अब सस्ते होंगे कृषि उपकरण, फसल और फल, GST 12% से घटकर 5%, किसानों की लागत होगी कम

22 सितंबर 2025 से भारत में जीएसटी की नई दरें लागू हो गई हैं, जो रोजमर्रा के सैकड़ों सामानों को सस्ता बना रही हैं। मोदी सरकार ने इस बदलाव से 125 करोड़ आबादी को राहत दी है, लेकिन खास तौर पर किसानों को फायदा पहुंचाया है। खेती-किसानी से जुड़े उपकरण, उर्वरक, फल-सब्जियां, डेयरी उत्पाद और अन्य सामानों पर टैक्स दरें 12-18% से घटाकर 5% कर दी गई हैं। इससे खेती की लागत कम होगी, मुनाफा बढ़ेगा और छोटे-मध्यम किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। आइए जानते हैं, इन बदलावों का कृषि क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा।

कृषि उपकरण सस्ते

किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी कृषि उपकरणों की है। ट्रैक्टर, पावर टिलर, पेड्डी ट्रांसप्लांटर, मल्टीक्रॉप थ्रेशर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल जैसे उपकरणों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे छोटे किसान सस्ते में आधुनिक मशीनरी खरीद सकेंगे, जो खेती की दक्षता बढ़ाएगी। उदाहरण के लिए, एक 40 एचपी ट्रैक्टर की कीमत में 7% की कमी आ सकती है, जो हजारों रुपये की बचत का मतलब है। सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों पर भी 5% जीएसटी लगेगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सस्टेनेबल फार्मिंग को बढ़ावा देगा।

उर्वरक और कीटनाशक

उर्वरकों पर भी राहत मिली है। अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड जैसे रसायनों पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% हो गया है। जैव-कीटनाशक और सूक्ष्म पोषक तत्वों (जैसे जिंक सल्फेट) पर 12% से 5% टैक्स लगेगा। इससे जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, क्योंकि किसान सस्ते में प्राकृतिक उर्वरक इस्तेमाल कर सकेंगे। एक हेक्टेयर खेत के लिए उर्वरक लागत में 10-15% की कमी आ सकती है, जो छोटे किसानों के लिए बड़ी बचत है। सरकार का यह कदम मिट्टी की सेहत सुधारने और रासायनिक निर्भरता घटाने की दिशा में है।

ये भी पढ़ें- Pashu Mitra: 4 घंटे काम और ₹5 हजार मानदेय, गांव-गांव में होंगे पशु मित्र भर्ती

फल-सब्जी और फूड प्रोसेसिंग

तैयार या संरक्षित सब्जियां, फल, मेवे पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे किसान अपने उत्पादों को प्रोसेस करके ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे। उदाहरण के लिए, अचार, जूस या ड्राय फ्रूट्स बनाने वाले ग्रामीण उद्यमी सस्ते में पैकेजिंग कर सकेंगे। मछली पालन करने वालों के लिए ‘तैयार या संरक्षित मछली’ पर 5% जीएसटी राहत है, जो जलीय कृषि को बढ़ावा देगा। इससे तटीय और नदी क्षेत्रों के किसानों को फायदा होगा।

डेयरी और शहद

डेयरी क्षेत्र में दूध और पनीर पर जीएसटी शून्य रहेगा, लेकिन मक्खन, घी जैसे उत्पादों पर 12% से 5% टैक्स लगेगा। दूध के डिब्बों (लोहा/स्टील/एल्यूमिनियम) पर भी 5% जीएसटी होगा। इससे डेयरी किसानों की लागत घटेगी। प्राकृतिक शहद पर 18% से 5% कटौती मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करेगी। आदिवासी समुदायों और ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों को विशेष लाभ मिलेगा, क्योंकि शहद उनकी मुख्य आय का स्रोत है। तेंदू पत्ता पर 18% से 5% टैक्स कटौती ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसानों के लिए वरदान है।

ये भी पढ़ें- खेती में अब महिलाएं आगे! 77% ग्रामीण महिलाएं संभाल रहीं कृषि का मोर्चा, पुरुष कहाँ गायब?

किसानों के लिए समग्र लाभ

इन बदलावों से खेती की कुल लागत 10-20% घट सकती है, खासकर छोटे किसानों के लिए। ट्रैक्टर और उर्वरक सस्ते होने से उत्पादकता बढ़ेगी, जबकि शहद और तेंदू पत्ता जैसे उत्पादों पर कम टैक्स से वैकल्पिक आय के स्रोत मजबूत होंगे। सरकार का अनुमान है कि इससे कृषि जीडीपी में 1-2% की वृद्धि होगी। डेयरी और मछली पालन को बढ़ावा मिलने से ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा। लेकिन किसानों को सतर्क रहना होगा – इनपुट क्रेडिट का लाभ उठाएं और स्थानीय बाजारों में बिक्री बढ़ाएं।

सस्टेनेबल कृषि की दिशा

जीएसटी कटौती जैविक और सस्टेनेबल खेती को बढ़ावा देगी। किसान सस्ते में जैविक कीटनाशक और सौर उपकरण अपनाकर पर्यावरण अनुकूल खेती कर सकेंगे। तेंदू पत्ता और शहद जैसे उत्पादों से आदिवासी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। कुल मिलाकर, यह सुधार किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। अगर आप किसान हैं, तो स्थानीय जीएसटी केंद्र से इनपुट क्रेडिट का लाभ लें और नई दरों का फायदा उठाएं।

ये भी पढ़ें- दिवाली से पहले मिल सकता है किसानों को 21वीं किस्त बड़ा तोहफा, पति-पत्नी दोनों ले सकते हैं क्या लाभ?

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment