कटाई से पहले धान की फसल पर हॉपर बर्न का खतरा, जानें रोकथाम और नियंत्रण के प्रभावी उपाय

सितंबर का आखिरी हफ्ता धान किसानों के लिए खुशी का समय होता है, जब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन इस बीच एक छोटा सा कीट सब कुछ बर्बाद कर सकता है। भूरा फुदका, जिसे ब्राउन प्लांटहॉपर भी कहते हैं, धान की फसल पर तेजी से हमला करता है। यह कीट पौधों का रस चूस लेता है, जिससे पूरी फसल सूख जाती है और किसान की साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाता है। अगर समय रहते सावधानी बरती जाए, तो इस खतरे से आसानी से बचा जा सकता है।

भूरा फुदका क्या है और क्यों है खतरनाक?

भूरा फुदका एक छोटा ब्राउन रंग का कीट है, जो धान की जड़ों और तनों पर चिपक जाता है। यह फसल के रस को चूसकर पौधों को कमजोर कर देता है। खासकर कटाई से 15 दिन पहले का समय सबसे जोखिम भरा होता है। नम मौसम और ज्यादा तापमान में यह कीट तेजी से फैलता है। अगर खेत में इसके लक्षण दिखें, जैसे पौधों का पीला पड़ना या सूखना, तो तुरंत ध्यान दें। अन्यथा, पूरी उपज बर्बाद हो सकती है और बाजार में कमाई का सपना टूट सकता है।

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कटाई से पहले खेत का रखें ख्याल

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि कटाई से पहले के दिनों में खेत का नियमित दौरा जरूरी है। सुबह या शाम के समय खेत जाकर पौधों की जांच करें। अगर कीटों की मौजूदगी नजर आए, तो देर न करें। शुरुआती स्टेज पर ही कार्रवाई करें, क्योंकि बाद में नुकसान ज्यादा हो जाता है। मौसम की नमी को कम करने के लिए खेत से अतिरिक्त पानी निकाल दें। इससे कीटों का प्रकोप कम होगा और फसल सुरक्षित रहेगी।

प्रभावी कीटनाशकों का इस्तेमाल

भूरा फुदका से निपटने के लिए डिनोटेफ्यूरान 15% और पाइमेट्रोज़ीन 45% का मिश्रण सबसे कारगर साबित होता है। किसान 133 ग्राम इस कॉम्बिनेशन को 150 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें। फिर इसे धान की फसल पर समान रूप से छिड़काव करें। यह दवा कीटों को तुरंत मार गिराती है और फसल को बचाती है। छिड़काव शाम के समय करें, ताकि धूप से दवा की ताकत कम न हो। हमेशा दिशानिर्देशों का पालन करें और सुरक्षात्मक उपकरण पहनें।

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प्राकृतिक तरीकों से भी करें बचाव

रासायनिक दवाओं के अलावा प्राकृतिक उपाय भी अपनाएं। खेत में नीम की पत्तियों का अर्क छिड़कें या जैविक खाद का इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी की सेहत बनी रहेगी और कीटों का हमला कम होगा। साथ ही, मजबूत किस्मों के बीज चुनें, जो कीट प्रतिरोधी हों। फसल चक्र अपनाकर भी खतरे को कम किया जा सकता है। ये तरीके न केवल फसल बचाते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छे हैं।

किसानों के लिए जरूरी सलाह

धान की खेती में भूरा फुदका का डर हर साल किसानों को परेशान करता है। लेकिन सही जानकारी और समय पर कार्रवाई से इसे रोका जा सकता है। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और विशेषज्ञों की मदद लें। याद रखें, एक छोटी सी सावधानी आपकी पूरी फसल को बचा सकती है। इस सीजन में सतर्क रहें और अच्छी उपज के साथ खुशहाल कटाई का मजा लें।

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  • Shashikant

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