अक्टूबर का महीना भारतीय किसानों के लिए खास है। इस समय ठंडी सब्जियों की खेती शुरू करने का सबसे अच्छा मौका होता है। इस मौसम में तापमान और नमी ऐसी होती है, जो फसलों की अच्छी बढ़त के लिए जरूरी है। पालक, मूली, गाजर, फूलगोभी, और मटर जैसी सब्जियां न केवल जल्दी तैयार होती हैं, बल्कि बाजार में इनकी अच्छी कीमत भी मिलती है। इन फसलों की खासियत यह है कि इनमें लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है।
पालक
पालक की खेती अक्टूबर में शुरू करना किसानों के लिए फायदेमंद है। यह फसल ठंडे मौसम में तेजी से बढ़ती है और 30-40 दिनों में तैयार हो सकती है। पालक की अच्छी किस्में जैसे पूसा हरित या पूसा ज्योति चुनें। यह कम खर्च में अच्छी पैदावार देती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। खेत की मिट्टी को अच्छे से तैयार करें और जैविक खाद का उपयोग करें ताकि पत्तियां स्वस्थ और हरी रहें।
मूली और गाजर
मूली और गाजर की खेती के लिए अक्टूबर का मौसम बहुत अच्छा है। मूली की अगेती किस्में 40-45 दिनों में तैयार हो जाती हैं और प्रति हेक्टेयर 150-300 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती हैं। गाजर की जड़ें इस मौसम में अच्छी तरह विकसित होती हैं और 70-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं। अगर अच्छी देखभाल की जाए, तो गाजर का उत्पादन 40 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है। दोनों ही सब्जियां बाजार में अच्छे दाम पर बिकती हैं।
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फूलगोभी और ब्रोकली
फूलगोभी और ब्रोकली की खेती अक्टूबर में शुरू करने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। फूलगोभी की कुछ किस्में 50-60 दिनों में तैयार हो जाती हैं और प्रति हेक्टेयर 40 टन तक उत्पादन दे सकती हैं। ब्रोकली की नर्सरी अक्टूबर में तैयार करें और 4-5 हफ्तों बाद रोपाई करें। यह फसल 60-65 दिनों में तैयार हो सकती है। शहरों में इन सब्जियों की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है।
मटर और प्याज
मटर की बुवाई अक्टूबर में करें, लेकिन ध्यान रखें कि खेत में नमी सही हो। ज्यादा बारिश से बीज सड़ सकते हैं। प्याज की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 6.5-7.5 होना चाहिए। लाल दोमट या काली मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है। इन फसलों की बुवाई सही समय पर करने से पैदावार बढ़ती है और बाजार में अच्छा दाम मिलता है।
इन सब्जियों की खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच करवाएं। जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करें। सही समय पर बुवाई और नियमित देखभाल से पैदावार बढ़ सकती है। स्थानीय कृषि केंद्रों से अच्छी किस्मों के बीज लें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं।
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