आधुनिक खेती से 2 गुना मुनाफा, शामली में गन्ना-सरसों की संयुक्त खेती का कमाल

Ganna Sarson Sanyukt Kheti: आधुनिक समय में जो किसान नई सोच अपनाता है, वही आगे बढ़ता है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले से एक ऐसी ही प्रेरणादायक तस्वीर सामने आई है, जहाँ एक प्रगतिशील किसान ने गन्ना की फसल के बीच सरसों की बुवाई की है। यह इंटरक्रॉपिंग (संयुक्त खेती) का शानदार उदाहरण है, जो एक ही समय, खाद और पानी के खर्च में दो फसलें उगाने का तरीका सिखाता है। गन्ना की लंबी अवधि (10-12 महीने) और सरसों की छोटी (90-120 दिन) के कारण यह संयोजन किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है। आइए, जानें, कैसे यह आधुनिक तरीका किसानों को समृद्धि की राह दिखा रहा है।

गन्ना-सरसों संयुक्त खेती, आधुनिक सोच का प्रतीक

शामली का यह किसान न केवल गन्ना की मुख्य फसल पर निर्भर रहा, बल्कि उसके बीच सरसों की लाइनें बोकर खेत का हर इंच उपयोग किया। गन्ना की पंक्तियों के बीच 30-45 सेंटीमीटर की दूरी में सरसों के बीज बोए जाते हैं, जो सूर्य की रोशनी और पानी का पूरा लाभ ले लेती है। इससे गन्ने की उपज पर कोई असर नहीं पड़ता, बल्कि सरसों 3-4 महीने में तैयार होकर अतिरिक्त आय दे देती है। प्रति हेक्टेयर गन्ने से 800-1000 क्विंटल और सरसों से 15-20 क्विंटल उपज संभव।

शामली जैसे क्षेत्रों में, जहाँ गन्ना प्रमुख फसल है, यह तरीका मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाता है, क्योंकि सरसों नाइट्रोजन फिक्सिंग करती है। प्रगतिशील किसान कहते हैं, “एक ही खर्च में दो फसलें—यह आधुनिक खेती का असली मंत्र है।”

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संयुक्त खेती के प्रमुख फायदे

यह तकनीक किसानों को कई लाभ देती है:

  • दोगुनी आय: गन्ने के साथ सरसों की फसल से अतिरिक्त 50,000-80,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की कमाई। सरसों बाजार में 5,000-6,000 रुपये प्रति क्विंटल बिकती है।
  • खर्च में कमी: एक ही समय पर खाद (यूरिया, DAP) और पानी का उपयोग, जो लागत को 20-30% कम करता है।
  • मिट्टी सुधार: सरसों गन्ने की जड़ों को मजबूत करती है और मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाती है, जिससे अगली फसल बेहतर होती है।
  • जोखिम कम: यदि गन्ने में समस्या हो, तो सरसों अतिरिक्त सुरक्षा देती है। शामली के किसान बताते हैं कि इससे खेत साल भर हरा-भरा रहता है।

बुआई और तैयारी का सरल तरीका

गन्ना बोने के 20-30 दिन बाद सरसों की बुवाई करें। गन्ने की पंक्तियों के बीच 30-45 सेंटीमीटर की जगह में सरसों के बीज (पूसा सरसों-1 या पूसा गोल्ड) 8-10 किलो प्रति हेक्टेयर बोएँ। मिट्टी दोमट या बलुई दोमट हो, पीएच 6.5-7.5। खेत को भुरभुरा रखें और गोबर खाद 8-10 टन प्रति हेक्टेयर डालें। पानी: गन्ने की सिंचाई के साथ ही सरसों को लाभ मिलेगा, कुल 3-4 सिंचाई पर्याप्त। सरल उपाय: सरसों की बुवाई शाम को करें, ताकि बीज अच्छे से जम जाए।

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खाद और पानी का संतुलित उपयोग

खाद में नाइट्रोजन 120 किलो, फॉस्फोरस 60 किलो प्रति हेक्टेयर—गन्ने के साथ सरसों को लाभ। जैविक तरीके से गोमूत्र का घोल हर 15 दिन डालें। पानी गन्ने की जरूरत के अनुसार दें, सरसों को अतिरिक्त सिंचाई न दें। शामली के किसान सलाह देते हैं कि मेड़ों को मजबूत रखें, ताकि पानी बर्बाद न हो।

गन्ना-सरसों में थ्रिप्स या जंग का खतरा रहता है। नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) हर 10 दिन छिड़कें। जैविक उपाय: दशपर्णी अर्क डालें। सरसों में सावरदेवी से बचाव के लिए शाम को क्लोरोपाइरीफास (350 मिली/एकड़) का छिड़काव करें। सरल उपाय: मेड़ों की घास साफ रखें।

मुनाफे का मार्ग

गन्ना-सरसों से प्रति हेक्टेयर 8-10 लाख का मुनाफा संभव। सरकारी योजनाओं (राष्ट्रीय तिलहन मिशन) से बीज सब्सिडी लें। शामली जैसे क्षेत्रों में यह तकनीक किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है।

शामली का यह उदाहरण साबित करता है कि आधुनिक सोच से खेती में दोगुना लाभ संभव है। गन्ना-सरसों संयुक्त खेती अपनाएँ, खेत समृद्ध करें। किसान भाइयों, नई तकनीक अपनाएँ और समृद्धि का स्वागत करें!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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