आलू की खेती हमेशा से किसानों का भरोसा रही है, लेकिन अब एक नई सुपरफास्ट किस्म ने इस फसल को और ज्यादा फायदेमंद बना दिया है। कृषि विशेषज्ञ आलोक कुमार की सलाह से किसान भाई इस किस्म को अपना रहे हैं, जो सिर्फ 60 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। कम लागत में दोगुना मुनाफा कमाने का ये तरीका सीतामढ़ी जैसे इलाकों के छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
बाजार में आलू की मांग कभी कम नहीं होती, और ये तेज पैदावार वाली किस्म किसानों को मौसमी उतार-चढ़ाव से भी बचाती है। आलोक कुमार बताते हैं कि सही देखभाल से एक हेक्टेयर से 250 से 300 क्विंटल तक उपज आसानी से मिल जाती है, जो खेती की दिशा ही बदल देगी।
आलू की बुवाई का सही समय
सीतामढ़ी सहित उत्तर बिहार के किसान भाई आलू की बुवाई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से दिसंबर के पहले हफ्ते तक करें, क्योंकि इस दौरान तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो कंद बनने के लिए सबसे अनुकूल होता है। ठंडक और हल्की नमी फसल को सड़न या रोगों से दूर रखती है। अगर नवंबर की शुरुआत में बुवाई हो जाए तो जनवरी के अंत तक फसल तैयार हो जाती है, और बाजार में ऊंचे दाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। आलोक कुमार की सलाह है कि देरी न करें, क्योंकि समय पर बोई गई फसल ज्यादा मजबूत और स्वस्थ निकलती है।
खेत तैयार करने से लेकर बुवाई तक, सरल तरीके अपनाएं
आलू की खेती की शुरुआत खेत की साफ-सफाई से करें। 2-3 बार गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें, ताकि जड़ें आसानी से फैल सकें। प्रति बीघा 20 से 25 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं, जो मिट्टी को पोषण देगी। जल निकासी का अच्छा इंतजाम करें, क्योंकि पानी रुकने से कंद सड़ जाते हैं। हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी रहती है, जहां उपज दोगुनी हो जाती है। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें और मिट्टी की नमी बनाए रखें।
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बीज चुनने और लगाने का आसान फॉर्मूला
सफल खेती की कुंजी है प्रमाणित बीज कंद, जिनका वजन 25 से 30 ग्राम हो। बोने से पहले फफूंदनाशक दवा से उपचार जरूर करें, ताकि शुरुआती रोग न लगें। कतारों के बीच 45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 20 सेंटीमीटर दूरी रखकर लगाएं, जिससे पौधे मजबूत बढ़ें। बोआई के 20 दिन बाद पहली गुड़ाई करें, इससे पौधों की ग्रोथ तेज होती है और आलू का आकार बड़ा आता है। आलोक कुमार कहते हैं कि ये छोटे कदम ही फसल को बंपर बनाते हैं।
सुपरफास्ट आलू से दोगुना मुनाफा, बाजार की मांग हमेशा बनी रहेगी
इस सुपरफास्ट किस्म की सबसे बड़ी ताकत ये है कि ये सिर्फ 60 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान भाई कम समय में ही फसल काटकर बाजार ले जा सकते हैं। एक हेक्टेयर से 250 से 300 क्विंटल उपज मिलने पर लागत से दो-तीन गुना मुनाफा हो जाता है। बाजार में आलू की ऊंची मांग होने से दाम अच्छे मिलते हैं, और किसान अपनी मेहनत का पूरा फल पाते हैं। आलोक कुमार का कहना है कि जैविक खाद, नियंत्रित सिंचाई और रोग प्रबंधन अपनाने से दो महीने में ही फसल तैयार होकर आर्थिक मजबूती दे सकती है। सीतामढ़ी जैसे इलाकों में ये किस्म खेती को नया रंग दे रही है।
सुपरफास्ट आलू अपनाकर बदलें अपनी खेती की तस्वीर
किसान भाई इस सुपरफास्ट आलू की किस्म को अपनाकर न सिर्फ कम समय में अच्छी उपज पा लेंगे बल्कि जेब भी भर लेंगे। सही समय पर बुवाई और देखभाल से फसल बंपर हो जाएगी। लोकल कृषि केंद्र से बीज और सलाह लें, ताकि शुरुआत मजबूत हो।
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