बिहार सरकार ने मछुआरा समुदाय को सशक्त बनाने के लिए ‘नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना’ शुरू की है। यह योजना राज्य को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और निर्यात बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मछुआरों के योगदान को मान्यता देते हुए सरकार नाव और जाल की खरीद पर निर्धारित इकाई लागत का 90 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। इससे मछुआरे कम लागत में अपना व्यवसाय मजबूत कर सकेंगे और आय में वृद्धि होगी। योजना राज्य के सभी जिलों में लागू है और चुनाव से पहले यह मछुआरों के लिए बड़ी सौगात साबित हो रही है।
योजना के मुख्य लाभ
इस योजना के तहत मछुआरों को तीन मुख्य पैकेजों में से एक का लाभ मिलेगा। फिशिंग वुडन बोट पैकेज की इकाई लागत 1,24,400 रुपये है, जिसमें 90 प्रतिशत सब्सिडी पर कुल 1,11,960 रुपये तक अनुदान मिलेगा। फिशिंग एफआरपी बोट पैकेज की लागत 1,54,400 रुपये है, जिसमें 90 प्रतिशत यानी 1,38,960 रुपये सब्सिडी होगी। कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज की इकाई लागत 16,700 रुपये है, जिसमें 15,030 रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति या परिवार को केवल एक पैकेज का लाभ मिलेगा, जो मछली पालन को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा।
ये भी पढ़ें- डेयरी क्षेत्र में नया युग, इस प्रजाति की गाय देगी 80 लिटर दूध
पात्रता के मानदंड
योजना का लाभ राज्य मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्यों या परंपरागत मछुआरों को मिलेगा। इसमें महिला मछुआरे, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को प्राथमिकता दी गई है। लाभार्थी मत्स्य शिकार के कार्य में लगे होने चाहिए। सभी जिलों के योग्य मछुआरे आवेदन कर सकते हैं, लेकिन एक ही परिवार को एक ही पैकेज का लाभ मिलेगा। यह योजना मछुआरों के सशक्तिकरण पर केंद्रित है, ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
आवेदन प्रक्रिया
आवेदन पूरी तरह ऑनलाइन है और 31 दिसंबर 2025 तक किया जा सकता है। इच्छुक मछुआरों को आधिकारिक वेबसाइट https://fisheries.bihar.gov.in पर जाएं। वहां रजिस्ट्रेशन करें और फॉर्म भरें। आवेदन के बाद उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता वाली समिति लाभार्थियों का चयन करेगी। चयनित लाभार्थियों को सब्सिडी सीधे बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी। प्रक्रिया सरल है, लेकिन समय पर आवेदन करना जरूरी है।
ये भी पढ़ें- कम पूंजी में शुरू करें भैंस पालन, दूध और बछड़ों से होगी तगड़ी कमाई
आवश्यक दस्तावेज
आवेदन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज अपलोड करने होंगे: आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक खाता संख्या, बैंक शाखा का नाम, आईएफएससी कोड, और मत्स्य शिकार से संबंधित प्रमाण-पत्र। ये दस्तावेज सत्यापित होने चाहिए, ताकि आवेदन स्वीकृत हो सके। यदि कोई समस्या हो, तो स्थानीय जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क करें।
योजना का प्रभाव
यह योजना मछली पालन को बढ़ावा देकर बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। मछुआरों की आय बढ़ने से ग्रामीण विकास को गति मिलेगी। किसानों को सलाह है कि वे जल्द से जल्द आवेदन करें और योजना का पूरा लाभ उठाएं। अधिक जानकारी के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग या जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क करें। सही समय पर कदम उठाकर मछुआरे अपना व्यवसाय नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।
ये भी पढ़ें- मछली-झींगा पालन हुआ सस्ता, बढ़ जाएगा घरेलू और एक्सपोर्ट मार्केट, पढ़ें डिटेल