Top 4 Chana Variety: चना न सिर्फ हमारी थाली का स्वादिष्ट हिस्सा है, बल्कि सेहत के लिए भी कमाल का फायदेमंद। प्रोटीन से भरपूर ये फसल रबी मौसम की जान मानी जाती है। धान कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं, तो अक्टूबर का महीना चना बोने के लिए सबसे बढ़िया समय होता है। कम खर्च में अच्छी कमाई का राजा है चना, खासकर तराई इलाकों में सर्दियों के दौरान। बाजार में चने के हरे पत्तों की भी खासी मांग रहती है, जो किसानों को अतिरिक्त फायदा पहुंचाती है। अगर आप भी इस सीजन में चना लगाने की सोच रहे हैं, तो ये चार चुनिंदा किस्में आपकी मदद करेंगी। ये किस्में न सिर्फ ज्यादा पैदावार देंगी, बल्कि रोगों से भी लड़ने में सक्षम हैं।
चना बोने का आइडियल समय और तैयारी
रबी फसल होने से चना की बुवाई अक्टूबर में ही करें, ताकि ठंड के मौसम में ये अच्छे से बढ़े-फूले। धान के बाद खेत साफ करके, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें, ताकि नाइट्रोजन फिक्सेशन बेहतर हो और खाद की बचत हो। कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए ये फसल बिल्कुल सही है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, सही समय पर बोया गया चना न सिर्फ मजबूत पौधे देता है, बल्कि बाजार में ऊंचे दाम भी दिलाता है।
H.C. 5: ज्यादा पैदावार वाली मजबूत किस्म
चना की H.C. 5 किस्म उन किसानों के लिए बेस्ट है जो जल्दी फल देखना चाहते हैं। 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक इसकी बुवाई आसानी से हो जाती है। पौधे पर 50 से 55 दिनों में ही फूल आने लगते हैं, और पूरे 120 दिनों में फसल पककर तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर से 15 क्विंटल से ज्यादा उपज मिलना आम बात है। ये किस्म मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है, जिससे अगली फसल को फायदा होता है। छोटे खेतों वाले किसान भाई इसे जरूर आजमाएं, क्योंकि ये कम मेहनत में अच्छा रिटर्न देती है।
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जे.के. 9218: छोटे कद की तेज बढ़ने वाली किस्म
जे.के. 9218 चना की वो किस्म है जो पौधे की ऊंचाई को कंट्रोल में रखती है, सिर्फ 48 से 52 सेंटीमीटर ही। बुवाई के 110 से 115 दिनों बाद ही कटाई का समय आ जाता है, जो जल्दबाजी वाले किसानों के लिए परफेक्ट। औसतन प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक पैदावार हो जाती है, जो बाजार भाव से गिनकर लाखों की कमाई का सबब बन सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने से कीटनाशकों पर खर्च बचता है। तराई क्षेत्रों में ये खूब चलती है, जहां सर्दी की ठंडक इसे और मजबूत बनाती है।
पंत जी 114: कम खर्च में भारी मुनाफे वाली
पंत जी 114 को चना की दुनिया में एक विश्वसनीय नाम माना जाता है। ये किस्म कम लागत पर ज्यादा उत्पादन का वादा करती है। बुवाई के ठीक 130 दिनों बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ 12 से 14 क्विंटल चना निकल आता है, जो छोटे किसानों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में ये खासतौर पर फायदेमंद रहती है, क्योंकि ये सूखा और ठंड दोनों सह लेती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सही खाद प्रबंधन से इसकी उपज और बढ़ाई जा सकती है।
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पूसा पार्वती (बीजी 3062): रोग मुक्त तेज पैदावार
पूसा पार्वती या बीजी 3062 चना की वो किस्म है जो कम समय में किसानों को अमीर बना देती है। बुवाई के 113 से 115 दिनों में ही कटाई हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 22.94 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। रोगों का असर कम रहता है, जिससे दवाओं पर पैसे बचते हैं। कम लागत में ये उच्च मुनाफा देती है, खासकर उन खेतों में जहां पानी की उपलब्धता सीमित हो। आईसीएआर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ये किस्म आधुनिक खेती का प्रतीक है।
इन किस्मों से बदलें अपनी खेती की तस्वीर
चना की ये चार किस्में रबी सीजन को किसानों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बना सकती हैं। सही बुवाई, अच्छी मिट्टी और समय पर देखभाल से आप न सिर्फ बंपर फसल लेंगे, बल्कि बाजार में अच्छे दाम भी पाएंगे। लोकल कृषि केंद्रों से बीज लें और ट्रायल करें। कृषितक पर ऐसी ही उपयोगी खबरों के लिए जुड़े रहें, ताकि आपकी खेती हमेशा फलदायी बने।
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