ठंड के मौसम में बाजारों में गाजर की चमक बढ़ जाती है, और किसान भाई भी इस फसल से अच्छी कमाई का सपना देखते हैं। गाजर न केवल स्वादिष्ट सब्जी है, बल्कि इसके रंग-बिरंगे रूप खासकर काले गाजर की डिमांड को देखते हुए खेती का सही समय आ गया है। अक्टूबर का महीना गाजर की बुवाई के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है, जब ठंडक आने लगती है और फसल मजबूत बढ़ती है। अगर आप इस सर्दी में कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं, तो पूसा असिता नाम की काले गाजर की वैरायटी पर दांव लगाएं। यह किस्म कम मेहनत में ज्यादा फायदा देती है, और राष्ट्रीय बीज निगम से इसके बीज सस्ते दामों पर घर बैठे मंगवाए जा सकते हैं।
पूसा असिता क्यों है किसानों की पहली पसंद
पूसा असिता काले गाजर की एक अनोखी वैरायटी है, जो आईएआरआई, नई दिल्ली के वैज्ञानिक प्रीतम कालिया द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म एंथोसायनिन से भरपूर होती है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है और पौधे को गहरा काला रंग देता है। इसके अलावा, कैरोटीनॉयड और फिनोल जैसे पोषक तत्व इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बनाते हैं। औसतन, प्रति हेक्टेयर 20 टन उपज मिलती है, जो छोटे किसानों के लिए भी प्रोत्साहन वाली बात है। स्वाद में यह हल्की मिठास वाली और गहरी खुशबू वाली होती है, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाती है। खासकर बिहार जैसे राज्यों में, जहां मिट्टी उपजाऊ है, यह वैरायटी आसानी से जम जाती है और रोगों से लड़ने की अच्छी क्षमता रखती है।
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बीज कहां से लें, छूट के साथ सस्ता दाम
किसानों की सुविधा को देखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम ने पूसा असिता के बीज ऑनलाइन उपलब्ध कराए हैं। 5 ग्राम का पैकेट अभी 50 फीसदी छूट पर महज 25 रुपये में मिल रहा है। यह प्रमाणित बीज है, जो सीधे आपके घर पहुंच जाएगा। वेबसाइट पर जाकर ऑर्डर करें बस नाम, पता और पेमेंट की डिटेल्स भरें। एक हेक्टेयर के लिए 4 से 6 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, तो छोटे खेत वाले भी आसानी से शुरू कर सकते हैं। सस्ते बीज से खेती का खर्चा कम होगा, और उपज अच्छी होने से मुनाफा दोगुना हो जाएगा।
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खेत तैयार करने का आसान तरीका, सही बुवाई से मजबूत फसल
गाजर की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तैयारी जरूरी है। सबसे पहले खेत को समतल कर लें, फिर 2 से 3 बार गहरी जुताई करें। हर जुताई के बाद पाटा चलाएं, ताकि मिट्टी भूरभूरी और बारीक हो जाए। गोबर की खाद अच्छी तरह मिला दें – इससे पौधे मजबूत लेंगे। हल्की, रेतीली मिट्टी चुनें, जो पानी अच्छे से निकाल दे, क्योंकि गाजर की जड़ें लंबी होती हैं। बीज बोने के लिए लकीरें बनाएं, और बीजों को 1/4 इंच गहराई पर डालें। पौधों के बीच 2-3 इंच की दूरी रखें। बुवाई के 12 से 15 दिन बाद अंकुरण शुरू हो जाएगा। पूर्ण सूर्य की रोशनी और ठंडा तापमान इस वैरायटी के लिए सबसे सही है, इसलिए अक्टूबर में बुवाई करें।
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गाजर की देखभाल के गुर, उपज बढ़ाने के टिप्स
बुवाई के बाद नियमित सिंचाई करें, लेकिन ज्यादा पानी न लगाएं वरना जड़ें फट सकती हैं। मिट्टी को हमेशा नम रखें, खासकर सूखे मौसम में। खरपतवार को समय पर हटाएं, और अगर कीट लगें तो जैविक तरीके अपनाएं। पूसा असिता 95 से 100 दिन में तैयार हो जाती है, और इस दौरान हल्की खाद की टॉप ड्रेसिंग दें। अच्छी देखभाल से फसल न केवल काली और चमकदार होगी, बल्कि बाजार में ऊंचा दाम भी मिलेगा। छोटे बगीचों या गमलों में भी इसे उगाया जा सकता है, जहां जड़ों को फैलने की जगह मिले। कुल मिलाकर, यह वैरायटी कम संसाधनों में ज्यादा पोषण और कमाई देती है।
सर्दी की फसल से कमाई का नया रास्ता
काले गाजर की खेती न केवल पारंपरिक फसलों का मजेदार विकल्प है, बल्कि स्वास्थ्य जागरूक उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग से किसानों को फायदा भी पहुंचाती है। पूसा असिता जैसी उन्नत किस्में भारत की मिट्टी के लिए बनी हैं, और इन्हें अपनाने से खेती ज्यादा लाभदायक हो जाती है। अगर आप बिहार के खेतों में कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं, तो अभी बीज मंगवाएं और तैयारी शुरू करें। सर्दी खत्म होने तक आपकी मेहनत फल लेगी, और बाजार में काली गाजर की चमक आपकी कमाई को चमकाएगी।
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