धनिया की खेती पर सरकार दे रही ₹14,000 तक की सब्सिडी, जानिए कैसे मिलेगा लाभ

मध्य प्रदेश के सागर जिले के किसानों के लिए इस सर्दी का मौसम नई उम्मीदें लेकर आया है। धनिया की खेती, जो कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है, अब सरकार की नई योजना के साथ और भी आकर्षक हो गई है। सागर में धनिया की खेती को बढ़ावा देने के लिए 500 एकड़ ज़मीन पर खेती का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत किसानों को 10,000 से 14,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि उनके खेतों को हरियाली से भर देगी। धनिया की खेती छोटे और सीमांत किसानों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है, क्योंकि इसमें मेहनत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है।

सरकार का सहयोग

सागर के उद्यानिकी विभाग ने धनिया की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक खास योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों को न केवल आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि तकनीकी सलाह भी दी जाएगी। सामान्य वर्ग के किसानों को 10,000 रुपये और अनुसूचित जाति-जनजाति के किसानों को 14,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसके लिए किसानों को मध्य प्रदेश सरकार के MPFST पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

आवेदन के बाद लॉटरी सिस्टम के ज़रिए चयनित किसानों को यह लाभ मिलेगा। साथ ही, उन्हें 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से उच्च गुणवत्ता वाले बीज सरकारी दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। यह योजना सुनिश्चित करेगी कि किसान सस्ते दामों पर अच्छे बीज पा सकें और अपनी खेती को लाभकारी बना सकें।

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धनिया की खेती का आसान तरीका

धनिया की खेती शुरू करने के लिए खेत की तैयारी बहुत ज़रूरी है। सबसे पहले खेत को दो बार जोतकर समतल करना चाहिए। इसके बाद गोबर की सड़ी हुई खाद डालकर खेत को कुछ दिनों के लिए छोड़ देना चाहिए। यह खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ाती है। बीज बुवाई से पहले उसका अंकुरण टेस्ट करना चाहिए।

इसके लिए कुछ बीजों को गीले कपड़े में रखकर देखें कि वे सही तरीके से अंकुरित हो रहे हैं या नहीं। अगर बीज अच्छे हैं, तो उन्हें दो हिस्सों में तोड़कर बोना चाहिए, क्योंकि इससे अंकुरण बेहतर होता है। बुवाई हाथ से या मशीन से की जा सकती है। इस फसल को तैयार होने में 100 से 110 दिन लगते हैं, और खास बात यह है कि इसमें महंगी दवाओं या रासायनिक खाद की ज़रूरत नहीं पड़ती।

कम लागत में बड़ा मुनाफा

धनिया की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें लागत बहुत कम लगती है। करीब 10,000 से 12,000 रुपये की लागत में किसान 70,000 से 80,000 रुपये तक का उत्पादन हासिल कर सकते हैं। यह फसल न केवल बीज उत्पादन के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसकी पत्तियों की बिक्री भी अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकती है।

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बाज़ार में धनिया की पत्तियों और बीजों की मांग हमेशा बनी रहती है, क्योंकि यह हर भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है। सागर के किसान इस मौके का फायदा उठाकर न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने खेतों को और उत्पादक बना सकते हैं। सरकार की तकनीकी सलाह से किसान नई तकनीकों को अपनाकर अपनी फसल की गुणवत्ता को और बेहतर कर सकते हैं।

सागर में हरियाली की नई लहर

सागर जिला अपनी कृषि गतिविधियों के लिए जाना जाता है, और अब धनिया की खेती इसे नई पहचान दे रही है। यह योजना न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती देगी। धनिया की खेती से गाँवों में रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और किसानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।

सरकार का यह कदम छोटे और सीमांत किसानों के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण है, जो अक्सर सीमित संसाधनों के साथ खेती करते हैं। इस योजना के ज़रिए वे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप भी इस योजना का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जल्द से जल्द MPFST पोर्टल पर आवेदन करें और अपने नज़दीकी उद्यानिकी विभाग से संपर्क करें।

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  • Shashikant

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