RH-1706 सरसों की किस्म बनी किसानों की पहली पसंद, दे रही है रिकॉर्ड तोड़ उपज

रबी सीजन की शुरुआत होते ही भारतीय किसान सरसों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। यह फसल न केवल कम पानी और कम लागत में उगाई जा सकती है, बल्कि सरसों के तेल की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, जो हृदय रोगों से बचाव करता है और पाचन को बेहतर बनाता है।

लेकिन कई किसान सही किस्म चुनने में उलझन महसूस करते हैं, क्योंकि अच्छी उपज ही मुनाफे की कुंजी है। ऐसे में RH-1706 नाम की यह नई किस्म किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण है। राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) से इसे ऑनलाइन सस्ते दामों पर खरीदा जा सकता है, जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है।

सरसों के बीजों की आसान उपलब्धता

सरकार तिलहन फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को हर संभव सहायता दे रही है, क्योंकि इससे न केवल आय बढ़ रही है, बल्कि देश की तिलहन आयात पर निर्भरता भी कम हो रही है। राष्ट्रीय बीज निगम ने किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन स्टोर शुरू किया है, जहाँ उच्च गुणवत्ता वाले सरसों के बीज उपलब्ध हैं।

RH-1706 किस्म का बीज NSC की वेबसाइट से आसानी से ऑर्डर किया जा सकता है। यह बीज न केवल शुद्ध और प्रमाणित होता है, बल्कि किसानों को घर बैठे डिलीवरी का विकल्प भी देता है। बड़े स्तर पर सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह एक बड़ा लाभ है, क्योंकि अब उन्हें बाजार घूमने की जरूरत नहीं पड़ती। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में खेती की पहुंच और आसान हो गई है।

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RH-1706: उच्च उपज और रोग प्रतिरोधी किस्म

RH-1706 सरसों की एक उन्नत हाइब्रिड किस्म है, जिसे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। यह किस्म विशेष रूप से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों जैसे हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के लिए अनुकूल है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह प्रति हेक्टेयर 25 से 29 क्विंटल तक की उपज देती है, जो पारंपरिक किस्मों से 15-20 प्रतिशत अधिक है। यह फसल 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जो किसानों को समय पर कटाई और बिक्री का मौका देती है।

इसके अलावा, RH-1706 ब्लाइट, रस्ट और एफिड जैसे सामान्य रोगों और कीटों के प्रति मजबूत प्रतिरोधक क्षमता रखती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म कम सिंचाई में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, जो पानी की कमी वाले क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान है। इसकी पत्तियाँ हरी-भरी रहती हैं और तेल की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिलता है।

सस्ते दामों पर बीज खरीदें

RH-1706 किस्म के बीज की उपलब्धता ने किसानों की चिंता को कम कर दिया है। NSC की वेबसाइट पर 2 किलोग्राम का पैकेट वर्तमान में 14 प्रतिशत छूट के साथ मात्र 300 रुपये में मिल रहा है। यह छूट सीमित समय के लिए है, इसलिए किसान जल्दी ऑर्डर करें। एक हेक्टेयर के लिए लगभग 2-3 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है, जिसकी कुल लागत 600-900 रुपये ही आती है।

इतने कम दाम में उच्च गुणवत्ता वाला बीज मिलना किसानों के लिए एक बड़ा लाभ है। बीज की शुद्धता और अंकुरण दर 90 प्रतिशत से अधिक होने के कारण किसान बिना किसी जोखिम के खेती शुरू कर सकते हैं। इस किस्म को अपनाने से न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि मुनाफा भी दोगुना हो जाएगा।

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सरसों की खेती का सही तरीका

सरसों की खेती सफल बनाने के लिए मिट्टी की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह अच्छी जल निकासी प्रदान करती है। खेत को भुरभुरी बनाने के लिए दो-तीन बार जुताई करें और सूरज की रोशनी में सुखा लें। बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर का मध्य से अंत तक है, जब तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस रहता है। बीजों को पंक्तियों में बोएं, जिसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-50 सेंटीमीटर रखें। प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त है।

खाद के रूप में 10-15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद, 50 किलोग्राम डीएपी, 30 किलोग्राम यूरिया और 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर डालें। सिंचाई की जरूरत 2-3 बार ही पड़ती है: पहली बुवाई के 20-25 दिन बाद, दूसरी फूल आने पर, और तीसरी दाने भरने के समय। खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली गुड़ाई 20 दिन बाद और दूसरी 40 दिन बाद करें। इस तरह की देखभाल से RH-1706 किस्म से अधिकतम उपज मिलेगी।

इस वैरायटी से कितना मुनाफा

RH-1706 किस्म की खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। एक हेक्टेयर से 25-29 क्विंटल उपज पर, सरसों का बाजार भाव 5,000-6,000 रुपये प्रति क्विंटल होने पर कुल कमाई 1.25-1.75 लाख रुपये तक हो सकती है। इसमें से लागत (बीज, खाद, सिंचाई) घटाने पर भी 80,000-1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा बचता है। यह किस्म न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है।

सरकार की तिलहन मिशन जैसी योजनाओं के साथ मिलकर यह किस्म किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी। 2025 में सरसों की खेती को अपनाने वाले किसान न केवल अपनी जेब भरेंगे, बल्कि देश की तेल आयात को कम करने में योगदान देंगे। अगर आप भी इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं, तो NSC की वेबसाइट पर जाकर RH-1706 बीज ऑर्डर करें और अपनी खेती को नई दिशा दें।

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  • Shashikant

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