रबी मौसम की शुरुआत होते ही गेहूँ की बुआई की हलचल शुरू हो जाती है। अच्छी किस्म के बीज से बोई गई फसल न सिर्फ अच्छी पैदावार देती है, बल्कि बाजार में भी बेहतर कीमत दिलाती है। GW-451 नाम की ये गुजरात की शानदार किस्म अब पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है। ये समय पर बोने वाली, सिंचित खेतों के लिए बनी है, और इसकी पैदावार 45-47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। अगर आप भी अपने खेत में लहलहाती गेहूँ की फसल उगाना चाहते हैं, तो इस बीज को चुनें। आइए, इस किस्म की पूरी जानकारी लें, ताकि बुआई की तैयारी आसान हो जाए।
GW-451 किस्म की खासियतें
GW-451 गेहूँ की एक ऐसी किस्म है, जो गुजरात के कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। ये ब्रेड व्हीट की श्रेणी में आती है, और इसका विकास समय पर बोने और सिंचाई वाली स्थितियों के लिए किया गया है। पौधे का विकास सेमी-इरेक्ट होता है, यानी सीधा बढ़ता है, और इसमें अच्छी टिलरिंग क्षमता है, जिससे खेत में पौधे घने होते हैं। हेडिंग डेज 54-63 दिन के बीच होते हैं, और दाने बोल्ड साइज के होते हैं, जो बाजार में पसंद किए जाते हैं। अनाज का टेक्स्चर सेमी-हार्ड होता है, जो आटा बनाने के लिए आदर्श है। सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये लॉजिंग रेसिस्टेंट है, यानी तेज हवा या बारिश में भी पौधे गिरते नहीं।
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बुआई का सही समय और तरीका
GW-451 की बुआई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के प्रारंभ तक है। उत्तर भारत के गाँवों में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बोना आदर्श है, ताकि फसल दिसंबर-जनवरी में अच्छे से बढ़े। बुआई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। बीज की मात्रा 40 किलो प्रति एकड़ रखें। डिबलिंग विधि से बोएँ, जिसमें पंक्ति से पंक्ति 20-22 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे 10-15 सेंटीमीटर फासला हो। बीज को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम या थीरम से उपचारित करें, ताकि रोग न लगें। गाँव के किसान भाई बताते हैं कि सही समय पर बोने से फसल 120-130 दिनों में तैयार हो जाती है, और कटाई मार्च-अप्रैल में हो जाती है।
मिट्टी और खाद की तैयारी
GW-451 के लिए दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जिसमें pH 6.0 से 7.5 हो। खेत में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए, ताकि पानी रुके नहीं। बुआई से पहले 10-12 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। रासायनिक खाद के लिए नाइट्रोजन 120 किलो, फॉस्फोरस 60 किलो और पोटाश 40 किलो प्रति हेक्टेयर दें। नाइट्रोजन को तीन भागों में डालें – 1/3 बुआई पर, 1/3 पहली सिंचाई पर और बाकी फूल आने पर। गाँवों में जैविक खेती करने वाले किसान वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है। सही खाद से दाने मोटे और चमकदार निकलते हैं।
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GW-451 सिंचाई वाली फसल है, इसलिए 4-5 सिंचाई पर्याप्त हैं। पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन बाद करें, जब पौधे 15-20 सेंटीमीटर ऊँचे हों। दूसरी क्राउन रूटिंग स्टेज पर, तीसरी टिलरिंग पर, चौथी जॉइंटिंग पर और पाँचवीं फूल आने पर। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है, इसलिए मिट्टी सूखने पर ही पानी दें। ड्रिप इरिगेशन अपनाने से पानी की बचत होती है। गाँवों में जहाँ पानी की कमी है, वहाँ मल्चिंग करें, ताकि नमी बनी रहे।
रोग और कीटों से बचाव
GW-451 रोग प्रतिरोधी है, लेकिन सावधानी बरतें। रस्ट और कर्नल ब्लब के लिए प्रोपिकोनाजोल छिड़कें। कीटों जैसे एफिड्स के लिए इमिडाक्लोप्रिड का इस्तेमाल करें। जैविक तरीके से नीम का तेल लगाएँ। गाँवों में शुरुआती जाँच से 70% नुकसान बच जाता है।
फसल तैयार होने पर 75-80% पौधे पीले पड़ जाएँ तो कटाई करें। पैदावार 45-47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। अच्छी देखभाल से बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो तक मिलते हैं।
NSC की जानकारी: बीज कैसे प्राप्त करें
राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) भारत सरकार की एक प्रमुख कंपनी है, जो 1963 से स्थापित है। ये मिनी रत्न कैटेगरी की कंपनी है, जो 80 फसलों की 621 किस्मों के बीज उत्पादन करती है। NSC का मुख्यालय नई दिल्ली में है, और इसके 48 क्षेत्रीय कार्यालय, 11 क्षेत्रीय दफ्तर और 5 फार्म हैं। GW-451 गेहूँ के बीज 40 किलो का पैक सिर्फ 1870 रुपये में उपलब्ध है। प्राप्त करने के लिए NSC के स्टोर पर जाएँ, बीज चुनें, कार्ट में डालें और पेमेंट करें। डिलीवरी पूरे देश में होती है। अगर स्टोर न हो, तो नजदीकी NSC डीलर या कृषि केंद्र से संपर्क करें। ये बीज सत्यापित और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जो अच्छी पैदावार की गारंटी देते हैं।
GW-451 गेहूँ की बुआई से आपके खेत को नई जान मिलेगी। उच्च पैदावार, रोग प्रतिरोध और अच्छे दाने इसकी खासियत हैं। सही समय पर बुआई, खाद और सिंचाई से आपकी फसल लहलहाएगी। NSC से बीज लेकर इस रबी सीजन में बंपर पैदावार पाएँ। गाँव के किसान भाई-बहन खेती को वैज्ञानिक बनाएँ और समृद्धि लाएँ।
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