Agricultural waste management tips : खेती के कचरे से खाद, गाँव में अपशिष्ट से लाभ का उत्तम तरीका

Agricultural waste management tips : मान्यवर किसान भाइयों, गाँव में खेती के बाद जो अपशिष्ट या कचरा बचता है, उसे व्यर्थ न समझें। धान की भूसी, गन्ने की पत्तियाँ, सब्जियों के छिलके और फसल के अवशेष—इन सब से खाद बनाकर खेत को पोषण दिया जा सकता है। यह तरीका किफायती है, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, और रासायनिक उर्वरकों पर खर्च भी कम करता है। आइए, सरल तरीके से जानें कि खेती के कचरे का उचित उपयोग कैसे करें और खाद कैसे तैयार करें, ताकि खेत समृद्ध हों और आय में भी वृद्धि हो।

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कचरे को संग्रह करने की सरल विधि

सर्वप्रथम, खेत से प्राप्त होने वाले हर प्रकार के अपशिष्ट को एकत्र करें। धान की भूसी, मक्के के डंठल, गन्ने की सूखी पत्तियाँ, और सब्जियों के बचे हुए हिस्से ये सब उपयोगी हैं। गाँव में इन्हें खेत के एक कोने में व्यवस्थित ढेर के रूप में रखें। गीले अवशेष जैसे हरा चारा और सूखे अवशेष जैसे भूसा अलग-अलग रखें। यदि पशुओं का गोबर उपलब्ध हो, तो यह और भी लाभकारी होगा। हमारे गाँव के बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि जो बेकार प्रतीत होता है, वही खेत के लिए अनमोल हो सकता है। इसे संभालकर रखें और आगे का काम शुरू करें

खाद बनाने की सहज प्रक्रिया

खाद तैयार करने के लिए खेत में 3-4 फीट गहरा और चौड़ा गड्ढा खोदें। इसमें सबसे पहले सूखे अवशेष जैसे भूसा या पत्तियाँ डालें, फिर ऊपर से गीले अवशेष जैसे हरा चारा या गोबर की परत बिछाएँ। प्रत्येक परत के बाद थोड़ी मिट्टी छिड़कें, यह सड़न प्रक्रिया को तेज करेगा। गाँव में गुड़ को पानी में घोलकर डालें या छाछ को पतला करके छिड़कें, इससे अपशिष्ट शीघ्र गल जाएगा। गड्ढे को मिट्टी से ढक दें और 2-3 महीने तक प्रतीक्षा करें। हर 15 दिन में इसे फावड़े से पलटें, ताकि हवा मिल सके। ऐसा करने पर 3-4 महीनों में काली और भुरभुरी खाद तैयार हो जाएगी।

छोटे स्तर पर खाद तैयार करने का उपाय

यदि गड्ढा खोदना संभव न हो, तो गाँव में पुराने ड्रम या बोरे का उपयोग करें। ड्रम में छोटे-छोटे छेद करें, फिर उसमें कचरा, गोबर और मिट्टी की परतें डालें। ऊपर से हल्का पानी छिड़कें और ढक्कन से ढक दें। हर सप्ताह इसे हिलाएँ, ताकि हवा का संचार हो। 2-3 महीनों में खाद तैयार हो जाएगी। गाँव में नीम की पत्तियाँ इसमें मिलाएँ, यह कीटों को दूर रखेगी और खाद की गुणवत्ता बढ़ाएगी। यह छोटा उपाय आँगन या छत पर भी आजमाया जा सकता है, इससे मेहनत कम लगेगी और लाभ भरपूर मिलेगा।

खाद का प्रयोग और लाभ

जब खाद तैयार हो जाए, तो बुआई से पहले इसे खेत में डालें। एक बीघे के लिए 5-7 गट्ठर खाद पर्याप्त है। इससे मिट्टी में नरमी आएगी और फसलों को पोषण प्राप्त होगा। धान, गेहूँ, मूँग या सब्जियाँ—हर फसल में सुधार दिखेगा। गाँव में यदि एक बीघे से 10 क्विंटल फसल मिलती थी, तो इस खाद से 12-15 क्विंटल तक हो सकता है। बाजार में उचित मूल्य मिले, तो 20-30 हज़ार रुपये की आय बढ़ सकती है। रासायनिक खाद की आवश्यकता कम होगी, जिससे धन की बचत होगी। खेत की उर्वरता भी लंबे समय तक बनी रहेगी।

गाँव के लिए विशेष लाभ

गाँव में यह तरीका इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि खेती का कचरा हर घर में उपलब्ध होता है और खाद बनाने में कोई अतिरिक्त व्यय नहीं लगता। यह मिट्टी को बंजर होने से बचाता है और पानी की खपत भी कम करता है। गाँव की बहनें इसे सहजता से तैयार कर सकती हैं। बचे हुए कचरे का उपयोग चूल्हे के लिए ईंधन या पशुओं के चारे के रूप में भी हो सकता है। तो भाइयों, खेत के कचरे को व्यर्थ न गँवाएँ, इससे खाद बनाएँ और खेती को समृद्ध करें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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