गेंदा फूल अब केवल मंदिरों और सजावट तक सीमित नहीं है; यह बिहार, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों में किसानों के लिए आय का बड़ा स्रोत बन गया है। शादी-विवाह, नवरात्रि, दीपावली, छठ जैसे त्योहारों में इसकी मांग आसमान छूती है। इसके अलावा, मुर्गी पालन में गेंदे के फूलों का उपयोग अंडों की जर्दी को गहरा पीला करने और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हो रहा है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा की वैज्ञानिक डॉ. संचिता घोष के अनुसार, वैज्ञानिक विधि से गेंदा की खेती करने पर कम लागत में लाखों का मुनाफा संभव है। सितंबर से दिसंबर का समय इसकी खेती के लिए सुनहरा मौका है। आइए जानें, कैसे यह फूल आपके खेत को धन का खजाना बना सकता है।
गेंदा की खेती का सही समय और जलवायु
गेंदा की खेती साल भर संभव है, लेकिन सितंबर से दिसंबर त्योहारों के कारण सबसे लाभकारी समय है। इस दौरान बुवाई करने पर अक्टूबर के अंत से फूल आना शुरू हो जाते हैं, जो नवंबर-दिसंबर की ऊंची मांग को पूरा करते हैं। गेंदा के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श है, और यह हल्की ठंडी जलवायु में भी अच्छी तरह बढ़ता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे मैदानी क्षेत्र इसके लिए उपयुक्त हैं। गर्मी में अधिक सिंचाई और छायादार व्यवस्था जरूरी हो सकती है। नमी बनाए रखने के लिए खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था करें।
मिट्टी और खेत की तैयारी
गेंदा की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जिसका pH 6.0-7.0 हो। भारी मिट्टी में जलभराव से बचें, क्योंकि यह जड़ सड़न का कारण बन सकता है। खेत तैयार करने के लिए 3-4 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल सड़ी गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन 100-120 किलो, फॉस्फोरस 60-80 किलो, और पोटाश 60 किलो प्रति हेक्टेयर दें। आधा नाइट्रोजन बुवाई के समय और बाकी दो हिस्सों में रोपाई के 30 और 50 दिन बाद दें। खेत में मेड़ बनाएं और जल निकास का ध्यान रखें।
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उन्नत किस्में: पूसा नारंगी और बसंती की खासियत
डॉ. संचिता घोष पूसा नारंगी, पूसा बसंती, और शिराकोल किस्मों की सलाह देती हैं। पूसा नारंगी 120-125 दिनों में फूल देना शुरू करती है और 50-60 दिनों तक लगातार फूल देती है। इसके फूल चटक नारंगी, बड़े और टिकाऊ होते हैं, जो बाजार में 50-100 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। पूसा बसंती पीले फूलों वाली किस्म है, जो सजावट और माला बनाने के लिए लोकप्रिय है। शिराकोल किस्म छोटे फूलों वाली, लेकिन अधिक मात्रा में उत्पादन देती है। औसत उपज 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है, और त्योहारी सीजन में कीमतें दोगुनी हो जाती हैं।
वैज्ञानिक बुवाई और रोपाई की तकनीक
गेंदा की बुवाई नर्सरी में करें। बीज दर 1.5-2 किलो प्रति हेक्टेयर रखें। नर्सरी में बीज बोने के 25-30 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। रोपाई के लिए पौधों के बीच 40×40 सेमी दूरी रखें, जैसा डॉ. घोष सुझाती हैं। इससे हवा और धूप अच्छी मिलती है, और फूलों का आकार बड़ा होता है। गेंदा को टमाटर, मिर्च या बैंगन के साथ मिश्रित खेती में मेड़ों पर लगाएं। यह न केवल जगह बचाता है, बल्कि गेंदे के कीट-नाशक गुणों से सब्जियों को सुरक्षा मिलती है। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। पिंचिंग (शीर्ष कटाई) 30-40 दिन बाद करें ताकि पौधे झाड़ीदार बनें और फूल ज्यादा आएं।
सिंचाई, खरपतवार और कीट प्रबंधन
गेंदा को नियमित सिंचाई चाहिए, खासकर फूल आने के समय। गर्मी में 5-7 दिन और सर्दी में 10-12 दिन के अंतराल पर पानी दें। जलभराव से बचें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। कीटों में मकड़ी घुन और माहू मुख्य हैं। नीम तेल या डाइमेथोएट का छिड़काव करें। रोगों में पाउडरी मिल्ड्यू और जड़ सड़न से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम का उपयोग करें। जैविक खेती के लिए नीम खली और वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल बढ़ाएं।
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कटाई और बाजार मांग
गेंदा के फूल 120-125 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं और 50-60 दिन तक फूल देते हैं। सुबह या शाम को फूल तोड़ें ताकि ताजगी बनी रहे। उपज 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। त्योहारी सीजन में कीमतें 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती हैं। माला बनाकर बेचने पर प्रति माला 50-200 रुपये तक मिलते हैं। बिचौलियों से बचने के लिए डायरेक्ट बिक्री पर जोर दें।
लाखों की कमाई
एक हेक्टेयर में गेंदा की खेती की लागत लगभग 50,000-70,000 रुपये आती है, जिसमें बीज, खाद, मजदूरी और सिंचाई शामिल हैं। औसत उपज 200 क्विंटल और 50 रुपये प्रति किलो की दर से 10 लाख रुपये तक की आय हो सकती है। माला बिक्री से अतिरिक्त मुनाफा संभव है। शुद्ध लाभ 5-7 लाख रुपये तक हो सकता है। मिश्रित खेती से लागत और कम हो जाती है।
गेंदा की खेती छोटे और बड़े किसानों के लिए आय का मजबूत स्रोत है। वैज्ञानिक विधि, सही किस्म, और समय पर देखभाल से आप त्योहारी सीजन में लाखों कमा सकते हैं। जैविक और मिश्रित खेती को अपनाकर पर्यावरण और मुनाफा दोनों बढ़ाएं। अपने खेत को गेंदे की चमक से रोशन करें और आर्थिक समृद्धि पाएं।
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