आलू किसानों के लिए बड़ी राहत, यूपी सरकार दे रही है ₹800 प्रति क्विंटल की सब्सिडी

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। राज्य सरकार ने आलू की खेती को और लाभकारी बनाने के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले आलू के बीजों पर 800 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दी जाएगी। यह कदम न केवल किसानों की लागत को कम करेगा, बल्कि प्रदेश में आलू की पैदावार को भी बढ़ाएगा। खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह योजना एक वरदान साबित होगी, क्योंकि इससे उनकी खेती की लागत कम होगी और आय में बढ़ोतरी होगी। उत्तर प्रदेश, जो देश में आलू उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है, अब इस योजना के ज़रिए अपनी कृषि अर्थव्यवस्था को और मज़बूत करेगा।

सस्ते दामों पर मिलेंगे गुणवत्तायुक्त बीज

आलू की खेती में बीज की गुणवत्ता का बहुत बड़ा रोल होता है। अच्छे बीज न केवल फसल की पैदावार बढ़ाते हैं, बल्कि फसल की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाते हैं। पहले उद्यान विभाग के आलू बीजों की कीमत 2760 से 3715 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थी। लेकिन अब सरकार की नई सब्सिडी योजना के तहत किसानों को यह बीज 1960 से 2915 रुपये प्रति क्विंटल की किफायती दर पर मिलेंगे। यह छूट केवल किसानों के लिए है, और शोध संस्थानों या अन्य सरकारी निकायों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

उद्यान विभाग ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि यह सब्सिडी सभी ज़िलों के किसानों तक पारदर्शी और तेज़ी से पहुंचे। इस कदम से किसान न केवल सस्ते दामों पर अच्छे बीज खरीद सकेंगे, बल्कि भविष्य के लिए अपने खेतों में बीज उत्पादन भी कर सकेंगे। यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ये भी पढ़ें- किसानों के लिए खुशखबरी: 91 कृषि उपकरणों पर 80 फीसदी तक सब्सिडी, अभी आवेदन करें

सब्सिडी का लाभ कैसे उठाएँ

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है, जहाँ लगभग 7 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर आलू की खेती होती है। इस बड़े पैमाने की खेती के लिए हर साल करीब 26 लाख मीट्रिक टन आलू बीज की ज़रूरत पड़ती है। उद्यान विभाग के पास इस समय 41,876 क्विंटल आलू बीज का भंडार उपलब्ध है, जो किसानों को नकद मूल्य पर दिए जाएंगे। अगर आप इस सब्सिडी का फायदा उठाना चाहते हैं, तो अपने ज़िले के उद्यान अधिकारी से संपर्क करें।

विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि छोटे और सीमांत किसानों को इस योजना में प्राथमिकता दी जाए। बीज वितरण की प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी रखा जाएगा, ताकि कोई भी जरूरतमंद किसान इस अवसर से वंचित न रहे। इसके अलावा, यह योजना किसानों को प्रोत्साहित करेगी कि वे न केवल आलू की खेती करें, बल्कि अपने खेतों में उच्च गुणवत्ता वाले बीज भी तैयार करें, जिससे भविष्य में उनकी लागत और कम हो सके।

आलू की खेती से मज़बूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था

आलू की खेती उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। यह फसल न केवल किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है, बल्कि गाँवों में रोज़गार और पोषण के लिए भी महत्वपूर्ण है। देश के कुल आलू उत्पादन का लगभग 30-35 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश से आता है, जो इसकी अहमियत को दर्शाता है। सरकार की इस सब्सिडी योजना से न केवल आलू का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि उसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

सस्ते और अच्छे बीजों की उपलब्धता से किसान नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे, जैसे कि ड्रिप इरिगेशन या जैविक खाद का उपयोग। इससे उनकी फसल की पैदावार बढ़ेगी और बाज़ार में उनकी उपज को बेहतर कीमत मिलेगी। यह योजना न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि पूरे प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ताकत देगी।

ये भी पढ़ें- MP में 6 लाख से ज्यादा किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन, भावांतर योजना के तहत 24 अक्टूबर से शुरू होगी सोयाबीन की बिक्री

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment