भारत सरकार की सब्जी-मसाला योजना किसानों को टमाटर, लहसुन, मिर्च और स्ट्राबेरी जैसी फसलों की खेती के लिए आर्थिक सहायता दे रही है। बिहार के भागलपुर में यह योजना विशेष रूप से प्रभावी हो रही है, जहां कलस्टर खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रत्येक समूह में न्यूनतम तीन कृषक सदस्य होंगे और छह हेक्टेयर क्षेत्र के लिए स्वीकृति मिलेगी। योजना का मुख्य उद्देश्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है। लघु और सीमांत किसान, पट्टेदार, बटाईदार और भूमिहीन कृषक भी लाभ ले सकेंगे।
टमाटर, मिर्च और लहसुन पर 50 हजार अनुदान
टमाटर और मिर्च की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 60 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें 50% यानी 30 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। लेकिन योजना के तहत कुल 50 हजार प्रति हेक्टेयर तक सहायता दी जाएगी। लहसुन की खेती पर प्रति हेक्टेयर 1 लाख रुपये लागत के 50% अनुदान भी 50 हजार तक सीमित है। अनुदान 60-40 के अनुपात (केंद्र-राज्य) में दो किस्तों में मिलेगा। प्रति कृषक परिवार अधिकतम दो हेक्टेयर का लाभ मिलेगा। रबी मौसम में हाइब्रिड बीज जिला उद्यान पदाधिकारी के माध्यम से बिहार राज्य बीज निगम से उपलब्ध होंगे। कलस्टर खेती से बाजार मूल्य सुनिश्चित होगा और आय बढ़ेगी।
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स्ट्राबेरी खेती: 3 लाख का मुश्त अनुदान
स्ट्राबेरी की खेती पर सबसे आकर्षक अनुदान है। प्रति हेक्टेयर 7.56 लाख रुपये की कुल लागत में 40% यानी 3 लाख 2 हजार 400 रुपये का अनुदान पौधा सहित मुश्त मिलेगा। पौधों की दूरी 0.4 x 0.4 मीटर रखनी होगी, और प्रति पौधा 12.50 रुपये की दर से उपलब्ध होंगे। प्रति हेक्टेयर उपज 20-25 टन होती है। पैकेजिंग के लिए कूट के डिब्बे पर 14.50 रुपये प्रति पीस की लागत में 40% (5.80 रुपये) अनुदान, और प्लास्टिक डिब्बे पर 2.90 रुपये प्रति पीस की लागत में 1.16 रुपये अनुदान मिलेगा।
एक प्लास्टिक डिब्बे में 200 ग्राम स्ट्राबेरी रखी जाती है, एक कूट डिब्बे में 8 प्लास्टिक डिब्बे। मार्केटिंग के लिए 12,500 कूट डिब्बे और 1 लाख प्लास्टिक डिब्बे की जरूरत पड़ेगी। न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम दो हेक्टेयर का लाभ। चयन लॉटरी के आधार पर होगा।
योजना की पात्रता और लाभ
यह केंद्र प्रायोजित योजना लघु, सीमांत कृषकों, भूमिहीन, पट्टेदार और बटाईदारों के लिए है। कलस्टर में न्यूनतम तीन सदस्यों का समूह बनाकर आवेदन करें। टमाटर-मिर्च-लहसुन पर 50 हजार और स्ट्राबेरी पर 3 लाख अनुदान से खेती की लागत आधी हो जाएगी। बीज, पौधे और पैकेजिंग सामग्री सरकारी चैनलों से मिलेगी। इससे उत्पादन बढ़ेगा, बाजार मूल्य मिलेगा और आय दोगुनी हो सकती है। स्ट्राबेरी की खेती विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इसकी मांग शहरी बाजारों में तेज है।
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DBT पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन: आसान स्टेप्स
योजना का लाभ लेने के लिए DBT Agriculture पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। प्रक्रिया सरल है:
सबसे पहले dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाएं। ‘नया रजिस्ट्रेशन’ पर क्लिक करें। आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, मोबाइल नंबर और ईमेल दर्ज करें। ओटीपी से सत्यापन करें। फिर फसल का चयन (स्ट्राबेरी, टमाटर आदि) करें, क्षेत्रफल दर्ज करें और समूह विवरण भरें। दस्तावेज अपलोड करें: आधार, बैंक पासबुक, भूमि दस्तावेज, फोटो। आवेदन सबमिट करें। जिला उद्यान पदाधिकारी सत्यापन करेगा। स्वीकृति पर दो किस्तों में अनुदान खाते में आएगा। समस्या होने पर हेल्पलाइन 1800-345-6215 पर संपर्क करें।
किसानों की आय में वृद्धि
यह योजना बिहार के किसानों को सशक्त बनाएगी। कलस्टर खेती से उत्पादन बढ़ेगा, बाजार लिंकेज मजबूत होगा। स्ट्राबेरी पर 3 लाख अनुदान से छोटे किसान भी व्यावसायिक खेती शुरू कर सकेंगे। टमाटर-मिर्च पर 50 हजार से लागत घटेगी। कुल मिलाकर, यह योजना कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। अगर आप योग्य हैं, तो तुरंत रजिस्ट्रेशन करवाएं। स्थानीय उद्यान विभाग से संपर्क करें और इस अवसर का लाभ उठाएं।
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