अगेती मटर की खेती से किसान होंगे 60 दिन में मालामाल, बस बो दीजिए मटर की ये 5 किस्में

मटर की अगेती किस्म: भारत के किसानों के लिए मटर जैसी फसलें कम समय में अच्छी कमाई का बेहतरीन जरिया हैं। खासकर अक्टूबर के महीने में अगेती मटर की बुवाई करके किसान सिर्फ 60 दिनों में ही बाजार में अपनी फसल बेचकर लाखों कमा सकते हैं। कृषि अधिकारी राजित राम ने हाल ही में किसानों को यही सलाह दी है। उन्होंने बताया कि सब्जियों की बढ़ती मांग के बीच मटर की ये उन्नत किस्में न केवल ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि रोगों से भी लड़ने की ताकत रखती हैं।

आइए, जानते हैं आर्केल, काशी नंदिनी, पूसा श्री, पंत मटर 155 और अर्ली बैजर जैसी पांच खास किस्मों के बारे में, जो उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में खेती के लिए बिल्कुल फिट बैठती हैं।

आर्केल: मजबूत और जल्दी तैयार होने वाली किस्म

आर्केल मटर की एक यूरोपीय मूल की लोकप्रिय किस्म है, जो झुर्रीदार बीजों के लिए जानी जाती है। इसके पौधे बौने और मजबूत होते हैं, जिनकी ऊंचाई महज 35 से 45 सेंटीमीटर तक रहती है। बुवाई के 55 से 60 दिनों में ही इसकी हरी फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। प्रति हेक्टेयर 100 से 130 क्विंटल तक हरी फलियां मिल सकती हैं, जो बाजार में अच्छी कीमत लाती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि यह किस्म रोगों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता रखती है, जिससे किसानों को कम दवा का खर्च करना पड़ता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में यह किस्म खूब उगाई जाती है।

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काशी नंदिनी: रोग प्रतिरोधी और बंपर पैदावार

वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा 2005 में विकसित काशी नंदिनी मटर की एक अगेती संकर किस्म है। यह उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल जैसे राज्यों के लिए आदर्श है। बुवाई के 60 से 65 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म की फलियों में औसतन 5 से 6 बड़े दाने होते हैं। प्रति एकड़ 44 से 48 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है, जो कभी-कभी 120 क्विंटल तक भी पहुंच जाती है। जड़ सड़न और अन्य रोगों से लड़ने की इसकी क्षमता किसानों को कम देखभाल में ज्यादा फायदा देती है। बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है।

पूसा श्री: उत्तर भारत के लिए बेस्ट चॉइस

पूसा श्री मटर की एक शानदार अगेती किस्म है, जो उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और बुवाई के सिर्फ 45 से 50 दिनों में फसल तुड़ाई लायक हो जाती है। हर फली में 6 से 7 स्वादिष्ट दाने निकलते हैं, जिससे प्रति एकड़ 20 से 21 क्विंटल हरी फलियां आसानी से प्राप्त हो जाती हैं। यह किस्म न केवल जल्दी पकती है, बल्कि अच्छी गुणवत्ता वाली फसल भी देती है। छोटे किसान इसकी कम मेहनत और अच्छे मुनाफे की वजह से इसे पसंद करते हैं।

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पंत मटर 155: हाइब्रिड पावर से तेज विकास

पंत मटर 155 एक हाइब्रिड अगेती किस्म है, जिसे पंत मटर 13 और डीडीआर-27 के संकरण से तैयार किया गया है। बुवाई के 30 से 35 दिनों में ही इसमें फूल लगने शुरू हो जाते हैं और पूरी फसल 50 से 55 दिनों में तैयार हो जाती है। चूर्ण फफूंद और फली छेदक जैसे रोगों के खिलाफ इसकी अच्छी रक्षा क्षमता है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है। उत्तर प्रदेश और आसपास के इलाकों में यह किस्म किसानों की पहली पसंद बनी हुई है, क्योंकि इससे अच्छी पैदावार के साथ बाजार में ऊंची कीमत मिलती है।

अर्ली बैजर: विदेशी किस्म का देसी फायदा

अर्ली बैजर मटर की एक विदेशी किस्म है, जो झुर्रीदार बीजों वाली होती है। इसके पौधे बौने दिखते हैं और बुवाई के 50 से 60 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फलियों में बनने वाले दाने झुर्रीदार और स्वादिष्ट होते हैं, जो बाजार में खूब बिकते हैं। यह किस्म कम समय में ज्यादा उत्पादन देने के कारण छोटे खेतों वाले किसानों के लिए वरदान है। बाराबंकी जैसे जिलों में इसे अपनाने से किसान जल्दी ही अच्छी कमाई कर पा रहे हैं।

बुवाई के टिप्स

अगेती मटर की खेती के लिए सितंबर के अंत से अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक बुवाई करना सबसे अच्छा रहता है। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें और बीजों को उपचारित करके बोएं। कृषि अधिकारी सलाह देते हैं कि जैविक खाद का इस्तेमाल करें और नियमित सिंचाई का ध्यान रखें। इन उन्नत किस्मों को अपनाकर न केवल पैदावार बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की सेहत भी बनी रहेगी। बाराबंकी के किसान पहले ही इनसे लाखों कमा चुके हैं, आप भी आजमाएं और फायदा उठाएं।

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  • Shashikant

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