Chandan Ki Kheti: चंदन की लकड़ी की कीमत सुनकर हर किसान के मन में सवाल उठता है कि क्या इसे अपने खेत में उगाया जा सकता है। चंदन की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में होती है, जहाँ की नम जलवायु और पहाड़ी मिट्टी इसे पसंद है। उत्तर भारत में गर्म और शुष्क मौसम की वजह से चंदन के पेड़ कम ही देखने को मिलते हैं। लेकिन सही तरीके अपनाकर यहाँ भी चंदन उगाया जा सकता है। सुल्तानपुर जिले के नोनरा गाँव के किसान रामकुमार यादव ने इसे सच कर दिखाया। उन्होंने सफेद चंदन के पेड़ लगाए और अब गाँव के अन्य किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। आइए, जानते हैं कि उत्तर भारत में चंदन की खेती कैसे शुरू करें और लाखों की कमाई कैसे हो सकती है।
उत्तर भारत में चंदन की खेती की संभावनाएँ
चंदन का पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से सैंटालम एल्बम कहते हैं, अपनी सुगंधित लकड़ी और तेल के लिए मशहूर है। ये पूजा, दवाइयाँ और सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होता है। दक्षिण भारत में ये जंगलों में स्वाभाविक रूप से उगता है, लेकिन उत्तर भारत की गर्मी और कम नमी इसे मुश्किल बनाती है। फिर भी, केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) और भारतीय वानिकी अनुसंधान संस्थान जैसे संगठन इसे उत्तर भारत में संभव बनाने के लिए शोध कर रहे हैं। रामकुमार यादव ने स्थानीय तरीकों से सफेद चंदन उगाया, जो कम पानी और गर्म मौसम में भी चल सकता है। उनके अनुभव से साफ है कि सही तकनीक से उत्तर भारत में भी चंदन की खेती मुनाफे का सौदा है।
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रामकुमार यादव की कहानी, मेहनत से मिली सफलता
सुल्तानपुर के नोनरा गाँव में रहने वाले रामकुमार यादव पिछले 20 सालों से खेती कर रहे हैं। कुछ साल पहले बारिश के मौसम में एक नर्सरी वाला उनके पास आया और सफेद व लाल चंदन के पौधे बेचे। रामकुमार ने 250 रुपये प्रति पौधा देकर इन्हें खरीदा। लाल चंदन का पौधा गलत देखभाल की वजह से सूख गया, लेकिन सफेद चंदन के पौधे आज भी हरे-भरे हैं। रामकुमार ने 25 पौधे लगाए, जो अब 8-10 फीट ऊँचे हो चुके हैं। वे गाँव के किसानों को सलाह देते हैं कि सफेद चंदन उत्तर भारत की मिट्टी और मौसम के लिए ज्यादा उपयुक्त है। उनकी मेहनत दिखाती है कि सही जानकारी और धैर्य से चंदन की खेती यहाँ भी सफल हो सकती है।
चंदन लगाने का सही समय और खेत की तैयारी
रामकुमार बताते हैं कि चंदन का पौधा लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून है, खासकर 15 जुलाई से 15 अगस्त। इस दौरान मिट्टी में नमी रहती है, जो जड़ों को मजबूत करती है। सितंबर तक भी लगाया जा सकता है, लेकिन जल्दी लगाने से पौधा बेहतर बढ़ता है। पौधा लगाने से पहले खेत में 2 फीट x 2 फीट का गड्ढा खोदें। मानसून की 3-4 बारिश के बाद गड्ढे में सड़ा गोबर और मिट्टी बराबर मात्रा में मिलाएँ। गोबर को अच्छे से सुखाकर डालें, ताकि कीड़े न लगें। गड्ढे को ऊपर तक भरकर पौधा लगाएँ। रामकुमार कहते हैं कि अगर गड्ढा पहले से तैयार हो, तो पौधा जल्दी पकड़ लेता है। उत्तर भारत की गर्मी में छायादार जगह चुनें या शुरुआत में नेट का इस्तेमाल करें।
मिट्टी और जैविक खाद का सही उपयोग
चंदन की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जो उत्तर भारत के गंगा मैदानी इलाकों में आसानी से मिलती है। मिट्टी का pH 6.5 से 7.5 होना चाहिए। रामकुमार ने गड्ढे में निकली मिट्टी के बराबर सड़ा गोबर मिलाया। जैसे निर्माण में रेत और सीमेंट मिक्स करते हैं, वैसे ही मिट्टी और गोबर को अच्छे से मिलाएँ। इसके अलावा, वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खली डालने से जड़ें मजबूत होती हैं। जैविक खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखती है और रसायनों की जरूरत कम करती है। गाँवों में गोबर आसानी से मिल जाता है, जो इस खेती को किफायती बनाता है।
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देखभाल और सिंचाई की जरूरत
चंदन का पौधा कम पानी में भी उग सकता है, लेकिन शुरुआती देखभाल जरूरी है। पहले साल हर 10-15 दिन में हल्की सिंचाई करें। मानसून के बाद पानी कम करें, क्योंकि ज्यादा पानी से जड़ सड़ सकती है। चंदन एक परजीवी पौधा है, इसलिए इसे होस्ट पेड़ जैसे नीम, शीशम या आम के पास लगाएँ। ये होस्ट पौधे चंदन को पोषण देते हैं। गर्मी में छाया के लिए नेट या झाड़ियाँ लगाएँ। खरपतवार हटाने के लिए साल में 2-3 बार निराई करें। रोगों से बचाव के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। रामकुमार ने अपने पेड़ों को 4-5 साल तक खास देखभाल दी, और अब वे अपने आप बढ़ रहे हैं।
चंदन की खेती से मुनाफा
चंदन का पेड़ 10-12 साल में पूरी तरह तैयार होता है। रामकुमार बताते हैं कि एक परिपक्व पेड़ 3-4 लाख रुपये में बिक सकता है। अगर 50 पेड़ लगाएँ, तो 15 साल बाद 1.5-2 करोड़ की कमाई हो सकती है। सफेद चंदन की लकड़ी 5-10 हजार रुपये प्रति किलो बिकती है, और इसका तेल 50,000 रुपये प्रति लीटर तक जाता है। शुरुआती लागत कम है – 250 रुपये प्रति पौधा और सालाना 5-10 हजार की देखभाल। लेकिन चोरी का खतरा रहता है, इसलिए खेत में बाड़ लगाएँ। उत्तर भारत में इंटरक्रॉपिंग के साथ चंदन उगाने से अन्य फसलों से भी आय होती है।
कानूनी जरूरतें और सलाह
चंदन की खेती भारत में वैध है, लेकिन कटाई से पहले वन विभाग से परमिट लें। 2002 में चंदन पर प्रतिबंध हट गया, फिर भी सूचना देना जरूरी है। गाँव के किसान नजदीकी कृषि केंद्र या वन विभाग से संपर्क करें। रामकुमार सलाह देते हैं कि छोटे स्तर पर शुरू करें और 10-20 पौधों से अनुभव लें। सीएसएसआरआई जैसे संस्थान मिट्टी सुधार की तकनीक दे रहे हैं।
सुल्तानपुर के रामकुमार यादव ने दिखाया कि उत्तर भारत में चंदन की खेती मुमकिन है। सही समय, जैविक खाद और देखभाल से आप भी अपने खेत को सोने में बदल सकते हैं। 10-12 साल की मेहनत से लाखों की कमाई हो सकती है। गाँव के किसान भाई-बहन इस मौके को अपनाएँ और चंदन की खेती से समृद्धि लाएँ।
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