आ गयी सरसों की नयी वैरायटी बंजर ज़मीन भी उगलेगी काला सोना, जानें डिटेल

CS-64 Mustard Variety: देश के कई इलाकों में खारी और सोडिक मिट्टी की वजह से सरसों की अच्छी फसल नहीं हो पाती। लेकिन अब ICAR-Central Soil Salinity Research Institute (CSSRI), करनाल ने किसानों के लिए CS-64 (CS-2005-143) नाम की नई सरसों किस्म विकसित की है। यह एक ओपन पॉलिनेटेड वैरायटी (OPV) है, जो खासतौर पर खारी (saline) और सोडिक (alkaline) मिट्टी वाले खेतों के लिए बनाई गई है।

यह किस्म 2023 में लॉन्च हुई और हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के मैदानी हिस्सों और हिमाचल प्रदेश में खेती के लिए मंजूर है। इसके चमकदार भूरे बीज, 41% तेल और 27-29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज इसे किसानों की पसंद बना रहे हैं। रबी 2025 में यह किस्म मुश्किल मिट्टी में भी बंपर मुनाफा दे सकती है। आइए, इसकी बुवाई, खाद, पानी, रोग नियंत्रण और फायदों की पूरी जानकारी जानें।

ICAR की मेहनत का कमाल

CS-64 सरसों को ICAR-CSSRI, करनाल ने 2023 में विकसित किया। इसे Indian Mustard (Brassica juncea L.) की श्रेणी में रखा गया है। ICAR की Varietal Release Committee ने इसे 2023 में मंजूरी दी, और अब यह हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों और हिमाचल प्रदेश में व्यावसायिक खेती के लिए उपलब्ध है। यह किस्म खासतौर पर उन खेतों के लिए है, जहां मिट्टी में नमक या क्षारीयता की समस्या है। पश्चिमी यूपी (अलीगढ़, मथुरा, हाथरस), हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के दक्षिणी जिलों में यह शानदार प्रदर्शन कर रही है। अगर आपके खेत की मिट्टी में ऐसी दिक्कत है, तो यह किस्म आपके लिए वरदान है।

CS-64 की खासियत

CS-64 एक अगेती और मध्यम अवधि वाली सरसों किस्म है, जो 120-130 दिन में तैयार हो जाती है। इसके बीज चमकदार भूरे रंग के होते हैं, और पौधे की ऊँचाई 170-180 सेंटीमीटर तक होती है। प्रति पौधा औसतन 120-130 फलियाँ बनती हैं। सामान्य मिट्टी में यह 27-29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है, जबकि खारी-सोडिक मिट्टी में 21-23 क्विंटल। इसमें 41% तेल की मात्रा है, जो तेल उत्पादन के लिए बेस्ट है। यह किस्म खारी और सोडिक मिट्टी के तनाव को अच्छे से झेल लेती है। दिल्ली, NCR और जम्मू के मैदानी हिस्सों में भी यह अच्छी फसल दे रही है।

उपयुक्त क्षेत्र और जलवायु

CS-64 खासतौर पर खारी और सोडिक मिट्टी वाले इलाकों के लिए बनाई गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, हरियाणा और पंजाब के सोडिक क्षेत्र, राजस्थान के दक्षिणी जिले, दिल्ली-NCR के सीमांत खेत और जम्मू के मैदानी हिस्से इसके लिए बेस्ट हैं। अगर आपके खेत की मिट्टी में नमक या क्षारीयता (pH > 8.5) है, तो यह किस्म चुनें। यह सामान्य मिट्टी में भी शानदार फसल देती है। स्थानीय कृषि केंद्र से मिट्टी की जाँच करवाएँ और सही सलाह लें।

बुवाई का सही समय और बीज की तैयारी

सिंचित खेतों में CS-64 की बुवाई अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक करें। अगर खेत बारिश पर निर्भर है, तो सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्टूबर की शुरुआत तक बोएँ। सही समय पर बुवाई से फसल अच्छे से बढ़ती है और फलियाँ ज्यादा बनती हैं। देर होने पर उपज थोड़ी कम हो सकती है। मौसम के हिसाब से स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें, ताकि फसल की शुरुआत मजबूत हो।

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खेत की तैयारी और खाद प्रबंधन

खेत तैयार करने के लिए एक बार गहरी जुताई करें और 2-3 बार हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ। अगर मिट्टी बहुत क्षारीय है (pH > 8.5), तो 2-3 टन जिप्सम प्रति हेक्टेयर मिलाएँ। खाद के लिए प्रति हेक्टेयर 120 किलो नाइट्रोजन (आधा बुवाई के समय, आधा फूल आने पर), 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश (दोनों बुवाई के समय) डालें। बीज भराव के समय 20 किलो सल्फर जरूरी है। मिट्टी की जाँच करवाकर खाद की मात्रा तय करें। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद (10-15 टन/हेक्टेयर) मिलाने से फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ती है।

सिंचाई प्रबंधन

CS-64 के लिए 3-4 सिंचाइयाँ काफी हैं। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। दूसरी फूल आने से पहले, तीसरी फली बनने के समय और चौथी बीज पकने से पहले हल्की सिंचाई दें। ज्यादा पानी देने से बचें, क्योंकि यह खारी मिट्टी में नुकसान कर सकता है। बारिश पर निर्भर खेतों में मिट्टी की नमी देखें। यह किस्म कम पानी में भी अच्छी फसल देती है, लेकिन सही समय पर पानी देना जरूरी है।

रोग और कीट नियंत्रण

CS-64 सरसों में अल्टरनेरिया ब्लाइट (झुलसा), एफिड (चेपा कीट) और व्हाइट रस्ट (सफेद फफूंदी) जैसी समस्याएँ आ सकती हैं। झुलसा रोग में पत्तियों पर भूरे धब्बे दिखते हैं, इसके लिए फूल आने की अवस्था में 0.2% मैंकोजेब का छिड़काव करें। चेपा कीट के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL (0.3 मिली/लीटर पानी) छिड़कें। व्हाइट रस्ट के लिए मेटालेक्सिल या रिडोमिल गोल्ड का इस्तेमाल करें। नियमित खेत की जाँच करें और जलजमाव से बचें। फसल चक्र अपनाएँ, जैसे सरसों के बाद चना या मूंग बोएँ, ताकि रोग कम हों।

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ज्यादा तेल, बढ़िया कमाई

CS-64 में 41% तेल की मात्रा है, जो तेल उत्पादन के लिए शानदार है। सामान्य मिट्टी में 27-29 क्विंटल और खारी-सोडिक मिट्टी में 21-23 क्विंटल उपज मिलती है। अगर बाजार भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो, तो 27 क्विंटल से करीब 1.6 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। तेल की ज्यादा मात्रा की वजह से तेल मिलों में इसकी मांग बढ़ रही है। सही प्रबंधन से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

यह किस्म खारी और सोडिक मिट्टी में बंपर फसल देती है। 41% तेल की मात्रा से तेल उत्पादन में फायदा होता है। 120-130 दिन में तैयार होने से जल्दी बिक्री संभव है। यह लवणीयता और सोडिक तनाव को आसानी से झेल लेती है। हरियाणा, यूपी, राजस्थान जैसे इलाकों में यह किसानों की नई पसंद बन रही है।

सावधानियाँ और सुझाव

CS-64 को बहुत ज्यादा बारिश या जलभराव वाले खेतों में न उगाएँ। रोग और कीटों की नियमित जाँच करें, क्योंकि नई किस्मों में स्थानीय कीटों का असर अलग हो सकता है। प्रमाणित बीज ही लें और स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें। बीज को ठंडे-सूखे स्थान पर रखें। छोटे स्तर पर ट्रायल करें।

CS-64 खारी मिट्टी का समाधान

CS-64 सरसों किस्म खारी और सोडिक मिट्टी वाले किसानों के लिए वरदान है। यह न सिर्फ मुश्किल मिट्टी में अच्छी फसल देती है, बल्कि ज्यादा तेल और मुनाफा भी देती है। सही बुवाई, खाद, पानी और रोग नियंत्रण से रबी 2025 में बंपर कमाई करें। ICAR की यह किस्म आपकी खेती को नई ऊँचाई देगी।

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  • Shashikant

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