ठंड की पहली लहर दौड़ने लगी है, लेकिन गन्ने के खेतों में हलचल तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के किसान भाई अभी भी शरदकालीन बुआई में जुटे हैं। नवंबर का महीना गन्ने की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। मिट्टी में नमी का संतुलन बना रहता है, जड़ें मजबूती से पकड़ बनाती हैं और फसल की चमक बनी रहती है। लेकिन पारंपरिक तरीके से बुआई करने वाले किसान अक्सर बीज की ऊंची लागत और कम पैदावार से परेशान रहते हैं। अच्छी खबर ये है कि सिंगल बड विधि नाम की एक सरल तकनीक ने ये समस्या हल कर दी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य कृषि विभागों की रिसर्च से विकसित ये तरीका छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। एक हेक्टेयर में सिर्फ 20-22 क्विंटल बीज से बंपर फसल, 90 फीसदी पौधे स्वस्थ गन्ने में बदल जाते हैं। लागत 40 फीसदी कम, उपज 25-30 फीसदी ज्यादा। एक किसान ने बताया, पहले 50 क्विंटल बीज लगता था, अब आधे से भी कम में दोगुनी कमाई हो रही है।
गन्ने की बुआई के तीन मौके, नवंबर क्यों सबसे खास
गन्ना साल में तीन बार बोया जाता है जनवरी-फरवरी में बसंतकालीन, जून-जुलाई में ग्रीष्मकालीन और अक्टूबर-नवंबर में शरदकालीन। इनमें नवंबर की बुआई को विशेषज्ञ सबसे पसंद करते हैं। वजह साफ है, मानसून की बची-खुची नमी मिट्टी को उपजाऊ रखती है। ठंड की हल्की ठंडक पौधों को तेजी से बढ़ने में मदद करती है। ICAR की रिपोर्ट्स बताती हैं कि शरदकालीन गन्ना अन्य मौसमों की तुलना में 15-20 फीसदी ज्यादा मीठा और मजबूत निकलता है।
जो किसान अभी तक बुआई नहीं कर पाए, वे घबराएं नहीं। सिंगल बड विधि अपनाकर देरी की भरपाई आसानी से की जा सकती है। ये तरीका नर्सरी से शुरू होता है, जहां एक ही बड से सैकड़ों मजबूत पौधे तैयार हो जाते हैं। एक बड से 100 नई आंखें निकल आती हैं, यानी बीज गुणन दर 10 गुना से बढ़कर 100 गुना हो जाती है।
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सिंगल बड विधि क्यों है पारंपरिक तरीके से बेहतर
पारंपरिक बुआई में एक हेक्टेयर के लिए 50-60 क्विंटल बीज चाहिए। लेकिन सिंगल बड विधि में ये आधा से भी कम, सिर्फ 20-22 क्विंटल। बीज की बचत से लागत सीधे 40 फीसदी गिर जाती है। रिसर्च से पता चला है कि ये विधि अपिकल डॉमिनेंस को खत्म कर देती है, यानी पौधे एकसमान बढ़ते हैं। नतीजा, 90 फीसदी पौधे स्वस्थ गन्ने बन जाते हैं, जबकि पुराने तरीके में ये 60-70 फीसदी ही होता है। उपज में 25-30 फीसदी इजाफा, यानी प्रति हेक्टेयर 100-120 टन गन्ना।
बाजार में अच्छे दाम मिलने पर कमाई दोगुनी हो जाती है। ICAR की नई ट्रांसप्लांटर मशीन से तो रोपाई का 50 फीसदी समय और 73 फीसदी मजदूरी भी बच जाती है। छोटे किसान इसे घर पर ही आजमा सकते हैं, कोई महंगी मशीन की जरूरत नहीं। बस साफ बीज चुनें और सही समय पर लगाएं।
खेत तैयार करने से लेकर रोपाई तक का पूरा फंडा
सबसे पहले खेत की अच्छी तैयारी करें। गहरी जुताई से मिट्टी को भुरभुरा बना लें, फिर रोटावेटर चलाकर हवा का संचार सुनिश्चित करें। तीन फीट चौड़ी नालियां या कुंड बनाएं, ताकि पानी का निकास आसान हो। सिंगल बड नर्सरी पहले से तैयार रखें स्वस्थ गन्ने के एक बड को निकालकर पॉलीबैग या नर्सरी बेड में लगाएं। 30-35 दिन में ये मजबूत पौधे बन जाते हैं। अब मुख्य खेत में रोपाई करें पंक्तियों के बीच 90 सेंटीमीटर से एक मीटर दूरी, पौधों के बीच 1.5 फीट रखें।
नर्सरी के पौधों को सावधानी से खोदकर लगाएं, जड़ें ऊपर न निकलें। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें, लेकिन जलभराव न होने दें। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये दूरी पौधों को धूप-पानी दोनों अच्छे से मिलाती है। अगर मिट्टी चिकनी है तो ट्रेंच विधि अपनाएं, जहां गहरी नालियां बनाकर बड लगाएं।
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नर्सरी से फसल तक की देखभाल
रोपाई के बाद फसल की ग्रोथ तेज रखने के लिए देखभाल जरूरी है। पहली 20-25 दिन में हल्की सिंचाई करें, खासकर अगर मौसम शुष्क हो। सिंगल बड विधि से पानी की बचत भी होती है, लेकिन जड़ें मजबूत बनाने के लिए 8-10 दिन के अंतराल पर पानी दें। खरपतवार को कंट्रोल करने के लिए पहली निराई 20 दिन बाद करें।
जैविक तरीके अपनाएं नीम का तेल या गोबर की खाद से कीटों से बचाव। टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया और DAP का मिश्रण 30-40 दिन बाद डालें। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ड्रिप इरिगेशन लगे तो पानी 30 फीसदी बच जाता है। रोगों से बचाव के लिए बड लगाने से पहले कार्बेंडाजिम से उपचार करें। ये छोटी-छोटी सावधानियां फसल को 12-14 महीने तक स्वस्थ रखेंगी।
सावधानियां बरतें
हर अच्छी चीज में थोड़ी सतर्कता जरूरी है। बड चुनते समय रोगमुक्त गन्ना ही लें, वरना फसल प्रभावित हो सकती है। नर्सरी में ज्यादा नमी न रखें, फफूंद लग सकती है। रोपाई के समय मौसम का ध्यान रखें – अगर बारिश हो रही हो तो थोड़ा इंतजार करें। कीटों के लिए रासायनिक दवा कम यूज करें, जैविक विकल्प बेहतर। अगर खेत में पानी जमा हो तो तुरंत निकालें। कृषि विभाग से संपर्क करें, वे सब्सिडी पर बीज और ट्रेनिंग देते हैं।
नवंबर का ये मौका हाथ से न जाने दें। सिंगल बड विधि अपनाकर गन्ने की खेती को आसान और फायदेमंद बना लें। कृषि विशेषज्ञों का यही संदेश है, नई तकनीक से नई कमाई।
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