श्रीराम सुपर 1-SR-14 गेहूं किस्म से होगी 80+ क्विंटल/हेक्टेयर रिकॉर्ड पैदावार, किसान कमा रहे लाखों रुपये

रबी सीजन शुरू होते ही किसानों का ध्यान ऐसी गेहूं किस्म की तलाश पर जाता है जो बदलते मौसम में भी भरोसा बनाए रखे और खेतों को मुनाफे की मशीन में बदल दे। श्रीराम फार्म सॉल्यूशंस ने इस उम्मीद को हकीकत में ढाला है श्रीराम सुपर 1-SR-14 के साथ, एक ऐसी हाइब्रिड गेहूं किस्म जो 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक की रिकॉर्ड पैदावार देने की क्षमता रखती है। यह किस्म अपनी लंबी बालियों, मजबूत तने और गहरी जड़ों के लिए जानी जाती है, जो इसे सूखा और तेज हवाओं में भी अडिग रखती है।

मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह किस्म किसी वरदान से कम नहीं, क्योंकि यह न केवल उपज बढ़ाती है, बल्कि भूरा रतुआ जैसे रोगों से लड़ने में भी माहिर है। श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स के विशेषज्ञों ने इसे आधुनिक खेती की चुनौतियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया है। इसकी खासियत और खेती के गुर सीखकर किसान अपने खेतों को समृद्धि की नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।

लंबी बालियां और घने दाने

श्रीराम सुपर 1-SR-14 की सबसे बड़ी ताकत इसकी बाली और दानों की संरचना में छिपी है। हर पौधे पर 4-5 मजबूत कल्ले निकलते हैं, और प्रत्येक बाली में 70-75 बड़े, कठोर और सुनहरे दाने होते हैं। औसतन यह किस्म 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, लेकिन उम्दा प्रबंधन और उर्वरक उपयोग से यह 90 क्विंटल तक जा सकती है। दाने चमकदार और भारी होते हैं, जिनका 1000 दानों का वजन 42-45 ग्राम है। यह गुणवत्ता बाजार में 2400-2800 रुपये प्रति क्विंटल की प्रीमियम कीमत दिलाती है।

पौधे की ऊंचाई 95-100 सेंटीमीटर रहती है, जो इसे लॉजिंग (फसल गिरने) से बचाती है। फसल 145-150 दिनों में पूरी तरह पक जाती है, और बालियां 95-100 दिनों में दिखने लगती हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर के किसान रमेश पटेल ने साझा किया कि इस किस्म ने उनके खेत में 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ अतिरिक्त उपज दी, जो सामान्य किस्मों से कहीं बेहतर थी। यह किस्म धान-गेहूं और मक्का-गेहूं जैसे फसल चक्रों में भी स्थिर प्रदर्शन करती है।

ये भी पढ़ें- स्ट्राबेरी खेती पर 3 लाख अनुदान टमाटर-मिर्च-लहसुन पर 50 हजार, यहाँ से रजिस्ट्रेशन करें

रोगों का काल

गेहूं की फसल में रोग जैसे भूरा रतुआ और हेल्मिन्थोस्पोरियम लीफ स्पॉट बर्बादी ला सकते हैं, लेकिन श्रीराम सुपर 1-SR-14 इनसे डटकर मुकाबला करती है। यह भूरा रतुआ के सभी प्रमुख रोगजनकों के प्रति उच्च सहनशीलता रखती है, और इसकी ACI (एवरेज कोएफिशिएंट ऑफ इन्फेक्शन) वैल्यू प्राकृतिक और कृत्रिम परीक्षणों में न्यूनतम रही है। हेल्मिन्थोस्पोरियम लीफ स्पॉट और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे रोगों के प्रति भी यह मध्यम प्रतिरोध दिखाती है।

राजस्थान के उदयपुर के किसान हरीश मीणा ने बताया कि इस किस्म में रासायनिक छिड़काव की जरूरत नाममात्र रही, जिससे उनकी लागत 20-25% कम हुई। यह सहनशीलता न केवल फसल को स्वस्थ रखती है, बल्कि कीटनाशकों पर खर्च को घटाकर मुनाफा बढ़ाती है। बदलते मौसम में सूखा और गर्मी सहने की इसकी क्षमता इसे और भरोसेमंद बनाती है।

क्षेत्र और जलवायु की जानकारी

श्रीराम सुपर 1-SR-14 को मध्य और पश्चिमी भारत के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है। यह गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मैदानी और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन करती है। दोमट, काली या बलुई-दोमट मिट्टी, जिसका pH 6.5-7.5 हो, इसके लिए सबसे अच्छी है। यह किस्म सिंचित खेतों में बेस्ट परिणाम देती है, लेकिन सीमित पानी में भी 65-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज दे सकती है।

नवंबर का पहला हफ्ता बुवाई के लिए आदर्श है, क्योंकि 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान अंकुरण और शुरुआती विकास को बढ़ावा देता है। ठंडा मौसम इसकी बालियों और दानों की गुणवत्ता को और निखारता है। गुजरात के सूरत के किसानों ने इसे धान के बाद दूसरी फसल के रूप में अपनाया और शानदार नतीजे पाए।

ये भी पढ़ें- क्यों खास है श्री राम 303 गेहूं? किसानों को मिल रही है रिकॉर्ड पैदावार और मोटा मुनाफा

सही शुरुआत का मंत्र

श्रीराम सुपर 1-SR-14 की बुवाई का सबसे अच्छा समय 1 से 15 नवंबर है, जब ठंड शुरू होती है। बीज दर 40 किलोग्राम प्रति एकड़ (100 किलो/हेक्टेयर) रखें। ड्रिल विधि से 20 सेंटीमीटर पंक्ति दूरी और 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं, ताकि अंकुरण एकसमान हो। बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किलो बीज) या विटावैक्स (2.5 ग्राम/किलो) से उपचारित करें ताकि फफूंदी और स्मट जैसे रोग न लगें। खेत को 3-4 बार जुताई करके भुरभुरा करें और 80-100 क्विंटल सड़ी गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।

उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन 120-130 किलोग्राम, फॉस्फोरस 60 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालें। आधा नाइट्रोजन और पूरा फॉस्फोरस-पोटाश बुवाई के समय, बाकी नाइट्रोजन 25 और 50 दिन बाद दो हिस्सों में दें। जिंक सल्फेट (20 किलो/हेक्टेयर) और बोरॉन (5 किलो/हेक्टेयर) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व जोड़ें ताकि दाने भारी और चमकदार हों।

पानी और देखभाल

श्रीराम सुपर 1-SR-14 को 5-6 बार सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें, फिर हर 20-25 दिन पर। फूल आने (60-70 दिन) और दाना बनने (90-100 दिन) के समय पानी का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि यह उपज बढ़ाने में अहम है। ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत होती है और जड़ गलन का खतरा कम रहता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए 20-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। पेंडीमेथालिन (1 किलो सक्रिय तत्व/हेक्टेयर) शुरुआती खरपतवार हटाने में मदद करता है।

रोगों के लिए मैनकोजेब (2 किलो/हेक्टेयर) और कीटों जैसे एफिड्स के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.2 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। जैविक खेती करने वाले नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) या ट्राइकोडर्मा (5 किलो/हेक्टेयर) का उपयोग करें। मध्य प्रदेश के उज्जैन के किसान अजय वर्मा ने बताया कि ड्रिप और जैविक खाद के साथ इस किस्म ने उनकी लागत 15% कम की।

ये भी पढ़ें- गेहूं की पूसा गौतमी HD 3086 रिकॉर्ड 71 क्विंटल/हेक्टेयर उपज, रोग प्रतिरोधी उन्नत किस्म

कटाई और भंडारण

श्रीराम सुपर 1-SR-14 145-150 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जब पौधे सुनहरे-पीले हो जाएं और दाने सख्त हो जाएं, तब सुबह या शाम को कटाई करें ताकि दानों की चमक बनी रहे। औसत उपज 80 क्विंटल/हेक्टेयर (27 क्विंटल/एकड़) है, और अच्छी देखभाल में यह 90 क्विंटल तक जा सकती है। कटाई के बाद दानों को 10-12% नमी स्तर तक सुखाएं और बोरी में भरकर ठंडी, सूखी जगह पर स्टोर करें। भंडारण से पहले फ्यूमिगेशन (एल्यूमिनियम फॉस्फाइड 10 ग्राम/टन) करें ताकि कीट न लगें। गुजरात के अहमदाबाद के किसानों ने बताया कि सही भंडारण से दाने 6-8 महीने तक ताजा रहे।

मुनाफे का गणित

प्रति एकड़ खेती की लागत 20,000-25,000 रुपये (बीज, उर्वरक, सिंचाई, श्रम) होती है। 27 क्विंटल उपज से 2500 रुपये/क्विंटल की दर से 67,500 रुपये की आय होती है, और शुद्ध मुनाफा 40,000-45,000 रुपये प्रति एकड़ है। प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल उपज से 2-2.2 लाख रुपये आय और 1.5-1.7 लाख मुनाफा संभव है। प्रीमियम दाने और कम रोग लागत इसे और फायदेमंद बनाते हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर के किसान संजय यादव ने बताया कि इस किस्म ने उनकी आय 30% बढ़ाई।

बीज कहां से लें

श्रीराम सुपर 1-SR-14 के बीज श्रीराम फार्म सॉल्यूशंस से लें। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत बीज पर 50% तक सब्सिडी मिल सकती है। बुवाई से पहले स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से मिट्टी परीक्षण करवाएं और सलाह लें। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग उपज और गुणवत्ता को और बढ़ाता है।

श्रीराम सुपर 1-SR-14 गेहूं किस्म अपनी बंपर उपज, रोग सहनशीलता और बाजार में मांग के साथ किसानों के लिए सुनहरा अवसर है। इस रबी सीजन में इसे अपनाकर अपने खेतों को समृद्धि का केंद्र बनाएं और लाखों का मुनाफा कमाएं।

ये भी पढ़ें- गेहूं की करण शिवानी DBW 327 किस्म, किसानों की आय दोगुनी करने वाली क्रांतिकारी वैरायटी

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment