Potato Disease: आलू भारत की प्रमुख फसल है जो खाद्यान्न और नकदी दोनों का काम करती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में लाखों हेक्टेयर में उगाई जाती है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी दुश्मन है लेट ब्लाइट जिसे Phytophthora infestans नामक ओओमाइसीट पैदा करता है। ये रोग 1840 के आयरिश आलू अकाल का कारण था और आज भी भारत में 70-100% नुकसान पहुंचा सकता है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के प्लांट पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. एस.के. सिंह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से उष्ण-आर्द्र मौसम के चक्र बढ़े हैं जिससे लेट ब्लाइट का खतरा और गंभीर हो गया। लेकिन अच्छी खबर ये है कि आधुनिक IDM यानी एकीकृत रोग प्रबंधन अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। ये लेख प्रो. सिंह की सलाह पर आधारित है जो पहचान से लेकर डिजिटल तकनीक तक सब कवर करता है।
रोग की पहचान और लक्षण
लेट ब्लाइट पौधे के सभी हवाई भागों पत्ती तना फूल और कंद पर हमला करता है। शुरुआत पत्तियों पर होती है। सबसे पहले पानी से भीगे हरे-भूरे धब्बे दिखते हैं जो 2-3 दिनों में भूरे-काले हो जाते हैं। धब्बों के किनारे पर सुबह के समय सफेद रुई जैसी फफूंद दिखती है ये स्पोरेंजिया हैं जो हवा से फैलते हैं। प्रो. सिंह कहते हैं कि ये सफेद परत नमी में ही दिखती है इसलिए सुबह 6-8 बजे खेत देखें। तने पर लंबे काले घाव बनते हैं जो पौधे को कमजोर कर गिरा देते हैं। कंदों पर अनियमित भूरे धब्बे गूदा कठोर और जंग जैसा। अगर कंद सड़ जाएं तो पूरा भंडारण बर्बाद।
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रोग फैलने की वजह, समझें
Phytophthora infestans का जीवन चक्र जल पर निर्भर है। ये स्पोरेंजिया हवा से उड़ते हैं लेकिन अंकुरण के लिए पत्ती पर 2-3 घंटे नमी जरूरी। अनुकूल परिस्थितियां सापेक्ष आर्द्रता 90% से ज्यादा तापमान 18-22°C रात में 10-15°C ठीक 10-12 घंटे पत्ती गीली कोहरा ओस या हल्की बारिश। प्रो. सिंह बताते हैं कि बीमार कंद से संक्रमण शुरू होता है। अगर रोगी कंद बोएं तो पूरी फसल खतरे में। खेत में नमी जमाव घना रोपण और हवा का अभाव रोग बढ़ाते हैं।
प्रतिरोधी किस्में, रोग से बचाव की पहली ढाल
प्रो. सिंह कहते हैं कि लेट ब्लाइट प्रबंधन का सबसे सस्ता और सुरक्षित तरीका है प्रतिरोधी किस्में। भारत में CPRI ने कई वैरायटी विकसित की हैं Kufri Himalini पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उच्च प्रतिरोध Kufri Girdhari मैदानी अच्छी उपज Kufri Shailja ठंड सहनशील Kufri Khyati जल्दी पकने वाली Kufri Garima रोग और कीट दोनों से मजबूत। ये किस्में प्राथमिक संक्रमण को 70-80% तक रोकती हैं। क्षेत्रीय कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिश लें।
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आधुनिक कृषि में Fimcast मॉडल DSS सिमुलेशन ऐप्स तापमान-आर्द्रता डेटा से 3-5 दिन पहले चेतावनी देते हैं। NICRA प्रोजेक्ट से SMS अलर्ट। प्रो. सिंह कहते हैं पूर्वानुमान से स्प्रे 50% कम लगता है।
जैव-एजेंट, प्राकृतिक दुश्मन से नियंत्रण
Trichoderma harzianum बीज उपचार मृदा में मिलाएं। Pseudomonas fluorescens पत्ती स्प्रे। Bacillus subtilis रोग-रोधी क्षमता बढ़ाता है। ये रासायनिक दवाओं की जगह ले सकते हैं।
रासायनिक प्रबंधन, चरणबद्ध और रोटेशन में
प्रारंभिक रोकथाम मैनकोजेब 75 WP 0.25% क्लोरोथालोनिल 75 WP 0.2%। लक्षण दिखने पर Metalaxyl + Mancozeb Dimethomorph + Mancozeb। उन्नत दवाएं Cymoxanil + Mancozeb Mandipropamid 23.4 SC। 7-10 दिन अंतर पर स्प्रे रोटेशन जरूरी।
फसल चक्र अपनाएं 2-3 साल आलू न लगाएं। पंक्ति दूरी 60×20 सेमी। ड्रिप सिंचाई पत्ती गीली न हो। निचली पत्तियां साफ करें। यूरिया कम NPK संतुलित।
डिजिटल तकनीक, भविष्य की खेती
ड्रोन प्रभावित क्षेत्र स्कैन। NDVI पौधे की सेहत चेक। ऐप्स Plantix से फोटो अपलोड कर सलाह। प्रो. सिंह IDM को सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। इसमें प्रतिरोधी किस्म स्वच्छता जैव-एजेंट पूर्वानुमान रसायन और डिजिटल का बैलेंस। लागत कम उपज ज्यादा पर्यावरण सुरक्षित।
लेट ब्लाइट खतरनाक है लेकिन प्रो. एस.के. सिंह की IDM रणनीति से हर किसान जीत सकता है। बदलते जलवायु में ये तकनीकें जरूरी हैं। किसान भाइयों अपनाएं आपकी आलू फसल सुरक्षित और लाभकारी बनेगी।
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