान निर्यात पर प्रतिबंध हटाने, एक्सपोर्ट लाइसेंस जारी करने और नेफेड के जरिए एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहे हैं। गाँवों में किसान संगठन इसे समर्थन दे रहे हैं, ताकि आवाज मजबूत हो।
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